सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्था (सीडीआरआई) लखनऊ, ने ईएसएससीईई बायोटेक इंडिया के साथ प्रयोगशाला रसायन में आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाया एक महत्वपूर्ण कदम

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सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल हेतु सहायक उत्पादों का विकास समय की मांग है जो हमारे राष्ट्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है: डॉ. राधा रंगराजन*

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। भारत के वैज्ञानिक समुदाय (जीवन विज्ञान और बायोमेडिकल शोधकर्ताओं) की मदद के लिए, सीएसआईआर-सीडीआरआई लखनऊ ने अपनी निदेशक डॉ. राधा रंगराजन के नेतृत्व में ईएसएससीईई बायोटेक इंडिया प्रा. लिमिटेड के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

यह समझौता जीव विज्ञान तथा जैव-चिकित्सा अनुसंधान के लिए एक नया संशोधित क्वेंचर प्रस्तुत करेगा। क्वेंचर्स ऐसे पदार्थ/यौगिक होते हैं जो फ्लोरोसेंट डाई से ऊर्जा को अवशोषित करके कुछ विशिष्ट पदार्थ/अणुओं को देखने के लिए उनकी उपस्थिति में दृश्य प्रकाश के रूप में उस ऊर्जा को फिर से उत्सर्जित करते है। साथ ही यह समझौता जीव विज्ञान अनुसंधान के लिए प्रयोगशाला रसायन एवं एपीआई सामग्रियों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम प्रतीक होगा।

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सीएसआईआर-सीडीआरआई के चीफ़ वैज्ञानिक डॉ. अतुल गोयल के नेतृत्व में उनकी टीम के सहयोगात्मक प्रयास से अत्याधुनिक संशोधित क्वेंचर का निर्माण किया, जो एक किफायती तरीके से तैयार किया गया है। इसका प्रमुख उपयोग जीव विज्ञान में खासकर फॉस्फोरामिडाइट-आधारित ऑलिगोन्यूक्लियोटाइड संश्लेषण के क्षेत्र में किया जाता है

जोकि संशोधित न्यूक्लियोसाइड हैं एवं आधुनिक डीएनए संश्लेषण प्रतिक्रियाओं में मानक रसायन के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं। पारंपरिक रूप से इस प्रकार के फ्लोरेसेंस क्वेंचर केवल विदेश से आयात किए जाते थे, जो देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों में जीवन विज्ञान और बायोमेडिकल शोधकर्ताओं के लिए एक चुनौती रहा है।

इसलिए यह उपलब्धि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है  क्योंकि वर्तमान बाजार इन महत्वपूर्ण उपयोगों के लिए आयातित फ्लोरेसेंस क्वेंचर्स पर भारी रूप से निर्भर है।
डॉ. राधा रंगराजन ने इस समझौते के बारे में अपना उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, "सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल हेतु सहायक उत्पादों का विकास समय की मांग है। स्थानीय स्तर पर इस संशोधित क्वेंचर को डिजाइन एवं संश्लेषित करके  हम प्रयोगशाला उत्पाद एवं एपीआई सामग्री में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं,

जो हमारे राष्ट्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।"
जीव विज्ञान अनुसंधान में एकल या दोहरे लेबल वाले ऑलिगोन्यूक्लियोटाइड्स के अनुप्रयोग, साथ ही नैदानिक चिकित्सा विज्ञान और निदान में उनकी बढ़ती मांग, इस नवाचार के महत्व को रेखांकित करती है। इस नए क्वेंचर की शुरूआत आर्थिक विकास को गति देने तथा वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय में भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए तैयार है।


सीएसआईआर-सीडीआरआई एवं ईएसएससीईई बायोटेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच का यह अनुबंध वैज्ञानिक अनुसंधान में आत्मनिर्भरता कि दिशा में भारत की एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है।

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