CM Yogi Aditynath ने वीरांगना दुर्गावती के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि व्यक्त की
मुग़ल आक्रांताओं से लोहा लेने वाली वीर रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर देश आज उन्हें होनी श्रद्धांजलि दे रहा है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि रानी दुर्गावती जी का जीवन समाज के लिए प्रेरणादायी है | रानी दुर्गावती ने मुग़ल आक्त्रांताओं से युद्ध किया और वीरगति को प्राप्त करने के 15 वर्ष तक राज किया | रानी दुर्गावती गोंडवाना क्षेत्र जो मध्य प्रदेश में पड़ता है वहां की महारानी थी |
रानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिवर्मन/कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं। चंदेल राजपूत वंश की शाखा का ही एक भाग है ।बांदा जिले के कालिंजर किले में 1524 ईसवी की दुर्गाष्टमी पर जन्म के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया। नाम के अनुरूप ही तेज, साहस, शौर्य और सुन्दरता के कारण इनकी प्रसिद्धि सब ओर फैल गयी। दुर्गावती के मायके और ससुराल पक्ष की जाति भिन्न थी लेकिन फिर भी दुर्गावती की प्रसिद्धि से प्रभावित होकर गोण्डवाना साम्राज्य के राजा संग्राम शाह ने अपने पुत्र दलपत शाह मडावी से विवाह करके, उसे अपनी पुत्रवधू बनाया था।
दुर्भाग्यवश विवाह के चार वर्ष बाद ही राजा दलपतशाह का निधन हो गया। उस समय दुर्गावती की गोद में तीन वर्षीय नारायण ही था। अतः रानी ने स्वयं ही गढ़मंडला का शासन संभाल लिया। उन्होंने अनेक मठ, कुएं, बावड़ी तथा धर्मशालाएं बनवाईं। वर्तमान जबलपुर उनके राज्य का केन्द्र था। उन्होंने अपनी दासी के नाम पर चेरीताल, अपने नाम पर रानीताल तथा अपने विश्वस्त दीवान आधारसिंह के नाम पर आधारताल बनवाया।
रानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिवर्मन/कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं। चंदेल राजपूत वंश की शाखा का ही एक भाग है ।बांदा जिले के कालिंजर किले में 1524 ईसवी की दुर्गाष्टमी पर जन्म के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया। नाम के अनुरूप ही तेज, साहस, शौर्य और सुन्दरता के कारण इनकी प्रसिद्धि सब ओर फैल गयी। दुर्गावती के मायके और ससुराल पक्ष की जाति भिन्न थी लेकिन फिर भी दुर्गावती की प्रसिद्धि से प्रभावित होकर गोण्डवाना साम्राज्य के राजा संग्राम शाह ने अपने पुत्र दलपत शाह मडावी से विवाह करके, उसे अपनी पुत्रवधू बनाया था।
दुर्भाग्यवश विवाह के चार वर्ष बाद ही राजा दलपतशाह का निधन हो गया। उस समय दुर्गावती की गोद में तीन वर्षीय नारायण ही था। अतः रानी ने स्वयं ही गढ़मंडला का शासन संभाल लिया। उन्होंने अनेक मठ, कुएं, बावड़ी तथा धर्मशालाएं बनवाईं। वर्तमान जबलपुर उनके राज्य का केन्द्र था। उन्होंने अपनी दासी के नाम पर चेरीताल, अपने नाम पर रानीताल तथा अपने विश्वस्त दीवान आधारसिंह के नाम पर आधारताल बनवाया।
भारतीय स्वाभिमान की प्रतीक, महापराक्रमी, अदम्य साहसी, अपने युद्ध कौशल से मुगल शासकों को नतमस्तक कराने वाली महान वीरांगना रानी दुर्गावती जी को उनके बलिदान दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 24, 2021
रानी दुर्गावती जी का पूरा जीवन समाज के लिए प्रेरणादायी है। वे अपने शौर्य के लिए सदैव याद रहेंगी।
Tribute to The Rani Durgavati "Queen of Gondwana", on her Death Anniversary Another deadly combination for our real freedom history who never took down infroant of Aakbar..
— Kanumuri Murali Nagendra Varma🇮🇳 (@MuraliKanumuri) June 24, 2021
And we pride for our Rani maa for it eternity.. #रानी_दुर्गावती#ranidurgavati #RaniDurgawati pic.twitter.com/4nBnBgtfwv
twitter पर लोगों द्वारा रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि व्यक्त की गई |
अदम्य साहसी,भारतीय स्वाभिमान की प्रतीक महापराक्रमी,अपने युद्ध कौशल से मुगल शासकों को नतमस्तक करने वाली महान वीरांगना #रानीदुर्गावती जी को उनके बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन।#RaniDurgawati pic.twitter.com/s53R3gXJBe
— Babulal Marandi (@yourBabulal) June 24, 2021