Gupt navratri 2021 date and puja vidhi गुप्त नवरात्रि क्या है ? कौन से मंत्रों के जाप से करनी है आराधना 

गुप्त नवरात्रि

गुप्त नवरात्रि कब है ? ज्योतिषी प्रवीण शर्मा से जानिए क्या और कब पूजा कैसे करें गुप्त नवरात्रि में 

गुप्त नवरात्रि date

प्रारंभ : 11जुलाई 2021
समापन : 18 जुलाई  2021
Gupt Navratri puja vidhi 2021 
“नवरात्र पूजा विधान” 

आषाढ़ नवरात्र गुप्त नवरात्रों के नाम से भी जाने जाते हैं. आषाढ़ महीने यानी में पड़ने के कारण इन नवरात्रों को आषाढ़ नवरात्र कहा जाता है, हालाँकि देश के अधिकतर भाग में गुप्त नवरात्रों के बारे में लोग थोड़ा कम  जानते हैं. उत्तरी भारत जैसे हिमाचल प्रदेश, पंजाब , हरयाणा, उत्तराखंड के आस पास के प्रदेशों में गुप्त नवरात्रों  में माँ भगवती की पूजा की जाती है. माँ भगवती  के सभी 9 रूपों की पूजा नवरात्रों के भिन्न – भिन्न दिन की जाती है , अतः आइये देखते हैं  इन दिनों में किस देवी की पूजा  कब की जानी चाहिए !

इस बार यह नवरात्र 8 दिनों का ही है।

एक महत्वपूर्ण सूचना यह भी है कि 11 जुलाई को रविवार एवं पुख़्य नक्षत्र के साथ होने से गुप्त नवरात्रि का यह पहला दिन और भी ज्यादा शुभ है।
इस दिन किसी भी शुभ कार्य का प्रारंभ किया जाना अतिशुभ होगा।

गुप्त नवरात्रि में क्या करना चाहिए ?

षोडश संस्कारो को छोड़कर नया व्यापार, उद्योग एवं वाहन क्रय इत्यादि के लिए भी यह विशेष मुहूर्त है।
गुप्त नवरात्रि में किस दिन करें पूजा 
11 जुलाई :  घट स्थापन एवं माँ शैलपुत्री पूजा।

12 जुलाई : माँ ब्रह्मचारिणी पूजा।

13 जुलाई  : माँ चंद्रघंटा पूजा।

14 जुलाई :  माँ कुष्मांडा पूजा एवं माँ स्कंदमाता पूजा। 

15 जुलाई : माँ कात्यायनी पूजा।

16 जुलाई :  माँ कालरात्रि पूजा। 

17 जुलाई  : माँ महागौरी पूजा, दुर्गा अष्टमी।

18 जुलाई : माँ सिद्धिदात्री,   नवरात्री पारण।

गुप्त नवरात्रि में पूजा कैसे की जाती है 

नवरात्रों में माँ भगवती की आराधना दुर्गा सप्तसती से की जाती है , परन्तु यदि समयाभाव है तो भगवान् शिव रचित सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ अत्यंत ही प्रभाव शाली एवं दुर्गा सप्तसती का सम्पूर्ण फल प्रदान करने वाला है !
मंत्र सिद्धि के लोए की जाती है गुप्त नवरात्रि में पूजा 
सामान्य पूजन के अतिरिक्त गुप्त नवरात्रि गुप्त विद्या प्राप्त करने के लिए भी सर्वोच्च समय होता है। तंत्रात्मक प्रयोग, मंत्र सिद्धि के लिए भी इस समय का प्रयोग किया जाता है।
माता बंगलामुखी की आराधना 
स्थान दोष, पित्र बाधा एवं कृत अभिचार प्रयोग के प्रभाव से पीड़ित लोगों को माता बंगलामुखी अथवा श्री महाविद्या जप, पाठ, हवन व अनुष्ठान कर माता की कृपा प्राप्त कर  सकते है।

महंत पुरुषोतम दास "प्रवीण"
ज्योतिषाचार्य 
साकेत भवन, बेगमपुरा, अयोध्या।

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