Parenting Tips For Teenagers: टीनएजर बेटी की परवरिश कैसे करें? 

How To Care Teenage Daughter?

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फीचर डेस्क, नई दिल्ली।  

टीनएजर बच्चों की परवरिश करना पैरेंट्स के लिए किसी चैलेंज से कम नहीं होता है। खासकर टीनएज बेटी की परवरिश में धैर्य और समझदारी से काम लेना होता है। टीनएज में बच्चों के शरीर में हार्मोंस में कई बदलाव होते हैं। इस दौरान उनमें मानसिक परिपक्वता आने के साथ-साथ वे अपनी अलग पहचान बनाने के लिए उत्सुक रहते हैं। टीनएज बच्चे अपनी लाइफ को खुद कंट्रोल करना चाहते हैं।

टीनएजर बेटी की परवरिश कैसे करें?

लेकिन दूसरी तरफ पैरेंट्स इस उम्र में उन्हें कंट्रोल करने के लिए उन पर कई तरह की बंदिशें लगाने लगते हैं। ऐसे में परिवार में तनाव का माहौल हो जाता है। खासकर टीनएज में लड़कियां गुस्सैल हो जाती हैं। उन्हें अपने पैरेंट्स द्वारा लगाई गई बंदिशों पर गुस्सा आता है और वे बात-बात पर ओवर रिएक्ट करती हैं। उन्हें इस सिचुएशन से बचाना पैरेंट्स की जिम्मेदारी है। इसके लिए कुछ जरूरी बातों पर ध्यान देना चाहिए। आइए जानते हैं धैर्य-समझदारी से कैसे करें टीनएजर बेटी की परवरिश...

ओवर रिएक्ट न करें

इस उम्र में टीनएज लड़कियां बहुत इरिटेट होती हैं। ऐसे में उनके ओवर रिएक्ट करने और उनके बार-बार गुस्सा होने पर बुरा नहीं मानना चाहिए। क्योंकि गुस्से के बदले में अगर पैरेंट्स भी इसी तरह पेश आते हैं तो स्थिति और बिगड़ जाती है। इसके बजाय उससे प्यार से पेश आएं। कभी भी टीनएज बेटी से बातचीत बंद न करें। उसे हर हाल में सपोर्ट करें। 

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बना रहे कम्युनिकेशन

टीनएज बेटी की बातों को ध्यान से सुनें और उसके साथ प्यार से पेश आएं। पैरेंट्स और टीनएजर बेटी में खुले संवाद के कई फायदे होते हैं। जब वह खुलकर अपनी बात बताती है तो उसके असामान्य व्यवहार पर नजर रखी जा सकती है। आपको बेटी के बारे में लगभग सब कुछ पता चलने लगता है, जो उसकी परवरिश में मददगार होता है। 

सीमा रेखा तय करें

पैरेंट्स बेटी के लिए एक सीमारेखा जरूर तय करें। इस उम्र में उसके व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए नियमों को तोड़ने पर कभी-कभी सख्ती से समझाएं। लेकिन इसके लिए उसे सजा न दें, इससे स्थिति और बिगड़ सकती है। इस उम्र में बेटी की नेगेटिव इमोशन को कंट्रोल करके उसे सही रास्ते पर लाने की कोशिश करें। 

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नेगेटिव कमेंट न करें

उसके फैशन सेंस पर नेगेटिव कमेंट न करें। दूसरों के बीच उसके खास दिखने की मनोभावनाओं को समझने की कोशिश करें। पैरेंट्स उसमें अपना विश्वास व्यक्त करें और उसकी भी सुनें। इससे वह अपने लिए स्वयं नियम बनाकर उनका पालन भी करेगी। कहने का सार यही है कि पैरेंट्स बेटी के साथ अच्छे रिश्ते बनाएं। उसे टीनएज के सेंसिटिव फेज से निकालकर एक समझदार वयस्क के रूप में बड़ा होता देखें।

टीनएज बेटी भी मदद ले

टीनएज बेटी को भी चाहिए कि वह अपने पैरेंट्स की बातों का पालन करे और किसी मुश्किल में पड़ने पर उनकी मदद लेने में किसी तरह का संकोच न करे। इससे वह ही नहीं उसके पैरेंट्स को भी टेंशनफ्री रहेंगे।  पैरेंट्स कभी भी अपने बच्चों को गलत सलाह नहीं देते इसलिए हमेशा अपने पैरेंट्स का कहना जरूर मानें।

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