Pooja Paath Rules: पूजा में अगरबत्ती का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए? क्या कहते हैं वास्तु

Pooja Paath Rules:वास्तु के अनुसार बांस से बनाई गई अगरबत्ती पूजा में नहीं जलानी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से घर में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं.
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Pooja Paath Rules: वस्तु के अनुसार बांस से बनाई गई अगरबत्ती पूजा में नहीं जलानी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से घर में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. बांस का उपयोग सनातन धर्म में शुभ और अशुभ कार्यों में किया जाता है.

 

Pooja Main Agarbatti Jalane Se Kya Hota Hai: सनातन धर्म में भगवान की पूजा पाठ के लिए कई नियम बनाए गए हैं, जिनके अनुसार पूजा करने पर ही फल की प्राप्ति होती है. आपने देखा होगा कि कुछ लोग पूजा में दीया जलाते हैं ताकि वह पूजा की साक्षी बन सके. इसके अलावा कुछ लोग धूप और अगरबत्ती जलाते हैं. लेकिन वास्तु के अनुसार अगरबत्ती पूजा के लिए अशुभ मानी गई है. इस बात की जानकारी बहुत से लोगों को नहीं है. पूजा में अगरबत्ती जलाने से वातावरण तो सकारात्मक हो जाता है लेकिन धार्मिक दृष्टिकोण से अशुभ माना जाता है. वास्तु शास्त्र के जानकारों का कहना है कि अगरबत्ती की तीली बांस की बनी होती है. जो कि नहीं जलाना चाहिए। बांस जलने का काम सनातन धर्म में दाहसंस्कार के समय किया जाता है. इसलिए अगरबत्ती का उपयोग पूजा के लिए अशुभ माना गया है.

 

पूजा में अगरबत्ती क्यों नहीं जलाना चाहिए? ( Pooja Main Agarbatti Kyon Nahi Jalana Chahiye) 

 
  • वास्तु के मुताबिक बांस की जलाने से व्यक्ति के भाग्य का नाश हो जाता है, क्योंकि बांस सौभाग्य देने वाला पौधा है.

  • सनातन धर्म में बांस को वंश का प्रतीक माना जाता है. इसलिए बांस को जलाना अपने पारिवारिक वंश को नुकसान पहुंचाने जैसा है.

  • कई ग्रंथों में यह भी लिखा गया है कि बांस को जलाने से पितृ दोष लगता है.

  • वैज्ञानिक दृष्टि से बांस की तीली वाली अगरबत्ती जलाने से श्वास संबंधी बीमारी भी हो सकती है.

  • शास्त्रों में भी कहीं भी यह नहीं लिखा है कि पूजा में अगरबत्ती जलाना चाहिए, इसके लिए धूप और दीप का उपयोग करना चाहिए।

  • इसके अलावा बांस का उपयोग शुभ कार्यों में जैसे जनेऊ, मुंडन शादी आदि में मंडप के रूप में किया जाता है. इसलिए इसे जलाना अशुभ माना जाता है.    


पूजा में क्या जलाना चाहिए?

 

Pooja Main Agarbatti Ki Jagah Kya Jalana Chahiye: ज्योतिषियों का कहना है कि हमेशा पूजा के धूप और दीप जलाने की बात कही जाती है. पूजा के समय धूप जलाने से पूजा स्थल पर फैली सुगंध से मस्तिष्क और मन दोनों को शांति मिलती है इसके साथ ही घर में फैली महक से सकारात्मक ऊर्जा आती है. घर में स्थित दुर्गन्ध दूर भाग जाती है. इसके अलावा दीपक जलाने से अग्निदेव प्रसन्न होते हैं. दीया पूजा का साक्षी बनता है. जिसका उपयोग अग्निदेव के रूप में किया जाता है. इसीलिए शास्त्रियों का कहना है कि पूजा करते समय दीपक जलाने से पाठ में एकाग्रता बनी रहती है और भगवान का आशीर्वाद भी मिलता है.

 

पूजा-पाठ के नियम

 

Pooja-Paath Rules: भगवान की पूजा के लिए सबसे पहले सुबह स्नान करना चाहिए। प्रयास यह करें कि ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर पूजा करें। यदि आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो आप दोपहर 12 बजे से पहले जरूर पूजा कर लें. क्योंकि 12 बजे के बाद का समय भगवान के विश्राम का होता है. स्नान के बाद सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद पुरुष और स्त्री दोनों को सिर ढककर भगवान की पूजा करनी चाहिए। वास्तु के अनुसार पूजा करते समय चेहरा पूर्व और उत्तर दिशा में होना चाहिए। साथ ही पूजा में धूप, दीप और घंटी हांथ में लेकर भगवान की आरती करनी चाहिए।

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