भगवान राम को क्यों कहा जाता है रघुवंशी ?कौन हैं भगवान राम के पूर्वज और उनका कुल
मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्रीराम के पूर्वज एवं उनका कुल
मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्रीराम जिनको हर सनातनी हिन्दू "रघुनाथ" या "रघुवंशी" के नाम से भी जानता है किन्तु इस प्रश्न का उत्तर बहुत से लोगों को नहीं पता कि भगवान श्रीराम को रघुवंशी क्यों कहा जाता है !
आज हम आपको भगवान श्री राम जी के पूर्वज महाराजा रघु और भगवान श्रीराम के सम्बन्ध के साथ ही उनके वंश की उत्पत्ति व पूर्वजों के कुल के संबध में जानकारी देंगे !
भगवान श्रीराम के पूर्वज
श्रष्टि रचयिता भगवान ब्रह्माजी की उन्चालिसवी पीढ़ी में भगवाम श्रीराम का जन्म हुआ था ।।
हिंदू धर्म में श्री राम को इस ब्रह्माण्ड के रचयिता परमपिता श्रीहरि विष्णु का सातवाँ अवतार माना गया है।
वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे - इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त,करुष,
महाबली, शर्याति और पृषध।
श्री राम का जन्म इक्ष्वाकु के कुल में हुआ था और जैन धर्म के तीर्थंकर निमि भी इसी कुल के थे!
मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु से विकुक्षि,
निमि और दण्डक पुत्र उत्पन्न हुए।
इस तरह से यह वंश परम्परा चलते-चलते
हरिश्चन्द्र, रोहित, वृष, बाहु और सगरतक पहुँची।
इक्ष्वाकु प्राचीन कौशल देश के राजा थे और इनकी राजधानी भी वर्तमान अयोध्या ही थी।
रामायण के बालकांड में गुरु वशिष्ठजी द्वारा भगवान
श्री राम के कुल का वर्णन किया गया है जो इस प्रकार है ..........
१ - ब्रह्माजी से मरीचि हुए।
२ - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए।
३ - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे।
४ - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय ही जल प्रलय हुआ था।
५ - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था।
इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की।
६ - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए।
७ - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था।
८ - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए।
९ - बाण के पुत्र अनरण्य हुए।
१०- अनरण्य से पृथु हुए
११- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ।
१२- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए।
१३- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था।
१४- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए।
१५- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ।
१६- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित।
१७- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए।
१८- भरत के पुत्र असित हुए।
१९- असित के पुत्र सगर हुए।
२०- सगर के पुत्र का नाम असमंज था।
२१- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए।
२२- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए।
२३- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए।
भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे।
२४- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए।
रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद ही इस वंश का नाम रघुवंश प्रसिद्ध हो गया,तब से श्री राम के कुल को रघुकुल भी कहा जाता है।
२५- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए।
२६- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे।
२७- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए।
२८- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था।
२९- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए।
३०- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए।
३१- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे।
३२- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए।
३३- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था।
३४- नहुष के पुत्र ययाति हुए।
३५- ययाति के पुत्र नाभाग हुए।
३६- नाभाग के पुत्र का नाम अज था।
३७- अज के पुत्र दशरथ हुए।
३८- चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ के चार पुत्र हुए श्री राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न ।
इस प्रकार ब्रह्मा जी की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ.....
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव-भय दारुणं |
नवकंज-लोचन, कंज-मुख,कर-कंज,पदकंजारुणं ||
कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुंदरं |
पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक-सुतावरं ||
भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्य-वंश-निकंदनं |
रघुनंद आंनदकंद कौशलचंद दशरथ-नंदनं ||
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणं |
आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खर-दूषणं ||
इति वदित तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं |
मम ह्रदय-कंज-निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनं ||
मनु जाहि राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो!
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो !!
एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली !
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली !!
सो० जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि !
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे !!
"राम" से बड़ा "राम" का नाम
संकलन-पं. अनुराग मिश्र "अनु"
अध्यात्मिक लेखक व कवि