रावण के पास  खुद जानिए क्यों  गए थे हनुमान 

 रावण की सेना में कोई भी ऐसा नही था जो हनुमान को बंधक बना सके 
रावण के पास खुद जानिए क्यों गए थे हनुमान
 रावण को ज्ञान देने के लिए हनुमान गए थे रावण के दरबार मे 

 हनुमान जी ज्ञानिनामग्रगण्यम्  थे:भगवदाचार्य
 लखनऊ। डॉ स्वामी भगवदाचार्य जी महाराज ने कहा कि मारुति नंदन आंजनेय श्री हनुमान जी महाराज की जयंती की महिमा को गोस्वामी तुलसीदास जी ने ज्ञान के अगाध सागर के रूप में चित्रित किया है ।श्री हनुमान जी अतुलितबलधामं के प्रतीक हैं तथा सर्वश्रेष्ठ ज्ञानियों में अग्रणी हैं ।

भगवान श्री राम का जब हनुमान जी से  संपर्क हुआ ,उस समय हनुमान जी की वार्तालाप सुनकर भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा , जिसका महर्षि वाल्मीकि ने बड़े समारोह पूर्वक संकेत किया है   - नानृग्वेदोविनीतस्य नायजुर्वेदधारिण:। नासामवेदविदुष: शक्यमेवं विभाषितुम्।। नूनं व्याकरणं कूत्स्न्नमनेन वहुधा श्रुतम् । वहु व्याहरतानेन न किंचिदपशब्दितम् ।। भगवान श्री राम ने लक्ष्मण से कहा कि हे लक्ष्मण जिसने सम्यक् प्रकारेण ऋग्वेद यजुर्वेद और सामवेद का विधिवत अध्ययन नहीं किया हो वह इस प्रकार मधुर भाषा का प्रयोग नहीं कर सकता तथा जिसने व्याकरण का बहुत बार अध्ययन नहीं किया हो वह इस प्रकार परिष्कृत परिमार्जित वाणी का प्रयोग नहीं कर सकता।

हनुमान जी की वाणी में एक भी शब्द  बोलने में गलत नहीं हुआ ।यह श्री हनुमान जी की विद्वता का  परिचायक है ।आचार्य आर एल पांडेय ने कहा कि भगवान श्री राम के आदेश से विदेह वंश वैजयंती जनकजा जानकी की खोज के लिए श्री हनुमान जी लंका की ओर गए। वहां एक बहुत आश्चर्य की बात परिलक्षित होती है । वहां हनुमान जी को सब खाने वाले ही मिले ।

मार्ग में सुरसा ने कहा कि मैं खाऊंगी आगे सिहिका ने भी खाने के लिए प्रयास किया और आगे बढ़ने पर लंकिनी ने भी खाने के लिए कहा ।लेकिन एक बात इससे भी आश्चर्य दिखाई पड़ती है कि हनुमान जी ने भी कहा मैं भी खाऊंगा इस समय मैं अतिशय भूखा हूं ।लेकिन यह विदित होना चाहिए कि भूख तीन प्रकार की होती है ।एक क्षुधा की भूख दूसरा प्रतिष्ठा की भूख और तीसरा ज्ञान की भूख । हनुमान जी के जीवन में ज्ञान की भूख दिखाई पड़ती है। 

क्षुधा और प्रतिष्ठा से ऊपर उठकर ज्ञान की भूख है। इसीलिए हनुमान जी लंका में अशोक वाटिका को उजाड़ कर राक्षस राज रावण के दरबार में बुद्धि का परिचय देने के लिए ही पहुंचे थे। श्री हनुमान जयंती के अवसर पर सनातन धर्म परिषद एवं श्री तुलसी मानस ट्रस्ट का श्री हनुमान जी महाराज के चरणों में विनम्र निवेदन है कि इस समय कोरोना वैश्विक महामारी को समाप्त करके लोगों के जीवन में सुख शांति का संचार करें। यही श्री हनुमान जयंती का परम उद्देश्य है।

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