विज्ञान क्षेत्र में हमारी आत्मनिर्भरता ही विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करेगी

शंकर सुवन सिंह
डॉ. शंकर सुवन सिंह

भारत ऋषि परंपरा का देश रहा है। उपनिषद में उल्लेख है कि प्राचीन भारतीय लोग ज्ञान प्राप्त करने के लिए बहुत उत्सुक रहते थे। वायु स्थिर क्यों नहीं रह सकती ? मनुष्य का मस्तिष्क विश्राम क्यों नहीं करता ?

पानी क्यों और किसकी खोज में बहता है? प्राचीन भारत के लोगों का दर्शन से घनिष्ठ सम्बन्ध था। दर्शन का सम्बन्ध अनुभूति से है। प्राचीन काल के ऋषि मुनियों ने अपनी अनुभूतियों के द्वारा नए नए आविष्कार को जन्म दिया।

इसका एक उदाहरण त्रेतायुग का पुष्पक विमान है। ऋषि वाल्मीकि की रामायण के अनुसार, पुष्पक विमान का प्रारूप एवं निर्माण विधि ब्रह्म ऋषि अंगीरा ने बनाई थी। पुष्पक विमान की कार्य क्षमता और उसके निर्माण का श्रेय भगवान् विश्वकर्मा को जाता है।

तत्पश्चात भगवान् विश्वकर्मा ने पुष्पक विमान को भगवान् ब्रह्मा को उपहार स्वरुप सौंप दिया था। उसके बाद ब्रह्मा ने यह विमान कुबेर को भेंट स्वरुप दे दिया था। रावण ने अपने छोटे भाई कुबेर से बलपूर्वक उसकी सोने की नगरी लंका और पुष्पक विमान को ले लिया था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार यह विमान मन्त्रों के जरिये चलता था। ये विमान एक प्रकार का अंतरिक्ष यान था। ये सोने की धातु का बना था। इसे अपने मन की गति से असीमित चलाया जा सकता था। यह विमान यात्रियों की संख्या और वायु के घनत्व के अनुसार अपना आकार छोटा या बड़ा कर सकता था। पुष्पक विमान की शक्ति और क्षमता के आगे आधुनिक विमान तुच्छ प्रतीत होता है। पुष्पक विमान का विद्युत चुम्बकीय प्रभाव इतना शक्तिशाली था कि यदि आज के समय में ये उड़ान भरे तो विद्युत और संचार जैसी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो जाएगी।

हाल ही में 5000 वर्ष पुराने विमान को अफगानिस्तान की गुफाओं में पाया गया है। दावा किया जाता है कि ये पुष्पक विमान ही है। यह जहां पाया गया है वहाँ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव (विद्युत चुंबकीय तरंग) का प्रभाव बहुत ज्यादा था जिसकी वजह से इस यान के पास जा कर कोई भी व्यक्ति वापस नहीं लौटा। पौराणिक कथाओं के अनुसार पुष्पक विमान स्ट्रेंज एनर्जी (अजीब ऊर्जा) से घिरा हुआ रहता था।

श्रीलंका में भी रावण के सोने की लंका को पुरातत्व विभाग ने खोज लिया है और रामायण काल के 50 स्थानों को चिन्हित कर लिया गया है। इससे साबित होता है कि त्रेतायुग में स्वदेशी तकनीकी या प्रौद्योगिकी बहुत विकसित थी। हिंदू धर्म के चारों वेद स्वदेशी होने का अच्छा उदाहरण हैं।

आध्यात्मिक बल पर प्राप्त की गई शक्तियों का सबसे अच्छा उदाहरण पुष्पक विमान और हमारे वेद हैं। पुष्पक विमान स्वदेशी तकनीकी का सबसे अच्छा उदहारण है| इसी के सापेक्ष भारत का चंद्रयान-3 मिशन स्वदेशी तकनीकी का सबसे ज्यादा जीता जागता उदाहरण है।

चंद्रयान-3 भारत का एक महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन था जो 24 अगस्त, 2023 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, चंद्रयान 3 रोवर प्रज्ञान लैंडर से नीचे उतर गया था और भारत ने चंद्रमा पर सैर की।  भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश हो गया है। चंद्रयान-3 चाँद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का भारत का दूसरा प्रयास था। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 का प्रसंग/थीम है- विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीकी। 

लेखक
डॉ. शंकर सुवन सिंह
शिक्षाविद एवं वरिष्ठ स्तम्भकार
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
कांटेक्ट न. ९३६९४४२४४८

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