पैदावार बढाने से ही हो सकती है किसानो की उन्नति : अरविंद यादव 

Kisano ki aay duguni
 

उच्च तापमान पर भी गेंहू के उत्पादन को लेकर हो रहा शोध 
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय 
हरदोई। किसानो को अपनी आमदनी बढाने के लिए  सरकारी संसाधनो अथवा अनुदान के अतिरिक्त अपनी उपज बढाने के उपायो पर भी गहनता से विचार करना होगा तभी उसकी आमदनी में आशातीत बढ़ोतरी हो सकते हैं 
       उक्त उद्गार श्रीराम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स के रीजनल मैनेजर मार्केटिंग अरविंद यादव ने पाली बाईपास रोड पर राठौर ब्रदर्स के संयोजकत्व मे आयोजित श्रीराम अग्रिम किसान गोष्ठी में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि किसानों को अधिक पैदावार लेने के लिए बीज से लेकर फसल तैयार होने तक पौधे के लिए आवश्यक तत्वों के बारे में समुचित जानकारी होनी चाहिए।  किस रोग में कौन सी दवाई प्रयोग की जाये  इसकी जानकारी बगैर अच्छी पैदावार नहीं की जा सकती । उन्होंने कहा कि श्रीराम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स एक ऐसी कंपनी है जिसने प्राइवेट सेक्टर में किसानों के लिए सबसे पहले यूरिया का उत्पादन करना शुरू किया था । जिसके प्रयोग से किसानों को काफी लाभ भी पहुंचा लेकिन केवल यूरिया डीएपी अथवा पोटाश ही पौधे के लिए आवश्यक तत्व नहीं है उसके लिए सूक्ष्म तत्वों की भी आवश्यकता होती है जिनका समय-समय पर प्रयोग करना जरूरी हो जाता है । उन्होंने कहा कि अच्छी पैदावार के लिए जड़ों का विकास होना जरूरी है क्योंकि जड़े ही मृदा से आवश्यक तत्व ग्रहण कर पौधों के हर भाग तक पहुंचाने का काम करते हैं । श्रीराम जीवा एक ऐसा उत्पाद है जो जड़ों के विकास के लिए काफी कारगर है ।जिसमें सूक्ष्मजीवी माइक्रोराइजा पाया जाता है ।
      उन्होंने कहा अभी तक गेहूं फसल के लिए प्रमाणित बीज तथा रिसर्च बीज ही मार्केट में उपलब्ध थे लेकिन अब उनकी कंपनी हाइब्रिड गेहूं बीज लाने के लिए भी रिसर्च कर रही है । उच्च तापमान पर किस प्रकार गेहूं की खेती की जा सकती है इस पर भी शोध किया जा रहा है , तथा इसके लिए कंपनी मास्को तथा अन्य जगहों पर इसका ट्रायल भी कर रही है। इस अवसर पर उन्होंने अग्रिम किसानों को श्रीराम जीवा का  निशुल्क वितरण भी किया । गोष्ठी मे क्षेत्र सहायक गोपाल शुक्ला, पंकज दीक्षित बेझा, कृष्ण कुमार उर्फ जंडैल बमियारी, जदुवीर गौहनिया, उमाशंकर कुइया, शेरसिंह आगमपुर, इच्छाराम सिकंदरपुर, भारत भूषण कुरसेली, रामरतन सिंगुलापुर  रामनिवास यादव राही, वीरेंद्र पसिगंवा आदि कृषक मौजूद रहे।

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