How to treat aggressive anger child : बच्चा एग्रेसिव हो जाए तो क्या करें? बच्चे का गुस्सा कैसे कम करें?

बच्चा एग्रेसिव हो जाए तो क्या करें?
how to treat aggressive anger child : बच्चा एग्रेसिव हो जाए तो क्या करें? बच्चे का गुस्सा कैसे कम करें?
बच्चे का गुस्सा कैसे कम करें?

how to treat aggressive anger child
फीचर डेस्क, नई दिल्ली। छोटी उम्र का बच्चा बहुत ज्यादा गुस्सा दिखाए, एग्रेसिव रहे तो पैरेंट्स उसको डांटने-फटकारने के बजाय उसकी मन:स्थिति समझें, उसकी जो भी प्रॉब्लम है, दूर करने की कोशिश करें। बच्चे को इस बात का अहसास दिलाएं कि वे उसके साथ हैं, वह अपने आपको अकेला ना समझे। इस तरह विपरीत परिस्थिति में उसका संबल बनकर आप सहज ढंग से काफी हद तक उसको संयमित कर आहिस्ता-आहिस्ता सामान्य कर सकती हैं।

बच्चे आजकल खुद से नाराज हैं या उन्हें अपनों से शिकायत है, एकेडमिक प्रेशर नहीं ले पा रहे या बदलते परिवेश से परेशान हैं। वजह जो भी हो, बात-बात में उग्र होना, गुस्सा जाहिर करना बच्चों के व्यवहार का हिस्सा हो गया है। छोटी उम्र में ही बहुत ज्यादा गुस्सा दिखाने वाले बच्चे अपने इस बर्ताव से स्वयं भी परेशान रहते हैं और उनके अपने भी। 

यह परेशानी स्वाभाविक भी है, क्योंकि एक समय बाद बच्चों का गुस्सा सिर्फ रूठने-मनाने या अपनी बात मनवाने की मासूम नाराजगी भर नहीं रहता। गुस्से के चलते बच्चे हद से ज्यादा आक्रामक होने लगते हैं। इस व्यवहारगत समस्या से पार पाने के लिए पैरेंट्स का बच्चों को अपना सहयोग-संबल देना जरूरी है।

बच्चा एग्रेसिव हो जाए तो क्या करें?

बच्चों के गुस्से को समझने के लिए ऐसे समय पर उनके साथ रहें, जब वे किसी बात को लेकर क्रोधित हों। पैरेंट्स कभी भी ऐसे समय पर बच्चों को अकेला ना छोड़ें। साथ रहते हुए बालमन की आक्रामकता का कारण समझें। ऐसे समय में पैरेंट्स का साथ जरूरी है, क्योंकि कई बच्चे अग्रेशन में खुद को या किसी और को नुकसान पहुंचाने जैसे कदम भी उठा लेते हैं। इसीलिए उनके गुस्से और चिड़चिड़ाहट को समझने के लिए उनके साथ बने रहें। 

घर के बाहर या स्कूल में उनके साथ कोई गुस्सा दिलाने वाली बात हुई है तो मन से उनकी बात सुनें। बच्चों में यह भरोसा होना चाहिए कि पैरेंट्स उनकी परेशानी समझ रहे हैं। बच्चों के गुस्से की वजह जानकर उन्हें शांत और सहज रखना आसान हो जाता है। बच्चे के गुस्से को सही तरह से कंट्रोल करने के लिए उनकी परेशानी को समझना बेहद जरूरी है। समझाइश देते हुए उस एक बात से उनका ध्यान हटा सकते हैं, जिसकी वजह से बच्चा अग्रेसिव हो रहा है। 

बच्चे का गुस्सा कैसे कम करें?

गुस्सा बहुत सहज-सा इमोशन है। बच्चा किसी बात पर नाराजगी जताए, यह बहुत आम बात है। पर गौर करने वाला पहलू यह है कि वे गुस्सा कैसे जताते हैं? कई बार किसी की कही बात या किसी के बर्ताव पर गुस्सा आना स्वाभाविक होता है। लेकिन उनका अपना व्यवहार संयमित रहे, इसकी सीख बचपन से ही देना जरूरी है। अपने ही व्यवहार से जुड़े इस नेगेटिव इमोशन को पॉजिटिवली संभालने की सीख पैरेंट्स शुरुआत से ही दें तो अच्छा है। इसके लिए पैरेंट्स बच्चों को गुस्सा जताने का सही तरीका समझाएं। 

बड़ों का बच्चों को यह समझाना बेहद जरूरी है कि बेवजह आक्रोशित होने के बजाय लॉजिकल ढंग से अपनी बात कहें। अपनी ऊर्जा को आक्रोश में गंवा देने के बजाय बात और हालात समझकर अपनी सहज ढंग से अपनी नाराजगी जताएं। बच्चों में इस बात की आदत भी डालें कि वे गुस्से में कभी नुकसान पहुंचाने, सामान तोड़ने-फोड़ने या अभद्र भाषा 

बोलने की गलती नहीं करेंगे। नाराजगी जताने का सही तरीका सिर्फ रिश्ते बिगड़ने से बचाता ही नहीं है, घर हो या स्कूल, बच्चों को अच्छी छवि और सही समझ की सौगात भी देता है।   

बच्चों के लिए पैरेंट्स को क्या करना चाहिए

1- बच्चों के गुस्से के समय पैरेंट्स संयम बरतें यह बेहद जरूरी है। अकसर देखने में आता है कि अभिभावक उल्टा बच्चों पर ही गुस्सा जताने लगते हैं। उनके आक्रोश का कारण समझें बिना डांट-डपटकर चुप करवा देते हैं। जबकि ऐसे समय पर बड़ों को आपा खोने के बजाय बच्चों की मनःस्थिति समझनी चाहिए। फिर फ्रेंडली बच्चों को समझाइश देनी चाहिए। 

2- बच्चे का जिद्दी और गुस्सैल स्वभाव आपके आक्रोशित व्यवहार को देखकर और आक्रामक बनाता है। बच्चों को सहनशील बनाने के लिए पैरेंट्स का बर्ताव भी संयमित होना जरूरी है। पैरेंट्स का यह ठहराव हालात हो संभालने के लिए ही नहीं, बच्चों को सहनशील बनाने के लिए भी जरूरी है। 

3- घर के बड़े अगर छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करते हैं तो यह बच्चों की आदत में भी शुमार हो जाता है। इसीलिए शांत रहते हुए अपनी बात कहने-समझाने को ना सिर्फ अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं, बल्कि बच्चे गुस्सा करें तो उस समय खुद को शांत जरूर रखें। याद रखिए, बच्चों के गुस्से पर गुस्सा होकर काबू नहीं पाया जा सकता। 

4- कई बार बच्चों के नाराज होने पर अकसर पैरेंट्स उन्हें मार-पीटकर समझाने की कोशिश करते हैं, जो उन परिस्थितियों में बालमन की झुंझलाहट और बढ़ा देती है। यह कभी ना भूलें कि आपको समस्या को बढ़ाना नहीं बल्कि हल ढूंढ़ना है। ऐसे समय पर स्ट्रेस फ्री माहौल बनाना आपकी जिम्मेदारी है। 

यूं भी काबू होगा गुस्सा 

  • -बच्चों की आउटडोर एक्टिविटीज बढ़ाएं। 
  • -पेंटिंग, खेल, डांस जैसे शौक को बढ़ावा दें। 
  • -पॉजिटिव रहने की सीख दें। 
  • -सहनशील बनने के फायदे बताएं। 
  • -जरूरी हो तो एक्सपर्ट से मिलें।

 

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