अंतिम जीवित स्वतंत्र तिब्बत अधिकारी का 102 साल की उम्र में निधन

धर्मशाला, 14 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) ने शुक्रवार को कहा कि सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सिविल सेवकों में से एक और स्वतंत्र तिब्बत के अंतिम जीवित सरकारी अधिकारी त्सेद्रुंग ग्यालत्सेन चोडेन का 102 वर्ष की आयु में संयुक्त राज्य अमेरिका में निधन हो गया।
अंतिम जीवित स्वतंत्र तिब्बत अधिकारी का 102 साल की उम्र में निधन
अंतिम जीवित स्वतंत्र तिब्बत अधिकारी का 102 साल की उम्र में निधन धर्मशाला, 14 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) ने शुक्रवार को कहा कि सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सिविल सेवकों में से एक और स्वतंत्र तिब्बत के अंतिम जीवित सरकारी अधिकारी त्सेद्रुंग ग्यालत्सेन चोडेन का 102 वर्ष की आयु में संयुक्त राज्य अमेरिका में निधन हो गया।

उनके निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए 12 जनवरी को यहां कशाग सचिवालय में एक प्रार्थना सभा आयोजित की गई थी, जिसमें सीटीए अध्यक्ष पेनपा त्सेरिंग सहित अन्य लोग शामिल हुए थे।

मृतक के लिए स्तुति करते हुए, त्सेरिंग ने कहा, हम आज यहां कुंगो ग्यालत्सेन चोडेन ला के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए एकत्र हुए हैं, जो संभवत: 1959 से पहले एक स्वतंत्र तिब्बत के अंतिम जीवित सरकारी अधिकारी थे।

उन्होंने छोटी उम्र से ही तिब्बती सरकार की सेवा की। उन्होंने कहा कि निर्वासन में आने के बाद, उन्होंने अपने पूरे जीवन के लिए विभिन्न क्षमताओं में निर्वासन सरकार की सेवा की।

वह सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले तिब्बती सिविल सेवकों में से एक थे और हम उनके परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। हम मानते हैं कि उन्होंने तिब्बती लोगों की सेवा करने और परम पावन दलाई लामा की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए वास्तव में एक सार्थक जीवन जिया है।

सीटीए के अनुसार, चोडेन का जन्म 1920 में ल्हासा के पास मेदो गोंगकर में हुआ था। उनके पिता जंगचुप फुंटसोक और माता केल्सांग डोलमा थी। वह चार भाई- बहनों में तीसरे नंबर पर थे। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा 1930 से शुरू की थी।

1935 में, वह बौद्ध धर्मशास्त्र और दर्शन का अध्ययन करने के लिए ताशी ल्हुनपो मठ में शामिल हुए।

1946 में, उन्हें एक लेखाकार के रूप में चुना गया था। वे 1959 में निर्वासन में आए और 1992 में सक्रिय सेवा से सेवानिवृत्त हुए।

दलाई लामा 1959 में अपनी मातृभूमि तिब्बत से भागने के बाद से भारत में रह रहे हैं। निर्वासित सरकार हिमाचल प्रदेश के इस उत्तरी पहाड़ी शहर धर्मशाला में स्थित है।

--आईएएएनएस

एचके/आरजेएस

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