गुरु पूर्णिमा पर हुआ भव्य आयोजन
ब्यूरो चीफ
लखनऊ
सुभाष मार्ग स्थित प्रदेश के जाने-माने सुर कला संगम संगीत विद्यालय में प्रत्येक वर्ष की भांति गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर इस बार भी भव्य आयोजन किया गया।
आयोजन के आरंभ में सर्वप्रथम दीप प्रज्वलित कर संगीत व ज्ञान की देवी मां सरस्वती का पूजन-अर्चन करने के बाद मां सरस्वती को बर्फी पेड़ा और बूंदी का भोग लगाया गया ।
मां सरस्वती के पूजन-अर्चन के पश्चात देश व प्रदेश के जाने-माने शास्त्रीय संगीत के विद्वान,गायक,लेखक व सुर कला संगम संगीत विद्यालय के प्रबंधक प्रदीप कुमार तिवारी 'सुफली सर' का उपस्थित छात्र छात्राओं ने गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन करते हुए तिलक लगाकर माल्यार्पण करने के साथ ही उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया।
इस अवसर पर सुफली सर ने कहा मैं सदैव यही कहता हूं कि हर छात्र छात्रा मेरे परिवार का अभिन्न हिस्सा है,मैं यही चाहता हूं और हमेशा इसी प्रयास में रहता हूं कि जो कला परमात्मा ने मेरे अंदर दी है वह हर कला मैं अपने हर छात्र छात्राओं को प्रदान कर सकूं यही मेरे जीवन का उद्देश्य भी है।
सुर कला संगम संगीत विद्यालय में संगीत के शिक्षक व जाने-माने शास्त्रीय संगीत के विद्वान अभिषेक निगम 'गुड्डू सर' ने कहा कि गुरु पूर्णिमा का पर्व सनातन धर्म का एक ऐसा पर्व है जो हमें गुरु के प्रति हमारे समर्पण भाव को दिखाता है क्योंकि हमारे धर्म में गुरु का महत्व परमात्मा से भी ज्यादा माना गया है, एक गुरु ही ऐसे हैं जो हमें अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं,ज्ञान का भंडार और सही दिशा दिखाने वाले गुरु की विशेष पूजा-अर्चना का दिन है गुरु पूर्णिमा। 'गु' का अर्थ अंधकार, अज्ञान से है और 'रु' का अर्थ है अंधकार को दूर करने वाला। इसलिए ब्रह्मांड में गुरु की महिमा निराली है। कहते हैं कि बिना गुरु ज्ञान नहीं मिलता। गुरु को ब्रह्मा, विष्णु, महेश कहा गया है। गुरु पूर्णिमा पर गुरु अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं।
हनुमत कृपा ट्रस्ट के महासचिव पं. अनुराग मिश्र ने बताया कि गुरु पूर्णिमा का ऋतु से भी गहरा नाता है। शास्त्रों के अनुसार गुरु पूर्णिमा से अगले चार महीने तक परिव्राजक साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ध्यान रखने योग्य बात ये है कि चार महीने आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलते हैं व मौसम की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ माने गए हैं और अध्ययन के लिए अनुकूल। चातुर्मास में सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता और फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है। इसी प्रकार गुरु के चरणों में साधकों को ज्ञान, शांति, भक्ति और योग की शक्ति प्राप्त होती है। गुरु पूर्णिमा पर दान और स्नान करना अक्षयफल को देने वाला होता है।
इस अवसर पर शीतल वर्मा,शिवांशु, संदीप,अनुराग, विशाल रस्तोगी,निशा रस्तोगी,शिवांश पाठक,अक्षत मिश्र,कृष्णा वर्मा,पूनम सैनी,गायत्री,आस्था वर्मा,श्रुति रस्तोगी, मानसी रस्तोगी,आकांक्षा, प्रियांशु,सक्षम इत्यादि लोग उपस्थित रहे।