worship: ऐसी की गई प्रार्थना नहीं होती स्वीकार, जानिए सही तरीका

worship: ऐसी की गई प्रार्थना नहीं होती स्वीकार, जानिए सही तरीका

worship:अक्सर जीवन में मुश्किलों से निकलने के लिए, समस्याओं समाधान के लिए हम ईश्वर के द्वार पर जाकर या ईश्वर के निकट जा करके प्रार्थना करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि आपकी प्रार्थना कैसे होनी चाहिए, प्रार्थना करने के तरीके क्या हैं और क्यों कई बार आपकी प्रार्थना स्वीकार नहीं की जाती? आगे ये भी बताएँगे आपको कि आपकी प्रार्थना की शक्ति क्या है? इसके अलावा आपको ये भी बताएंगे कि क्या होती है प्रार्थना? और प्रार्थना कैसे काम करती है? कब ऐसा होता है कि आपकी प्रार्थना पूरी नहीं होती भगवान इसे स्वीकार नहीं करते. तो बात आज प्रार्थना के शक्ति की करेंगे और प्रार्थना से जुड़े हुए तमाम बातों को आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे.

सबसे पहले जानते हैं कि प्रार्थना होती क्या है और क्या वाकई में प्रार्थना काम करती है? ईश्वर से अपने मन-ह्रदय की बात कहना ये प्रार्थना है. किस भाषा में किया, किस शब्द में किया, किस तरीके से किया वो बहुत आवश्यक नहीं है . अपनी बात ईश्वर से आप कह रहे हैं, अपने मन की बात कह रहे हैं, अपने ह्रदय की बात कह रहे हैं तो ये प्रार्थना है. प्रार्थना के माध्यम से व्यक्ति या दूसरों की इच्छा पूर्ती का प्रयास करता है. अपनी कोई इच्छा है चाहता है कि ईश्वर रूसे पूर्ण कर दें या अपने लोगों की इच्छा है कि बेटे की इच्छा है कि पास हो जाएं, पत्नी की इच्छा है कि स्वस्थ हो जाएं, मित्र की इच्छा है कि शादी हो जाए. अपने लिए या दूसरों के लिए उनकी इच्छा पूर्ती का प्रयास करता है.

तंत्र-मंत्र और ध्यान और मन्त्रों का जप करना भी दरअसल प्रार्थना का हे एक स्वरुप है, एक तरीका है. प्रार्थना शुक्ष्म स्तर पे कार्य करती है, प्रार्थना बहुत अंतिम स्तर पे जा के बहुत मिनिमम स्तर पर जाकर कार्य करती है. और वहां से जाकर के धीरे-धीरे अपने प्रकृति को, आपके मन को बदलना शुरू कर देती है. यानि जो नेचर और जो आपका काम नहीं होने दे रहा है, एक तो प्रार्थना से उसमे बदलाव हो जाता है और कभी कभी आपका मन इतना मजबूत हो जाता है कि वो समस्या के हिसाब से ढल जाता है. दोनों की तरीके होते हैं प्रार्थना के प्रभाव के. या तो समस्या बदल जाएगी या तो आपका मन बदल जाएगा, दोनों में से एक बदलाव होता है और बहुत शुक्ष्म स्तर पर होता है. लेकिन होता जरूर है.

कभी कभी बहुत सारे लोगों के द्वारा की गई प्रार्थना बहुत जल्दी परिणाम पैदा करती है. बहुत सारे लोग एक साथ मिलकर के जब प्रार्थना करते हैं तब उसका प्रभाव बहुत जल्दी आता है. इसलिए अप देखिये हर धर्म में, हर सम्प्रदाय में एक साथ पूजा उपासना की बात के गई है. चाहे वो सनातन धर्म हो, चाहे वो इस्लाम हो, इसाई हो, सिक्ख धर्म हो, कोई भी धर्म हो उसमें अलग अलग तरीके से लेकिन एक साथ मिलकर के प्रार्थना करने के बात की गई है. जब जॉइंट रूप से, जब एक साथ हजारों लोग प्रार्थना करेंगे जो उनकी सामूहिक प्रार्थना होगी उसके परिणाम बहुत जल्दी प्रकट हो जाएंगे. ऐसी दशा में प्रकृति में तेजी से परिवर्तन होने शुरू हो जाते हैं.

जब एक साथ बहुत सारे लोग एक ही तरह की प्रर्थन करते हैं तो ईश्वर को मजबूर होना पड़ता है प्रकृति परिवर्तन करने के लीयते एयर ऐसी दशन में प्राकृत के नेचर में बदलाव होना शुरू हो जाता है. जो बड़ी समस्या आने की संभावना बंटी ह ई वो समस्या धीरे धीरे गायब हो जाती है. तो प्रार्थना काम करती है, जरूर करती है लेकिन सवाल उठता है कि प्रार्थना किस मन से किया गया है. कितने भाव से किया गया और कितनी भक्ति से किया गया जब आप प्रार्थना करते हैं छोटी-छोटी चीजों के लिए तो ईश्वर उनको पूरा करता है.

