Happy life tips जीवन मे खुश रहने के क्या हैं उपाय , आध्यात्मिकता का जीवन पर कैसे होता है असर

प्रवचन

 ध्यान और भजन ही समग्र जीवन के कल्याण का आधार: अम्बरीष
(आर एल पाण्डेय)

लखनऊ। शिव सत्संग मण्डल के केंद्रीय संयोजक अम्बरीष कुमार सक्सेना ने कहा कि ध्यान और भजन ही समग्र जीवन के कल्याण का आधार है।आध्यात्मिक शिक्षा ही मूल्यनिष्ठ समाज की संरचना में सहायक है। ध्यान भजन ही हमें सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण बनाता है।स्वामी विवेकानंद , महात्मा बुद्ध , आद्य शंकरचार्य समेत अनेक साधक प्रभु ध्यान भजन और आत्मचिंतन से महान बने।आचरण की पवित्रता के लिए दस शील यानि सत्य , अहिंसा , अस्तेय , अपरिग्रह , ब्रह्मचर्य , त्याग , तपस्या ,संयम ,वैराग्य ,और चित्त की एकाग्रता का अनुपालन करना चाहिए।


सिकंदरपुर कल्लू गांव स्थित बसन्त लाल के आवासीय परिसर  में आयोजित आध्यात्मिक सत्संग में उन्होंने ने कहा कि सत्संग मण्डल पूरे समाज को ज्ञान दे रहा है।श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रभु निराकार , सर्वशक्तिमान , सर्वज्ञ , सर्वव्यापी , अखंड , अज़र अमर , शाश्वत सत्य और अविनाशी है।उसका अवतार आदि नहीं होता।


ईश्वर एक है।तो फिर इतने अधिक मत मतान्तर , धर्म पंथ मान्यताएं आदि क्यों ?उन्होंने ग्रंथो के आधार पर शिव महिमा का गुणगान किया।

शिव नाम से परमात्मा का स्मरण करने से शांति स्थापित होती है 

कहा कि मण्डल ने जो सामाजिक चेतना जगाई है , वह अनुकरणीय है।हर बात को यहाँ ज्ञान विज्ञान के आधार पर आगे बढ़ाया जाता है।उन्होंने कहा कि शिव नाम से परमात्मा का स्मरण करने से जीवन में शांति स्थापित होती है। जब हमें स्वयं का आत्मिक बोध हो जाता है , तो बाहरी भय समाप्त हो जाता है।उन्होंने सभी से शाकाहार अपनाने का आह्वान किया।उन्होंने महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग को स्वस्थ जीवन शैली और साधना के लिए आवश्यक बताया।

खुश कैसे रहें ?

खुशनुमा जीवन जीने के लिए संबंधों में स्नेह और समरसता जरूरी है।संबंधों में सदभाव हमारी मजबूती है।जहाँ शक्ति और शांति है , वहां निरंतर ख़ुशी है।मन के व्यर्थ विचारों को हटाकर ही हम एक उपवन जैसा सुन्दर जीवन व्यतीत कर सकते हैं। मण्डल के संयोजक ने कहा कि शक्तिशाली मन जीवन को ऊर्जा से भर देता है।कमजोर मन हमारी खुशियों को गायब कर देता है।स्वामी दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश के माध्यम से आडम्बरों एवं पाखण्ड का खंडन किया।

मानवीयता आध्यात्मिकता से आती है 

कहा कि मानवीय मूल्यों का अभाव होने से जीवन दूभर हो जाता है। जीवन में मानवीयता , आध्यात्मिकता से आती है।
कहा कि पारिवारिक सत्संग से निःस्वार्थ सेवा और भक्तिभाव बढ़ता है।धर्म प्रचारक भी निष्काम भक्ति , सत्य की राह पर चलने में समर्थ हो व्यक्ति निर्माण में सहायक होता है।
 कार्यक्रम का शुभारम्भ बसंत लाल ने दीप प्रज़्ज़वलित कर,एवं गुण स्वरूप रूपक भगवान शिव के चित्र पर माल्यार्पण कर सामूहिक प्रार्थना से किया।


 इस आध्यात्मिक सत्संग में धीरज मिश्र,हरिश्चंद्र,राम मूर्ति, वीरेन्द्र,रामस्वरूप,राम बहोरन,बबलू महेश, सुरेन्द्र,सूरज प्रसाद,धर्मेंद्र,राजेश्वर,सेवाराम, समेत अनेक सत्संगी भैया बहिनें मौज़ूद रहीं। समापन पर सभी ने ब्रह्म मुहूर्त में प्रभु का सुमिरन करने का शिव संकल्प लिया।

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