पंडरी कृपाल रेंजर ओपी लाल श्रीवास्तव द्वारा वृक्षारोपण के नाम पर  लाखों रुपए डकाने की मुख्यमंत्री से हुई शिकायत

Igrs complaint
 

शासन प्रशासन को पत्र भेजकर स्वयं की मौजूदगी में जांच करवाने की रघुराज सोनकर ने किया अनुरोध

गोंडा । हर वर्ष वन विभाग को शासन से करोड़ों रुपए का बजट पौधरोपण के नाम से व उसकी सुरक्षा के नाम से प्राप्त होता है। पौधे रोपणी के वक्त तैयार किए गए गड्ढ्े ही बता सकते है कि भ्रष्टाचार की मिट्टी से तैयार किए गए पौधे क्या पर्यावरण की सुगंध फैला पायेगें जिससे  लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिल पाएगा या तो लगने के बाद आंकड़ों के दस्तावेजों में अपना दम तोड़ देगें । 


विभागीय सूत्रों के अनुसार जनपद में उदाहरण के तौर पर केवल एक ही रेंज पंडरी कृपाल की बात करें तो वहां के रेंजर ओपी लाल श्रीवास्तव द्वारा वृक्षारोपण के नाम पर विगत कई वर्षों से भ्रष्टाचार करके लाखों  का धन वारा न्यारा किया जा चुका है । पंडरी कृपाल रेंज क्षेत्र के चारों बीटो  के ग्रामीण अंचलों में वन  विभाग द्वारा पौधरोपण के नाम से आंकड़ों का दस्तावेज तैयार कर शासन को जिस तरह लाखों रुपए के क्षति कारक कर प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

जो उच्च स्तरीय जांच का विषय है। प्रतिवर्ष कैलेंडर अनुसार केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा विभिन्न मद अंतर्गत लाखों रुपए का बजट प्राप्त होता है।
पौधे तैयार करने तथा वृक्षारोपण व पौधों की सुरक्षा वन विभाग एवं सामाजिक वानिकी विभाग के द्वारा परिक्षेत्र प्लांटेशन के लगाने का दायित्व सौपा जाता है। बीट क्षेत्र ने रोपणी के लिए तैयार किए जाने वाले खोदे गए गड्ढों से ही भ्रष्टाचार की शुरूआत हो जाती है। कार्य में लगाए गए मजदूरों के आंकड़े दोना भराई के लिए लगाए गए मजदूरों के आंकड़े पौधों की सुरक्षा के लिए घेराबंदी के लिए लगाए गए फेसिंगपोल कांटा तार पर खर्च किए गए दस्तावेजों की जांच की जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि 100 रुपए के पौधे पर दस हजार रुपए का खर्च आता हो पौधों की देख-रेख व सुरक्षा के नाम से तैनात कर्मचारी विभाग द्वारा आंकड़ों पर तो रखे जाते है लेकिन प्लांटेशन स्थान पर देखे जाने पर तैनात कर्मचारी तो नदारद रहते हैं,

वही किए गए वृक्षारोपण भी भूमिगत नजर आते है। नजरों में सिर्फ दूर-दूर तक गड्ढे गड्डे नजर आते है। आश्चर्य की बात यह है कि जिन गड्डों में पौधों की रोपणी की जाती है विभाग द्वारा न तो उसमें उर्वरक मिट्टी एवं रासायनिक खाद्य व दवाईयों का छिड़काव किया जाता है। पौधों की सुरक्षा के नाम से सामाजिक वानिकी विभाग को करोड़ों रुपए का बजट प्राप्त होता है। विभाग द्वारा पौधें की रोपणी के नाम से जगह-जगह गड्ढा किया जाता है उन हजारों गड्ढों में पौधरोपण के नाम से दस्तावेज भी तैयार किए जाते है, परंतु उपजाऊ मिट्टी कितनी व कहां-कहां डाली गई यह यदाकदा दस्तावेजों में दिख जाएगा परंतु हकीकत क्या है यह जांच का विषय है।

सुरक्षा के नाम पर क्या व्यवस्था की गई है इसे सामाजिक वानिकी विभाग एवं वन विभाग ही बता सकता है जहां-जहां भी वृहद वृक्षारोपण हुआ है कार्यस्थल की जांच करने पर केवल गड्ढे ही गड्ढे नजर आएंगे उसके उपरांत पर्यावरण के नाम से शासन को निरंतर धोखे में  अपने आप को वनों का रक्षक बताने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे है।  वन विभाग द्वारा जिन-जिन चयनित वन परिक्षेत्र में पौधरोपण किया गया है, वहां जांच की जाए तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आएंगे। इस संबंध में जनपद के रघुराज सोनकर द्वारा जिला प्रशासन व शासन प्रशासन को पत्र भेजकर इस संबंध में जांच करने की गुहार लगाई है।

क्या है शिकायत किए जाने का पूरा मामला --


 विकासखंड पंडरी कृपाल के बिशनपुर बैरिया गांव निवासी रघुराज सोनकर द्वारा वन प्रभाग जनपद गोंडा के पड़री  कृपाल रेंज में वर्ष 2021-2022-व 2022-2023 में मानक अनुसार वृक्षारोपण ना कराए की शिकायत जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक पत्र भेजकर की गई है प्रकाश सोनकर का आरोप है कि गोंडा से उतरौला मार्ग को जाने वाली मार्ग पर, मुख्यालय से दूरी 4 कि मी ,से 14 कि मी तक दोनों पटरी पर, कि मी 15 से 33 कि मी तक इसी रोड पर , तथा बलरामपुर रोड के साथ पंडरी कृपाल नहर से पारासराय तक दोनों पटरी और सरयू नहर सालपुर से मूड़ाडीहा करीब 4 किलोमीटर दोनों पटरी गड्ढा खुदान कार्य सिर्फ खानापूर्ति मात्र किया गया है और वृक्षारोपण भी  मानक अनुरूप न के बराबर  करा कर  सिर्फ औपचारिकता की पूर्ति कर सरकारी धन का गबन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा किया गया है ।  न्यायहित में उपरोक्त प्रकरण के साथ-साथ पूरे पड़री कृपाल मे हुए मानक विहीन वृक्षारोपण की जांच मैं प्रार्थी अपना सहयोग देने के लिए प्रार्थी को साथ लेकर कराए जाने का अनुरोध किया है । 


सच्चाई तो यह है कि प्रतिवर्ष करोड़ों पौधों का वृक्षारोपण वन विभाग जनपद में कराता है लेकिन धरातल पर वह ना के बराबर ही दिखाई देता है। जो अपने आप में एक जांच का  विषय है ।

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