गलवान के शहीद की याद में घरवालों ने बनाया खूबसूरत स्मृति पार्क और स्कूल, गांव के लिए पानी टंकी भी बनवा रहे

जमशेदपुर, 23 जून (आईएएनएस)। गलवान घाटी में चीनी सेना से लोहा लेते शहीद हुए झारखंड के बहरागोड़ा निवासी गणेश हांसदा की याद में उनके घर के लोगों ने साढ़े बाईस लाख रुपये खर्च कर खूबसूरत स्मृति पार्क और स्कूल का निर्माण कराया है। पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत बहरागोड़ा के कोसाफलिया गांव में बनाया गया यह पार्क उनकी शहादत की दूसरी बरसी पर बीते 16 जून को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है।
गलवान के शहीद की याद में घरवालों ने बनाया खूबसूरत स्मृति पार्क और स्कूल, गांव के लिए पानी टंकी भी बनवा रहे
गलवान के शहीद की याद में घरवालों ने बनाया खूबसूरत स्मृति पार्क और स्कूल, गांव के लिए पानी टंकी भी बनवा रहे जमशेदपुर, 23 जून (आईएएनएस)। गलवान घाटी में चीनी सेना से लोहा लेते शहीद हुए झारखंड के बहरागोड़ा निवासी गणेश हांसदा की याद में उनके घर के लोगों ने साढ़े बाईस लाख रुपये खर्च कर खूबसूरत स्मृति पार्क और स्कूल का निर्माण कराया है। पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत बहरागोड़ा के कोसाफलिया गांव में बनाया गया यह पार्क उनकी शहादत की दूसरी बरसी पर बीते 16 जून को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है।

पार्क का निर्माण गणेश हांसदा की शहादत पर सरकार और सेना से मिली राशि से किया गया है। इतना ही नहीं, गांव में पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए शहीद का परिवार 20 हजार लीटर की क्षमता वाले पानी टंकी का भी निर्माण करा रहा है।

शहीद गणेश हांसदा के भाई दिनेश हांसदा कहते हैं, मेरे भाई की चाहत थी कि गांव में हर तरह की जरूरी सुविधाएं मौजूद हों। गांव के बच्चे पढ़े-लिखें और उनका भविष्य बेहतर हो। वह खुद पढ़ाई में बचपन से बेहद होशियार था। मैट्रिक प्रथम श्रेणी में पास करने के बाद इंटर की पढ़ाई के दौरान ही वह सेना में भर्ती हो गया था। दो साल तक सेना की सेवा करते हुए उसने सरहद पर शहादत दे दी। उनके सपनों को गांव की धरती पर उतारने के लिए जितना कुछ बन सकेगा, हम जरूर करेंगे।

मात्र 23 वर्ष की उम्र में शहीद हुए गणेश हांसदा के पिता सुबदा हांसदा किसान और मां गृहणी हैं। बड़े भाई दिनेश हांसदा गांव में ही रहकर खेती-बाड़ी करते हैं। दिनेश बताते हैं हमलोग उसकी शादी की तैयारी कर रहे थे। मां ने उसके लिए लड़की भी देखी थी। हम सभी को खुशी के इस मौके का इंतजार था, लेकिन 16 जून 2020 को गलवान घाटी से उसकी शहादत की खबर आयी तो हमारे पांवों के नीचे की जमीन खिसक गयी।

शहादत के तीन दिन बाद जब गणेश हांसदा ताबूत में तिरंगे में लिपटकर आये थे तो उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोग उमड़ पड़े थे। उसी रोज उनके घर के लोगों ने संकल्प लिया था कि गांव की माटी में शहीद बेटे की स्मृति में अमर निशानी बनाये थे। शहादत के ठीक दो साल बाद जिस क्षण पार्क में उनकी प्रतिमा का अनावरण हुआ, तब मां-पिता, भाई सबकी आंखें नम हो उठीं।

गांव में बनाया गया स्मृति पार्क बेहद खूबसूरत है। यहां शहीद गणेश हांसदा के साथ-साथ भारत माता की प्रतिमा, शहीद वेदी और अमर जवान ज्योति का प्रतीक भी बनाया गया है। एक छोटा सा म्यूजियम भी बनाया गया है, जहां लोगों को जवानों की शहादत की स्मृतियों को प्रदर्शित किया जायेगा।

इस पार्क का लोकार्पण बीते 16 जून को कैबिनेट मंत्री चंपई सोरेन के हाथों हुआ। इसके बाद से हर रोज बड़ी संख्या में लोग स्मृति पार्क पहुंच रहे हैं। पार्क की हरियाली, यहां लगाये गये तरह-तरह फूल और खूबसूरत सज्जा लोगों को खूब लुभा रही है। घरवालों को इस बात का दुख है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पार्क के लोकार्पण कार्यक्रम में आने का वादा किया था, लेकिन वह नहीं आये। कार्यक्रम के दिन उन्होंने अधिकारियों और मंत्री के समक्ष इसपर नाराजगी का इजहार भी किया।

दरअसल, शहीद का परिवार राज्य सरकार की ओर से किए गये वादे अब तक पूरे न होने से भी आहत है। राज्य सरकार की ओर से शहीद के परिजनों को उनकी पसंद के स्थान पर नि:शुल्क भूखण्ड देने और पेट्रोल पंप दिलाने के लिए केंद्र सरकार से अनुशंसा का वादा किया गया था। ये वादे आज तक पूरे नहीं हुए।

--आईएएनएस

एसएनसी/एएनएम

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