दिल्ली आशा वर्कर्स का न्यूनतम वेतन, इंसेटिव में बढ़ोतरी को लेकर सीएम आवास पर प्रदर्शन

नई दिल्ली, 15 सितम्बर (आईएएनएस)। दिल्ली आशा वर्कर एसोसिएशन (दावा) यूनियन के आह्वान पर सैकड़ों आशा वर्कर्स ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल आवास पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। इस दौरान लगभग 3000 हजार आशाओं का हक्ताक्षर 10 सूत्री मांग पत्र भी मुख्यमंत्री का नाम दिया।
दिल्ली आशा वर्कर्स का न्यूनतम वेतन, इंसेटिव में बढ़ोतरी को लेकर सीएम आवास पर प्रदर्शन
दिल्ली आशा वर्कर्स का न्यूनतम वेतन, इंसेटिव में बढ़ोतरी को लेकर सीएम आवास पर प्रदर्शन नई दिल्ली, 15 सितम्बर (आईएएनएस)। दिल्ली आशा वर्कर एसोसिएशन (दावा) यूनियन के आह्वान पर सैकड़ों आशा वर्कर्स ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल आवास पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। इस दौरान लगभग 3000 हजार आशाओं का हक्ताक्षर 10 सूत्री मांग पत्र भी मुख्यमंत्री का नाम दिया।

हालांकि आशा वर्कर्स ने यह भी साफ कर दिया है कि अभी 24 सितम्बर को एक दिन की हड़ताल करेंगे। फिर भी यदि हमारी मांगे पूरी नहीं की जाती हैं तो हम अनिश्चितकालीन हड़ताल भी करेंगे।

आशा वर्कर्स की प्रमुख मांगे हैं कि, आशा वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। कोर इंसेंटिव को पॉइंट मुक्त करके कम से कम रुपये 15000 रुपये व सभी इंसेंटिव की राशि को 3 गुना किया जाए या दिल्ली सरकार के कुशल मजदूर के बराबर 21 हजार रुपये वेतन दिया जाए।

वहीं सितंबर 2019 मे प्रधानमंत्री मोदीजी द्वारा आशाओं के इंसेंटिव को दुगुना करने की घोषणा को दिल्ली सरकार अपने स्तर पर लागू करे और आशा वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा के दायरे मे लाकर ग्रेज्युटी, पेंशन, मातृत्व व चिकित्सा लाभ दिए जाएं।

पश्चिम बंगाल आशा वर्कर्स की नेत्री महासचिव इस्मत आरा खातून ने सम्बोधित करते हुए कहा कि, कोविड-19 महामारी में आशाओं ने कोविड जांच, मरीज का होम आइसोलेशन, हॉस्पिटल पहुंचाने, एंबुलेंस अरेंजमेंट, मरीज के घर पर दवाइयां पहुंचाने, कंटेनमेंट जोन में सर्वे आदि सभी काम किये, 18-18 घण्टे तक काम किया।

परंतु देखने में आया कि केंद्र की मोदी सरकार से लेकर राज्य सरकारों का आशाओं के प्रति रवैया पूरी तरह से नकारात्मक था। उनके साथ गुलामों से भी बुरा व्यवहार किया गया। जहां आशाओं को कम से कम 750 रुपये प्रतिदिन दिए जाने चाहिए थे वहां उनको 33 रुपये दिए गए। यह भी अधिकांश आशाओं को नहीं दिए गए।

उन्होंने आगे कहा कि, आशाओं के स्वास्थ्य की कोई चिन्ता नहीं की गई, कोविड में सैकड़ों आशाओं की जान चली गई।

दावा यूनियन की नेता कविता सिंह ने सम्बोधित करते हुए कहा कि दिल्ली की आशाओं को कोविड काल में भी आंदोलन करना पड़ा। 7 अप्रैल को आंदोलन के दबाव में दिल्ली सरकार को कुछ राहत के लिए घोषणा करनी पड़ी। उनको भी प्रशासन ने ठीक से लागू नहीं किया। शिकायत करने पर आशाओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया। आज भी नए नए काम करवाये जा रहे हैं उनका सही इंसेंटिव नहीं दिया जा रहा है। अत: आशाओं को फिर से आंदोलन के रास्ते पर आना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि, हमने 10 सूत्री मांग पत्र दिया है। इसको लेकर हम अभी 24 सितम्बर को एक दिन की हड़ताल करेंगे। फिर भी यदि हमारी मांगे पूरी नहीं की जाती हैं तो हम अनिश्चितकालीन हड़ताल भी करेंगे।

--आईएएनएस

एमएसके/एएनएम

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