क्यों मन्त्र जाप के लिए तुलसी, रुद्राक्ष की माला 108 दानों की होती है

क्यों मन्त्र जाप के लिए तुलसी, रुद्राक्ष की माला 108 दानों की होती है

ज्योतिष डेस्क -सभी माला की संख्या 108 ही क्यों होती है इस पर विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि आपने देखा होगा कि किसी भी मंत्रों का जाप अगर किया जाता है तो माला 108 ही होती है 108 दिनों की होती है और जिन मंत्रों का भी जाप किया जाता है उसके गुणांक 108 ही होते हैं |

कभी सोचा आपने कि माला में क्यों होते हैं 108 दाने ,

अब सवाल यह उठता है कि किसी भी मंत्रों का जाप 108 बार ही क्यों किया जाता है इस बारे में ज्योतिष के जो जानकार हैं उनके द्वारा बताया गया है कि हमारे राशियां 12 होती हैं राशियां 12 होती हैं और ग्रह होते हैं और दोनों को अगर गुनाह किया जाए तो 108 होता है अब 108 बार किसी भी मंत्र का जाप करने पर वह 12 राशियों के लिए और नौ ग्रहों के लिए फल प्रदान करता है इसलिए किसी भी मंत्र का जाप करने के लिए जो सबसे उचित बताया गया है या जो भी माला होती है इसका जाप किया जाता है जिसके बारे में बताया जाता है ज्योतिष गड़ना कार्य बताते हैं कि मंत्रों का जाप एक माला आपको करना है दो माला करनी है कितनी वाला है करनी है इसलिए 108 ही दाने उसमें पाए जाते हैं।

सूर्य की कलाओं की गणना पर भी आधारित है १०८ दानों की माला

माला का एक-एक दाना सूर्य की एक-एक कला का प्रतीक है। सूर्य ही व्यक्ति को तेजस्वी बनाता है, सूर्य ही एकमात्र साक्षात दिखने वाले देवता हैं, इसी वजह से सूर्य की कलाओं के आधार पर दानों की संख्या 108 निर्धारित की गई है।

माला कितने प्रकार की होती है

जपमाला के लिए रुद्राक्ष की माला ,तुलसी की माला और मोती की माला का उपयोग किया जाता है वैसे हल्दी की माला भी कुछ मन्त्रों के जाप के लिए किया जाता है |भगवन शंकर की पूजा के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग किया जाता है और साधक इन्ही माला पर मन्त्रों का जाप करके मन्त्रों को सिद्ध करते हैं |

सांसों की गणना का भी आधार है 108 दानों की माला

हमारी सांसों की संख्या के आधार पर 108 दानों की माला स्वीकृत की गई है। 24 घंटों में एक व्यक्ति 21,600 बार सांस लेता है। चूंकि 12 घंटे दिनचर्या में निकल जाते हैं, तो शेष 12 घंटे देव-आराधना के लिए बचते हैं अर्थात 10,800 सांसों का उपयोग अपने ईष्टदेव को स्मरण करने में व्यतीत करना चाहिए, लेकिन इतना समय देना हर किसी के लिए संभव नहीं होता इसलिए इस संख्या में से अंतिम 2 शून्य हटाकर शेष 108 सांस में ही प्रभु-स्मरण की मान्यता प्रदान की गई।

नक्षत्रों की गणना भी 108 आती है

भारतीय ऋषियों की कुल 27 नक्षत्रों की खोज पर आधारित है। चूंकि प्रत्येक नक्षत्र के 4 चरण होते हैं अत: इनके गुणफल की संख्या 108 आती है, जो परम पवित्र मानी जाती है। इसलिए भी 108 दानों की माला का जाप करके यह माना जाता है की सारे नक्षत्रों और सारे चरणों की पूजा माला का जाप करके प्राप्त कर लिया गया है |


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