Why Celebrate Ram Navami In Hindi:  राम नवमी क्यों मनाई जाती है?

राम नवमी क्यों मनाई जाती है?
Why We Celebrate Ram Navami In Hindi:  राम नवमी क्यों मनाई जाती है?
राम नवमी की पौराणिक मान्यता क्या है?

Why We Celebrate Ram Navami In Hindi
Why was Ram Navami celebrated?
Is Ram Navami a public holiday?
What is the best message for Ram Navami?
Is today Ram Navami 2024?

धर्म ज्योतिष डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, चैत्र मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। भगवान राम विष्णु के अवतार हैं। सदियों पहले भारतवर्ष की पावनभूमि पर अवतरित हुए श्रीराम ने ऐसे जीवनमूल्य और आदर्श प्रस्तुत किए, जो आज भी संपूर्ण मानवता के लिए अनुकरणीय हैं। उनकी संपूर्ण जीवनलीला में अनेक ऐसे प्रसंग हैं, जो हम सबको मनुष्यता के उच्च आदर्श स्थापित करने के लिए प्रेरित करते हैं। आज के संवेदनशून्य और स्वार्थी होते जा रहे समय में उनकी प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है।

रामनवमी का पर्व क्यों मनाया जाता है?

राम, हर रूप में मर्यादा का नाम है। जीवन से जुड़े निर्णय हों या समाज कल्याण की सोच, उनके विचार और व्यवहार के हर पहलू में मर्यादा और जन मानस की भलाई ही नजर आती है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन के हर हिस्से में कोई ना कोई सार्थक, संस्कारी और मूल्यवान सीख उपस्थित रहती है, जो आज के दौर में हमारा मार्गदर्शन कर सकती है। हमें नैतिक विचारों की रोशनी दे सकती है। 

राम नवमी 9 दिनों तक क्यों मनाई जाती है?

भगवान् राम के जन्मदिन यानि की चैत्र मास के नौवें दिन को राम नवमी के रूप में मनाया जाता है और यह जन्मोत्सव चैत्र का महीना शुरू होते ही राम भक्त अपने आराध्य का जन्मोत्सव मानाने में लीन हो जाते हैं यह पर्व 9 दिन तक चला करता है इसलिए यह नौ दिनों तक मनाया जाता है | 

राम जी का मूल मंत्र क्या है?

भगवान राम के जन्म दिन के अवसर पर रामचरितमानस का पाठ किया जाता है और राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करने से भी भगवान् राम की कृपा प्राप्त होती है | अगर भगवान् राम की कृपा प्राप्त करनी है तो राम रक्षा स्त्रोत के चौपाई श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय पतये नमः मंत्र का जाप कर सकते हैं | अगर इस मन्त्र का जाप किसी भी मनोकामना की सिद्धि के लिए किया जाए तो प्रभु श्री राम की कृपा प्राप्त होती है | 

राम नवमी के पीछे की कहानी क्या है?

भगवान राम के मानवातार जीवन में अनेक विपदाओं का अविराम घटनाक्रम चलता रहा। लेकिन हर परिस्थति में उनका संयम बना रहा। वे हर हाल में आमजन की भलाई के विषय में सोचते और क्रियाशील रहे। यही वजह है कि हिंसा, आतंक और सूखती संवेदनाओं के इस दौर में राम का जीवन और जन कल्याण से जुड़े उनके भाव सबसे अधिक प्रासंगिक प्रतीत होते हैं। प्रभुत्व जमाने की सोच के साथ की जाने वाली आज के दौर की स्वार्थी राजनीति से लेकर, विखंडित हो रहे समाज तक, हर ओर मर्यादा को आत्मसात किया जाना आवश्यक है। इसके लिए राम के जीवन आदर्शों को समझा जाना जरूरी है। गहनता से देखें तो सही अर्थों में लोकतंत्र के आदर्श भगवान राम का जीवन आज स्मरणीय ही नहीं  अनुकरणीय भी है।

राम का जीवन ऐसे आदर्शों और मूल्यों का एक श्रेष्ठ उदाहरण है, जिन्हें आमजन अपने जीवन में अनुकरण करें तो सभ्य और संवेदनशील समाज की रचना की जा सकती है। क्योंकि वर्तमान परिवेश में घटित हो रहे हर अशुभ या अनैतिक कृत्य के पीछे मानवीय संवेदनाओं का तिरोहित हो जाना ही अहम कारण है। आज मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए संयमित, मर्यादित और संस्कारित जीवन का पाठ हम सबको सीखना जरूरी है। निःस्वार्थ भाव से जीवन यापन करना भूलते जा रहे आज के इंसानों के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्शों भरा जीवन, संपूर्ण समाज के लिए प्रेरक साबित हो सकता है।  

राम जी के आदर्श मूल्य क्या हैं?

भगवान राम ने जनहित के लिए राजसी वैभव को भी त्याग दिया। पहले राक्षसों से ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए फिर पिता के वचन का पालन करने के लिए राजसी सुख-विलास की परवाह नहीं की। कहीं भी अपना स्वार्थ सिद्ध करने की कोशिश नहीं की। आज राजनीतिक व्यवस्था से लेकर सामाजिक पारिवारिक परिस्थितियों तक जो कुछ भी हमारे सामने है, वो केवल विलास की कामना और स्वार्थपरक सोच को ही परिलक्षित करता है। मर्यादा का मान और उसके मूल्यों की रक्षा करना जीवन के किसी क्षेत्र में दिखना दुर्लभ हो गया है। हर जगह मर्यादा की सीमाएं लांघी जा रही हैं। संभवतः यही कारण है कि हर ओर जीवन आदर्श छीजते जा रहे हैं।

राम जी का चरित्र आदर्श क्यों माना जाता है?

