Kya Aapko Pata Hai Chocolate Kaise Banta Hai In Hindi |  चॉकलेट का निर्माण कैसे होता है?

चॉकलेट कैसे उगाया और काटा जाता है? | Chocolate History In India

Kya Aapko Pata Hai Chocolate Kaise Banta Hai In Hindi

फैक्ट्री में चॉकलेट कैसे बनती है: How Chocolate Is Made In Factory
क्या कोको पाउडर से चॉकलेट बनाई जा सकती है?
भारत में चॉकलेट की शुरुआत किसने की?

शायद ही हम में से कोई होगा जिसको चॉकलेट पसंद न हो। बाजार में चॉकलेट के कई सारे ब्रांड मौजूद हैं, जो चॉकलेट के साथ अन्य फ्लेवर भी मिक्स करके चॉकलेट बेचते हैं। घरों में भी हम चॉकलेट की कई सारी स्वादिष्ट चीजे बनाते हैं। इसके अलावा चॉकलेट की बात हो तो चॉकलेट केक को कैसे भूल सकते हैं। लेकिन क्या आपने कभी चॉकलेट खरीदते या खाते समय सोचा है कि आखिर ये चॉकलेट आती कहां से है या कैसे बनायी जाती है। आइये इस मखमली और स्वादिष्ट चॉकलेट के बनने के प्रोसेस को विस्तार  हैं।  चॉकलेट को ककाओ नाम के एक फल से बनाया जाता है। लेकिन अब सवाल आता है कि इस फल से चॉकलेट बनती कैसे है और इस फल को कहां उगाया जाता है। चॉकलेट को विदेशी फल थियोब्रोमा कोको से प्राप्त किया जाता है।इन फलों को काकाओ पॉट्स कहा जाता है जिनके अंदर बीन्स होते हैं जिससे कोको पाउडर और कोको बटर बनाया जाता है।

Kya Aapko Pata Hai Chocolate Kaise Banta Hai In Hindi

भारत में चॉकलेट का इतिहास

सबसे पहले हम जानते हैं कि भारत में चॉकलेट का क्या इतिहास है। बताया जाता है कि यह फल ब्रिटिशर्स के द्वारा 1798 में भारत आया, उन्होंने दक्षिण क्रिओलो प्रकार के कोको के आठ बागान स्थापित करके भारत में कोको की खेती की शुरुआत की। 1960 के दशक के मध्य में केरल में कोको की खेती एक गंभीर कृषि गतिविधि बन गई। वर्तमान में भी  कोको मुख्यत: केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडू में उगाये जाते हैं। अब समझते हैं कि कोको बीन्स से पाउडर और बटर के बनाने की प्रक्रिया क्या है? 

ककाओ से कोको पाउडर और बटर बनाने की प्रक्रिया 

ककाओ से कोको पाउडर और बटर बनाने की प्रक्रिया 

जैसा कि हमने बताया कि कोको पाउडर को ककाओ पॉड्स के बीज से प्राप्त किया जाता है। जब  ककाओ फलियों में येलो और ऑरेंज कलर आ जाता है तब इन्हे आगे के प्रोसेस के लिए तैयार माना जाता है। इसके बाद इन पॉड्स को तोड़कर या काटकर बीन्स या बीजों को बाहर निकला जाता है। ये बीज ओलिव के साइज़ के होते हैं। इसके बाद इन बीजों को गर्म और बंद जगह पर रखकर इनका फर्मेंटेशन का प्रोसेस होता है। इसके बाद इन्हे सुखाया और रोस्ट किया जाता है। इन फलियों को रोस्ट करने से इन्हे चॉकलेट वाला अरोमा मिलता है। इसके बाद बाहरी हिस्से यानी शेल को पील किया जाता है। आपको बता दें कि पील करने के लिए एक बड़ी विनोइंग मशीन में डालकर इन्हे पास किया जाता है। इन प्रक्रिया में एक छलनी के द्वारा टूटे हुए टुकड़ों को बड़े और छोटे दानों में अलग किया जाता है। इनमें से ही पंखे की मदद से पतले और हल्के शेल्स को अलग इकट्ठा किया जाता है। इन्ही छोटे, पतले और हल्के टुकड़ों को 8-10 किस्मों को मिलाया जाता है  जो चॉकलेट की अलग-अलग वैरायटी में स्वाद लाता है।

क्या है चॉकलेट लिकर

क्या है चॉकलेट लिकर

इसके बाद इन्हे ठंडा होने के बाद पीसा जाता जिससे यह एक एक पेस्ट जैसा बनकर तैयार होता है, वे टुकड़े जिनमें 53% कोको बटर होता है वो एक रिफाइनरी मिल से गुजरता है। जिससे मिलने वाले पेस्ट और साथ में निकलने वाले कोको बटर में एक खास सुगंध और वैल्युएबल फैट होता है। बटर के अलग होने के बाद एक बार फिर से इसे ग्राइंडर में डालकर पीसा जाता है, जिससे हमे मिलता है कोको पाउडर। कोको बटर का जब फैट पिघलता है तो तो उस फॉर्म को चॉकलेट लिकर कहते हैं। इस लिक्विड को जब सांचों में डाला जाता है और सेट किया जाता है तब जो केक बनता है लेकिन यह मीठा नहीं बल्कि कड़वा होता है।

ऐसे मिलता है चॉकलेट को अल्टीमेट स्वाद

ऐसे मिलता है चॉकलेट को अल्टीमेट स्वाद

इसमें कई अन्य सामग्री मिलकर आपकी टेस्टी चॉकलेट बनकर तैयार होती है। अगर-अलग कोको पेस्ट और अन्य इंग्रीडिएंट्स को मिलाकर एक अच्छा और अल्टीमेट स्वाद तैयार होता है। सारे इंग्रीडिएंट्स को रोटेटिंग और नींडिग टूल्स के साथ मिक्स किया जाता है। इसके बाद चॉकलेट पेस्ट को गूंथा जाता है और यह प्रोसेस कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक चलता है। आखिर में चॉकलेट की टेम्परिंग की जाती है। ससे चॉकलेट को फाइनल और डेलिकेट कंपोजिशन मिलती है। सही स्ट्रक्चर और फ्लेवर मिलता है। इसमें चॉकलेट को धीरे-धीरे एक निश्चित तापमान पर लाया जाता है। 




 

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