खेतों में ट्रैक्टर चलाने वाली लड़की के खिलाफ पंचायत का फतवा, लड़की बोली-करती रहूंगी यह काम

रांची, 4 अगस्त (आईएएनएस)। गांव की एक लड़की ने अपने खेतों में ट्रैक्टर चलाया तो रूढ़ियों में जकड़े गांव वालों को उसका यह साहस बर्दाश्त न हुआ। उन्होंने पंचायत बुलाकर लड़की पर जुर्माना लगाया। पंचायत ने हुक्म सुनाया है कि लड़की जुर्माना नहीं देती और माफी नहीं मांगती तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जायेगा। पर उस साहसी लड़की ने भी तय कर लिया है कि वह पंचायत के किसी भी फतवे और फरमान की फिक्र किये बगैर खुद को एक सफल प्रगतिशील किसान के तौर पर स्थापित करेगी। यह वाकया झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत सिसई ब्लॉक के डहू टोली गांव का है।
खेतों में ट्रैक्टर चलाने वाली लड़की के खिलाफ पंचायत का फतवा, लड़की बोली-करती रहूंगी यह काम
खेतों में ट्रैक्टर चलाने वाली लड़की के खिलाफ पंचायत का फतवा, लड़की बोली-करती रहूंगी यह काम रांची, 4 अगस्त (आईएएनएस)। गांव की एक लड़की ने अपने खेतों में ट्रैक्टर चलाया तो रूढ़ियों में जकड़े गांव वालों को उसका यह साहस बर्दाश्त न हुआ। उन्होंने पंचायत बुलाकर लड़की पर जुर्माना लगाया। पंचायत ने हुक्म सुनाया है कि लड़की जुर्माना नहीं देती और माफी नहीं मांगती तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जायेगा। पर उस साहसी लड़की ने भी तय कर लिया है कि वह पंचायत के किसी भी फतवे और फरमान की फिक्र किये बगैर खुद को एक सफल प्रगतिशील किसान के तौर पर स्थापित करेगी। यह वाकया झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत सिसई ब्लॉक के डहू टोली गांव का है।

पंचायत के फरमान के खिलाफ तनकर खड़ी हुई इस लड़की का नाम है मंजू उरांव। वह गुमला के कार्तिक उरांव कॉलेज में बी.ए. पार्ट वन की छात्रा है। मंजू के माता-पिता किसान हैं। परिवार के पास छह एकड़ खेती लायक जमीन है। वर्षों से परिवार के लोग पारंपरिक तरीके से खेती करते आ रहे हैं। न सिंचाई की सुविधा और न खेती की नई तकनीकों का ज्ञान। इससे घर-गृहस्थी किसी तरह चल रही थी। मंजू ने तय किया कि पारंपरिक र्ढे को बदलकर नई तकनीक से खेती करेगी। उसके कहने पर दो साल पहले परिवार ने गांव में करीब और 10 एकड़ जमीन लीज पर ली। धान, मकई, टमाटर, आलू और अन्य फसलों की खेती से अच्छा फायदा हुआ तो मंजू ने इस साल खेती के लिए एक पुराना ट्रैक्टर खरीद लिया। पिछले दिनों वह खुद ट्रैक्टर लेकर अपने खेतों की जुताई पर निकल पड़ी। गांव में अब तक ऐसा साहस किसी महिला ने नहीं किया था। यह बात रूढ़िवादी सोच में जकड़े गांव वालों को नागवार गुजरी है। बीते मंगलवार को गांव में पंचायत बुलायी गयी। सैकड़ों स्त्री-पुरुष जमा हुए। सबने एक स्वर में कहा कि किसी लड़की ने आज तक खेतों की जुताई नहीं की। मंजू ने यह नियम तोड़ा है। यह अपशकुन है। इससे गांव पर आफत आ सकती है। अकाल पड़ने और महामारी फैलने का खतरा है। पंचायत ने मंजू पर जुर्माना लगाने और माफी मांगने का हुक्म सुनाया। कहा गया कि ऐसा न करने पर उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जायेगा।

मंजू को पंचायत के इस फरमान की खबर मिली तो उसने दो-टूक जवाब दिया कि वह हर हाल में खेती-किसानी जारी रखेगी। उसने आईएएनएस को बताया कि सफल और प्रगतिशील किसान बनना उसका सपना है। उसने और उसके पिता दोनों ने किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन किया था, लेकिन कर्ज नहीं मिला। यह सहायता मिल जाती तो खेती के लिए सिंचाई से लेकर पूंजी और संसाधनों की व्यवस्था आसान हो जाती। वह कहती हैं- लड़की हूं तो क्या हुआ? आज बेटियां आसमान की ऊंचाई माप रही हैं। मैं जमीन पर खेती कर रही हूं तो यह गुनाह कैसे हो गया? समझने की जरूरत मुझे नहीं, मेरे खिलाफ फैसला देने वालों को है। मैं अपना काम करती रहूंगी।

--आईएएनएस

एसएनसी/एएनएम

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