यूपी में गन्ने को संजीवनी देगी पंचामृत योजना

लखनऊ, 6 अगस्त (आईएएनएस)। यूपी सरकार ने गन्ने की उपज बढ़ाने के लिए पंचामृत योजना शुरू की है जो न सिर्फ किसानों की खेतीबाड़ी की पांच विधियों को बखूबी से समझाएगा, बल्कि अधिक उत्पादन देकर गन्ना किसानों की आय दोगुनी करेगी। यह किसानों को संजीवनी के रूप में काम करेगी।
यूपी में गन्ने को संजीवनी देगी पंचामृत योजना
यूपी में गन्ने को संजीवनी देगी पंचामृत योजना लखनऊ, 6 अगस्त (आईएएनएस)। यूपी सरकार ने गन्ने की उपज बढ़ाने के लिए पंचामृत योजना शुरू की है जो न सिर्फ किसानों की खेतीबाड़ी की पांच विधियों को बखूबी से समझाएगा, बल्कि अधिक उत्पादन देकर गन्ना किसानों की आय दोगुनी करेगी। यह किसानों को संजीवनी के रूप में काम करेगी।

गन्ने की खेती में नई तकनीक का प्रयोग कर उपज बढ़ाने के लिए गन्ना विभाग ने पंचामृत नाम से एक नई योजना शुरू की है। इसमें गन्ना बोआई की आधुनिक विधा ट्रेंच, पेड़ी प्रबंधन, ड्रिप इरीगेशन, मल्चिंग और सहफसल शामिल है। इसके नाते ही इसे पंचामृत नाम दिया गया है। इसमें हर चीज का अपना लाभ है। मसलन ड्रिप इरीगेशन से पानी की खपत 50 से 60 फीसद कम हो जाएगी। जरूरत के अनुसार नमीं बरकरार रहने से पौधों की बढ़वार अच्छी होगी। पत्तियां मल्चिंग के काम आने से इनको जलाने और इससे होने वाले प्रदूषण की समस्या हल हो जाएगी। कालांतर में ये पत्तियां सड़कर खाद के रूप में खेत को प्राकृतिक रूप से उर्वर बनाएंगी।

कृषि विषेषज्ञों की मानें तो शरदकालीन गन्ने की खेती के लिए 15 सितम्बर से लेकर 30 नवम्बर तक का समय उपयुक्त होता है। इस सीजन के गन्ने की फसल का उपज भी बसंतकालीन गन्ने की खेती की तुलना में अधिक होता है। इस सीजन में बोए जाने वाले गन्ने के साथ किसान गन्ने की दो लाइनों के बीच आलू, गोभी, धनिया, मटर, लहसुन, टमाटर और गेंहू की सहफसली खेती कर सकते हैं। शर्त यह है कि इन फसलों के लिए अतिरिक्त पोषक तत्व अलग से दें। इससे गन्ने की खेती की लागत निकल जाएगी। गन्ने की खेती से होने वाली आय अतरिक्त होगी। इस तरह किसानों की आय बढ़ जाएगी। पंचामृत विधा से जिन प्लाटों पर खेती की जाएगी उन्हें ही आदर्श मॉडल के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा।

आदर्श मॉडल प्लाटों की स्थापना हेतु शरदकालीन बुवाई का समय महत्वपूर्ण है तथा इस बुआई के अन्तर्गत प्रारम्भिक तौर पर प्रदेश में कुल 2028 कृषकों का चयन कर गन्ना खेती के आदर्श माडल प्लाट का लक्ष्य निर्धारित किया जा रहा है। इस प्लाट का रकबा 0.5 हेक्टेयर होगा। ऐसे प्रदर्शनों का मकसद यह होता है कि क्षेत्र के बाकी किसान भी इसे देखें और अपनाएं। इसीलिए इस तरह के डिमांस्ट्रेशन प्रदेश के हर क्षेत्र में होंगे। पंचामृत योजना के अन्तर्गत समन्वित पद्धतियों एवं विधियों के लिए जिलेवार अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं।

गन्ना किसानों को गन्ने की सहफसली खेती और ट्रेंच विधि से की जाने वाली खेती को बढ़ावा देने वाली पंचामृत योजना अपनाने को प्रेरित किया जा रहा है। किसान इस योजना को अपना भी रहे हैं। शरद कालीन गन्ने की बुवाई करने वाले किसानों को जागरुक करने के लिए जिला गन्ना अधिकारी से लेकर गन्ना विभाग के अन्य अधिकारी गांव गांव किसानों के बीच जाकर उनको इस विधा के प्रति जागरूक कर रहे हैं। यह भी बता रहे हैं कि इस विधा से बेहतर उत्पादन लेने वाले कुछ किसानों को विभाग सम्मानित भी करेगा।

कृषि विषेषज्ञ अमोदकांत मिश्र कहते हैं कि प्रदेश में गन्ना किसानों की संख्या को देखते हुए गन्ने की खेती की लागत को कम करना और समय से गन्ना मूल्य भुगतान जरूरी हो जाता है। उन्होंने कहा कि इंटरक्रापिंग के रूप में अगर दलहन की फसल लेते हैं नाइट्रोजन फिक्सेशन के साथ प्रोट्रीन का अतरिक्त श्रोत मिल जाता है।

--आईएएनएस

विकेटी/एसकेपी

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