जिस सहनशील और धैर्यवान व्यवहार को हम भुला बैठे हैं, उसकी आज के अराजक समय में सबसे अधिक आवश्यकता है। ऐसे में रामजी का चरित्र हम सबके लिए आदर्श है। पौराणिक आख्यानों में राम को एक आदर्श पुत्र, भाई, शासक और जन हितकारी राजा इसीलिए माना गया है। इसीलिए राम राजा से अधिक सामाजिक हितैषी के रूप में प्रसिद्ध हुए हैं। सात्विक सोच और सभी के कल्याण का भाव राजा राम के व्यक्तित्व में सहज ही सम्मिलित हैं। जो उन्हें जीवन की हर भूमिका में पूज्यनीय और अनुकरणीय बनाता है।

राम भगवान के अनमोल वचन क्या है?

अशांति और अराजकता के वर्तमान दौर में यूं भी जड़ों की ओर लौटना और मानवीय मूल्यों को सहेजना सबसे अधिक जरूरी प्रतीत हो रहा है। दिशाहीन होते जा रहे जीवन और समाज को गरिमामयी मार्गदर्शन की आवश्यकता है। अराजक और हिंसक हो चले समाज में जिस स्थायित्व और सभ्य वातावरण की दरकार है, उसे हमें ही पोषित करना होगा। इस मार्ग पर भगवान राम का चरित्र हमारे लिए पथ-प्रदर्शक बन सकता है। जिसमें सेवा, त्याग, सत्य और न्याय के भाव समाहित हैं। इतना ही नहीं करुणा, शांति, एकता, प्रगति और संवेदना सब कुछ समाया है, उनके आलौकिक चरित्र में। जो हमारे लौकिक व्यवहार और विचार को भी परिष्कृत कर सकता है। उनके जन्मोत्सव से जुड़ा रामनवमी का पर्व हम सबको एक अवसर प्रदान करता है कि उनके गुणों को आत्मसात करें। 

राम जी मानवीय मूल्य क्या हैं?   

मनुष्यता और मानवीय मूल्यों के मान और जीवन से जुड़े चेतना के भाव का तिरोहित होते जाना आज अनगिनत सामजिक विकृतियों को जन्म दे रहा है। लोक कल्याण का जो भाव हम सबके भीतर होना चाहिए, वो लुप्त हो चला है। ऐसे में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्श यकीनन खुशहाल और सुखमय जीवन का आधार हो सकते हैं। भगवान राम के जीवन से जुड़ी हर रीति और नीति केवल जन कल्याण से ही जुड़ती है। यही वजह है कि श्रीराम आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। उनका पूरा व्यक्तित्व ही नहीं गतिविधियां भी अनगिनत सीख देने वाली रहीं। तभी तो उनका निश्छल और अहंकाररहित मन और जीवन जानने-अपनाने योग्य हैं। सांस्कृतिक सद्भावना, राष्ट्र कल्याण, धर्माचरण और जनसेवा राम के आदर्श व्यक्तित्व के आधार सतंभ हैं। वे एक राजा के रूप में न केवल राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए आदर्शस्वरूप माननीय हैं बल्कि एक आम इंसान के जीवन को भी नैतिक और स्वार्थरहित व्यवहार की ऊर्जा देने वाले हैं। विवेक और सदाचार की सीख उनके द्वारा अपने जीवन में लिए गए हर निर्णय में देखने को मिलती है।  

भगवान राम से हमें किस तरह की प्रेरणा मिलती है?

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जीवन चरित्र हम सबको न्यायसंगत मार्ग पर चलने की शिक्षा देने वाला है। जीवन में उचित और धर्मसंगत रीति-नीति को अपनाने का बहुत महत्व है। साथ ही सही रीति-नीति के निर्वहन में धैर्य बरतना भी जरूरी इसीलिए माना गया है। यूं भी भारतीय संस्कृति में सदाचार और नीतिसम्मत सोच को बहुत महत्व दिया गया है। कितने ही अनकहे अबोले नियम हैं, जिनका पालन समाज के आम इंसानों के लिए जरूरी माना गया है। अच्छे व्यवहार और विचार का आधार बनने वाले ऐसे नियम समाज को बेहतरी की ओर ले जाते हैं। ऐसे समाज में ही ह्यसर्वे भवंतु सुखिनःह्ण और ह्यवसुधैव कुटुंबकमह्ण का भाव ही स्थापित हो सकता है।

हमें समझना होगा कि मानसिक, वैचारिक और व्यावहारिक श्रेष्ठता के बिना संवेदनशील समाज का निर्माण संभव ही नहीं। यही चेतना समाहित है नीति कुशल राजा और संवेदनाओं से परिपूर्ण भगवान राम के आदर्श रूप में। जो हमारे जीवन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकती है। आज जब हमारे देश में सुराज की बात होती है तो मर्यादा पुरुषोत्तम राम के लोकहितकारी स्वरूप की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। जो सही अर्थों में जननायक के रूप में जाने जाते हैं। उनके माननीय व्यक्तित्व की विशिष्टताएं हमारे अंतर्मन को नई उजास और चेतना दे सकती हैं। 
 

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