अब ये जानते हैं कि प्रार्थना स्वीकार क्यों नहीं होती? व्यवसाय की प्रार्थना और लेनदेन की प्रार्थना असफल हो जाती है. आहार और व्यवहार पर अगर आप नियंत्रण नहीं रखते तो भी प्रार्थना अस्वीकृत हो जाती है. जो लोग माता पिता और गुरू का सम्मान नहीं करते उनकी प्रार्थना भी असफल हो जाती है. अगर प्रार्थना से आपका नुकसान हो सकता है तो भी प्रार्थना अस्वीकृत हो जाती है. अतार्किक प्रार्थना भी अस्वीकृत हो जाती है. तो आखिर कैसी प्रार्थना स्वीकार करते हैं? कैसे बात सुनते हैं? क्या करें कि भगवान हमारी बात सुनें? देखिये जितने भाव से आप भगवान को पुकारेंगे, जितने ह्रदय से आप भगवान को पुकारेंगे भगवान को मजबूर होना पड़ेगा आपके पास आने के लिए. आपकी प्रार्थना सुनने के लिए.

नियम क्या हैं प्रार्थना के

सही तरीके से और आप भाव से प्रार्थना करते हैं तो जीवन में चमत्कारिक आ सकती है. प्रार्थना सरल होनी चाहिए और सही तरीके से करनी चाहिए. आप ढेर सारे मंत्र पढ़ते रहिये और ढेर सारे श्लोक पढ़ते रहिये उससे प्रार्थना नहीं होती है. प्रार्थना होती है ह्रदय से. प्रार्थना ऐसे करें कि आप अपनी बात आसानी से कह सकें. शांत वातावरण में, विशेषकर मध्य रात्रि में प्रार्थना जल्दी स्वीकार होती है. प्रार्थना एकांत में कारें और निश्चित समय पर करें तो ज्यादा लाभ होगा. दूसरों को नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से या अतार्किक प्रार्थना न करें. दूसरों के लिए प्रार्थना करनी हो तो पहले उस व्यक्ति का चिंतन करें. चिंतन के बाद प्रार्थना की शुरुआत करें.

प्रार्थना करने का सही तरीका

एकांत स्थान में बैठिये, अपनी रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखिये. आराम से बैठ जाइए. पलंग पर बैठ जाइये, कुर्सी पर बैठिये जमीन पर बैठिये. आराम से बैठ जाइए. पहले अपने इष्ट देव का या अपने गुरू का या अगर कोई गुरू नहीं है तो जिस भगवान को मानते हैं उनका ध्यान कीजिये और उसके बाद जो प्रार्थना करनी है वो प्रार्थना ईश्वर से सरल शब्दों में कीजिये. साथ ही अपनी प्रार्थना को गोपनीय रखिये. ये बात सबको मत बताइए. ये बात आपके और ईश्वर के बीच की है.

जरुरी नहीं है कि आपकी हर बात आप सबको बताएं. ये बात आपके और ईश्वर के बीच की गोपनीय बात है न तो इसको अपने मन में रखना ज्यादा बेहतर होगा. जब भी मौका मिले आप अपनी ऑंखें बंद करके अपनी प्रार्थना ईश्वर के समक्ष दोहराते रहें. यकीन मानिये निरंतर प्रर्थना करने से ईश्वर का ह्रदय पिघलेगा और आपकी प्रार्थना पूर्ण होगी. बशर्ते कि उस प्रार्थना से आपको नुकसान होने वाला न हो. क्योंकि अगर प्रार्थना पूरा हो जाने से आपको नुकसान हो सकता हो या कोई दिक्कत आ सकती हो तो ऐसी प्रार्थना को ईश्वर पूरा नहीं करते हैं.

अगर आप सुबह शाम प्रार्थना करेंगे. आपका मन शुद्ध होगा. और यकीन मानिए ईश्वर तो सब जानते हैं आप प्रार्थना करे या न करें उन्हें पता है कि आपको जरुरत किस बात की है. लेकिन फिर भी जब आप कहेंगे तो उन्हें बहुत अच्छा लगेगा.कि मेरा अपना बेटा है या बेटी है अपनी बात कह रही है मुझे सुनना चाहिए. तो प्रार्थना बहुत ही चमत्कारी चीज है और अगर ह्रदय से की जाए तो प्रार्थना पूरी अवश्य होती है.

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