पुत्र की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा ललहीछठ, हरछ्ठ व्रत

छठ पूजा
 

 

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। आवाज विकास कालोनी निवासी आचार्य धीरज शास्त्री ने बताया कि हरछठ के दिन भगवान बलराम का जन्म हुआ था।
माताएं बहनें संतान की दीर्घायु , आरोग्यता, ऐश्वर्य के लिए इस दिन भगवती षष्ठी देवी की पूजा आराधना करती हैं।
जिन्हे संतान न हो रही हो, या संतान होकर नष्ट हो जा रही हों, उनको भी इस व्रत को करना चाहिए।

इस व्रत में षष्ठी देवी की पूजा के साथ साथ भगवान बलराम की पूजा, खेती किसानी से जुड़े सामान हल आदि की पूजा, बैल की पूजा का भी विधान हैं।

इस व्रत में हल से जोतकर उपजाए हुए किसी भी अन्न के भक्षण का निषेध है,
गाय का दूध तथा उससे बने अन्य वस्तुओं का भी निषेध है।
भैंस का दूध, दही आदि इस व्रत में ग्राह्य है ऐसी लोक परम्परा है।
तालाब में स्वत: उत्पन्न होने वाले साग जिसे करेमुआ कहा जाता है, तथा स्वत: उत्पन्न होने वाला धान जिसे पसही या तिन्नी कहते हैं उसका फलाहारी में प्रयोग किया जाता है।
महुआ के फल, पत्ते, कास, आदि का प्रयोग किया जाता है।
बालकों की अधिष्ठात्री भगवती षष्ठी देवी हैं, षष्ठी व्रत प्रत्येक माह के कृष्ण , शुक्ल पक्ष में स्थान भेद से मनाया ही जाता है।
उत्तर भारतीयों का यह महत्वपूर्ण व्रत है।

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