सावन के महीने में क्यों होती है भगवान शिव की पूजा ? ,किस मंत्र के जाप से प्रसन्न होते हैं भगवान शिव 

माता पार्वती ने सावन में ही भगवान शिव को पाने के लिए की थी तपस्या 
सावन के सोमवार का महत्व

 29 दिनों तक है सावन 

 सावन मास भगवान शिव को है समर्पित


-- देवों के देव महादेव की उपासना के लिए यह माह सबसे उत्तम माना गया


-- सावन मास में भगवान शिव और माता पार्वती भू - लोक पर करते हैं निवास


हिंदू धर्म के अनुसार, श्रावण या सावन माह भगवान शिव को समर्पित है। देवों के देव महादेव की उपासना के लिए यह माह सबसे उत्तम माना गया है। सावन में सच्ची श्रद्धा के साथ शिव पूजन से व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं। शिव भक्त सावन में ही कांवड़ लेकर जाते हैं, जो पूरे एक माह तक चलता है। शिव पुराण के अनुसार, सावन मास में भगवान शिव और माता पार्वती भू-लोक पर निवास करते हैं। क्या आप जानते हैं कि सावन माह में शिव की पूजा क्यों होती है और यह मास उन्हें इतना पसंद क्यों है? आज इस विषय पर विस्तार से वर्णन करेंगे।


सावन में शिव ने किया था विषपान--

पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन सावन मास में हुआ था। इस मंथन से विष निकला तो चारों तरफ हाहाकार मच गया। संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने विष को कंठ में धारण कर लिया। विष की वजह से कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए। विष का प्रभाव कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव को जल ​अर्पित किया, जिससे उन्हें राहत मिली। इससे वे प्रसन्न हुए। तभी से हर वर्ष सावन मास में भगवान शिव को जल अर्पित करने या उनका जलाभिषेक करने की परंपरा बन गई।


सावन में शिव-पार्वती का मिलन--

भगवान शिव की अर्धांगिनी माता सती ने शिव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण लिया था। सती ने अपने दूसरे रूप में हिमालयराज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया था। शिव जी को पति रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने सावन मास में कठोर तपस्या की थी। शिव जी का विवाह इसी माह में हुआ था, इसीलिए भगवान शिव को सावन माह बहुत प्रिय है।


सावन मास में ससुराल आते हैं शिव-- 

सावन मास में भगवान शिव अपने ससुराल आए थे, जहां पर उनका अभिषेक करके धूमधाम से स्वागत किया गया था। इस वजह से भी सावन माह में अभिषेक का महत्व है। इस माह में भगवान शिव और माता पार्वती भू-लोक पर निवास करते हैं।


सावन मास में शिवपूजा का सारा रहस्य दक्षिण के ग्रन्थों में विशद रूप से मिलता है--

भगवान शिव की साधना के लिए सबसे शुभ माना जाने वाला पावन श्रावण मास 25 जुलाई 2021 से प्रारंभ होकर 22 अगस्त 2021 तक रहेगा। वैसे तो पूरा श्रावण मास ही भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए अत्यंत शुभ है लेकिन श्रावण मास में पड़ने वाले सोमवार को अत्यंत मंगलकारी माना गया है। गौरतलब है कि सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष विधान है। तो आइए जानते हैं ​कि इस साल 29 दिनी सावन माह में शिव कृपा दिलाने वाले

सोमवार व्रत को कब और कैसे करें  ?

श्रावण मास के सोमवार के दिन भोले भंडारी की पूजा करने का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन साधना करने वाले साधक पर भगवान शिव की विशेष कृपा बरसती है। तो आइए जानते हैं सभी मनोकामनाओं को पूरा कराने वाले श्रावण सोमवार व्रत का महत्व और विधि —


कब से शुरु करें सोमवार व्रत--

भगवान शिव का आशीर्वाद दिलाने वाले सोमवार व्रत को आप आने वाले श्रावण अथवा कार्तिक, चैत्र, मार्गशीर्ष, वैशाख, आदि मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से प्रारंभ कर सकते हैं। शिव कृपा दिलाने वाले इस व्रत को प्रारंभ करने के बाद कम से कम 16 सोमवार जरूर पूरे करने चाहिए। हालांकि बहुत जगह सावन के पहले सोमवार से भी इस पावन व्रत को प्रारंभ करने की परंपरा है। इसलिए यदि आप चाहें तो आप अपने गुरु की आज्ञा लेकर इस व्रत को श्रावण मास के पहले सोमवार से भी शुरु कर सकते हैं।


सोमवार व्रत करने के विधि--

सोमवार के दिन प्रातःकाल उठकर सबसे पहले पानी में काला तिल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद पवित्र मन से भगवान शिव का स्मरण करते हुए सोमवार व्रत का संकल्प लें। फिर ​शिवलिंग की सफेद फूल, सफेद चंदन, पंचामृत, चावल, सुपारी, बेल पत्र, आदि से पूजा करें। पूजा के दौरान “ॐ सों सोमाय नम:” का मंत्र लगातार जपते रहें। शिव के मंत्र का जप हमेशा रुद्राक्ष की माला से करें।


कब करें सोमवार व्रत का उद्यापन--

सोमवार के व्रत का उद्यापन श्रावण, वैशाख, कार्तिक, चैत्र एवं मार्गशीर्ष आदि मासों में ही करना चाहिए। श्रावण के सोमवार में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। हालांकि यह नियम बीमार व्यक्तियों पर नहीं लागू होता है।


कब-कब पड़ेगा सावन का सोमवार-- तिथि date 

सावन का पहला सोमवार — 26 जुलाई 2021

सावन का दूसरा सोमवार — 02 अगस्त 2021

सावन का तीसरा सोमवार — 09 अगस्त 2021

सावन का चौथा सोमवार — 16 अगस्त 2021

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