एनसीपीसीआर: बच्चों की सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां पेश कर रहे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म

लखनऊ, 4 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) का मानना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बच्चों की सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां पेश कर रहे हैं।
एनसीपीसीआर: बच्चों की सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां पेश कर रहे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
एनसीपीसीआर: बच्चों की सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां पेश कर रहे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लखनऊ, 4 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) का मानना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बच्चों की सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां पेश कर रहे हैं।

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बच्चों को मैनिपुलेटिड (दिमागी तौर पर नियंत्रित) किया जा रहा है, जिसे तकनीकी रूप से ग्रूमिंग के रूप में जाना जाता है और ये एजेंसियां सहयोग करने के लिए तैयार नहीं हैं। सरकार चाहती है कि ये कंपनियां माता-पिता या अभिभावकों को सोशल मीडिया पर बच्चों के अकाउंट्स तक पहुंचने का अधिकार दें।

यह दावा करते हुए कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने फिशिंग, ग्रूमिंग, साइबर बुलिंग आदि जैसी चिंताओं से अनभिज्ञ रहना चुना है, उन्होंने कहा, हम उन्हें अजनबियों को अधिकार देने के लिए नहीं कह रहे हैं और इसलिए माता-पिता को अपने बच्चों के सोशल मीडिया के उपयोग की निगरानी के लिए उलझाने पर उनकी लापरवाही चौंकाने वाली और अस्वीकार्य है।

उन्होंने माता-पिता से अपने बच्चे की ऑनलाइन गतिविधि के बारे में अतिरिक्त सतर्क रहने को कहा।

कानूनगो ने कहा, डीप वेब और डार्क वेब की दुनिया उनकी समझ से भी अधिक गंदी है। उन्हें अपने बच्चों को जोखिम से बचाने के लिए खुद को शिक्षित करना चाहिए। हमारे पास सोशल मीडिया पर युवा लड़कियों और लड़कों के आकर्षण को तस्करी नेटवर्क से जोड़ने के कई उदाहरण हैं।

एक उदाहरण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, हाल ही में कोलकाता की एक युवा लड़की, जिसने अपने गाने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए थे, को एक संगीत निर्देशक के रूप में खुद को प्रस्तुत करने का लालच दिया गया था। उस लड़की को इंदौर के पास से बचाया गया था।

कानूनगो ने आगे कहा कि सेक्सटिंग और स्वयं साझा अश्लील सामग्री का आदान-प्रदान सबसे आम अपराध के रूप में उभर रहा है।

पिछले कुछ वर्षों में एनसीपीसीआर की उपलब्धियों के बारे में बात करते हुए कानूनगो ने कहा, कुछ चीजें जो मेरे काम को बेहद संतोषजनक बनाती हैं, उनमें देश के सभी बाल गृहों का सोशल ऑडिट करने में सक्षम होना शामिल है। इसके अलावा आयोग की ओर से 1.45 लाख से अधिक बच्चों को उनके अपने घरों से कनेक्ट करने में सक्षम होना शामिल है। हम सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए एक नीति तैयार करने और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चों को स्कूलों में प्रवेश के लिए प्रेरित करने में सक्षम हैं।

एनसीपीसीआर प्रमुख ने कोविड-19 के दौरान हुए अनाथों पर अपनी रणनीति के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की सराहना की।

उन्होंने कहा, यूपी ने कोविड-19 अनाथों के हितों की रक्षा के लिए जो किया है, वह उल्लेखनीय रहा है और अन्य राज्यों को इसका पालन करना चाहिए।

--आईएएनएस

एकेके/एएनएम

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