राष्ट्रीय सम्मलेन में विशेषज्ञों ने प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पर किया मंथन

CSIR NBRI
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ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ एवं राष्ट्रीय पर्यावरण विज्ञान अकादमी (नेसा) के संयुक्त तत्वाधान में 14 से 16 दिसम्बर के मध्य आयोजित हो रहे ग्रीन केमिस्ट्री, प्रदूषण रोकथाम एवं जलवायु परिवर्तन पर आधुनिक प्रवृत्तियों एवं चुनौतियों पर राष्ट्रीय सम्मलेन के दुसरे दिन विशेषज्ञों/वैज्ञानिकों द्वारा पर्यावरण प्रदुषण पर बहु आयामी चर्चा की|
संस्थान के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक एवं सम्मेलन के संयोजक डॉ. पंकज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सम्मेलन के दुसरे दिन वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञों द्वारा 25 मौखिक प्रस्तुतियां, 83 पोस्टर प्रस्तुतियां एवं 8  मुख्य व्याख्यान प्रस्तुत किये गए| सम्मेलन का दूसरा दिन मुख्य रूप से हरित रसायनकी, पर्यावरण एवं जैवप्रौद्योगिकी एवं प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर आधारित रहे |

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आज के विभिन्न सत्रों में 6 मुख्य व्याख्यान दिए गए जिनमे एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा के डॉ. अभिषेक शर्मा ने माइक्रोबियल फॉर्मूलेशन का उपयोग करके आरडीएक्स दूषित साइटों के बायोरेमेडिएशन के तरीकों को विस्तार से बताया। कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी, भुवनेश्वर के डॉ. श्रीनिवास पटनायक ने भ्रूणीय जेब्राफिश में बेंजोपाइरीन की आणविक विषाक्तता पर व्याख्यान दिया। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून के श्री जस्टिन जॉर्ज ने मृदा मानचित्रण के लिए रिमोट सेंसिंग और मशीन लर्निंग तकनीकों के बारे में चर्चा की। कुंडी ग्लोबल बायोडायवर्सिटी सॉल्यूशंस, विजाग के निदेशक डॉ. के तुलसी राव ने पूर्वी घाट में जैव विविधता संरक्षण में चुनौती पर प्रकाश डाला।
आंध्र प्रदेश जैव विविधता बोर्ड की डॉ. कल्याणी बाई कुंटे ने गोदावरी डेल्टा के गोदावरी डेल्टा में पारिस्थितिक तंत्र के रेस्टोरेशन पर; बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता गंगा बेसिन की 75 नदियों को पुनर्जीवित करने पर चर्चा की। 
सम्मेलन का समापन 16 दिसंबर 2023 को समापन सत्र के साथ किया जाएगा। अमृत अभिजात, आईएएस, प्रमुख सचिव, शहरी विकास विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार मुख्य अतिथि के रूप में समापन समारोह में उपस्थित होंगे।

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