हरे पेड़ कटान डीएफओ को लोगों ने दी ,वन दरोगा आये और सौदेबाजी करने लगे ,डीएफओ ने कहा जांच कराएंगे

Gonda crime news
 डीएम साहब  :  यहां वन दरोगा नंद गोपाल ही चलवा रहा फलदार प्रतिबंधित हरे पेड़ों पर आरा


गोण्डा । (एच पी श्रीवास्तव) हरियाली प्रकृति का आभूषण है, लेकिन यहां हरियाली के दुश्मन कुदरत का सुहाग उजाड़ने पर पूरी तरह आमादा हैं। पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ, धरती को स्वर्ग बनाओ के स्लोगन को वन व पुलिस विभाग की अनदेखी से हरियाली के दुश्मनों ने बदलकर कर रख दिया है। अब माफिया पेड़ काट कर हरियाली मिटाओ, धरती को रेगिस्तान बनाओ की तर्ज पर अपने मिशन में जुटे हैं। "सरसे वन तो बरसे धन'' व  "पेड़ धरा के भूषण करते दूर प्रदूषण" यह स्लोगन अब केवल सड़क के किनारे खाली बाउंड्री वॉल पर व सड़क के किनारे बने पेड़ों के ट्री गार्ड से लेकर वन विभाग के दफ्तरों में काफी अच्छे ढंग से लिखे दिखेंगे।

प्रत्येक वर्ष जिला प्रशासन द्वारा लाखों की संख्या में वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाकर वृक्षारोपण कराया जा रहा है  । लेकिन यहां पंडरी कृपाल रेंज में  वन माफिया  वन विभाग के हल्का दारोगा के रहमोकरम पर हरियाली मिटाने से बाज नहीं आ रहे। अगर हरे प्रतिबंधित वृक्षों की कटान के मामले को लेकर पुलिस व वन महकमा काफी गंभीर है तो कटान पर लगाम क्यों नहीं लगती है। आए दिन पेड़ों की कटान हो रही है। फलदार प्रतिबंधित वृक्षों पर आरे चलते हैं और विभाग अपने कमाऊ पूत को बचाने के चक्कर में लीपापोती करके सब कुछ समाप्त कर देती है।


क्या है पूरा मामला--

गोंडा जनपद के पंडरी कृपाल रेंज में हमेशा लकड़ी माफिया सक्रिय रहते हैं । आए दिन हरे प्रतिबंधित पेड़ों  की कटान कि शिकायतें रेंज से लेकर जिला मुख्यालय के विभागीय अधिकारियों को लोगों के द्वारा दी जाती है लेकिन यहां वही "ढाक के तीन पात" वाली कहावत चरितार्थ होती है । विभाग द्वारा इस रेंज में कोई ठोस कार्यवाही न होने के कारण लकड़ी माफियाओं के हौसले बुलंद हैं । 

जिसका मुख्य कारण स्थानीय वन दरोगा नंद गोपाल श्रीवास्तव है । विभागीय व स्थानीय लोगों का कहना है कि इस रेंज में जितनी कटान होती है अधिकांश की जानकारी वन दरोगा नंद गोपाल श्रीवास्तव को पूर्व से ही वन माफियाओं द्वारा दे दी जाती है । उन लोगों के द्वारा अवैध कटान के एवज में वन दरोगा को मोटी रकम ही मिलती है जिस का हिस्सा रेंज के अधिकारी/ कर्मचारियों को भी मिलता है ।

विभागीय खेल तो तब शुरू होता है जब प्रतिबंधित हरे पेड़ों के कटान से पूर्व ही वन माफिया को जुर्माने की रसीद थमा दी जाती है और उस रसीद का उपयोग वह महीने भर अन्य विभागीय लोगों को दिखाकर करता है । प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 जून को गोंडा उतरौला मार्ग पर गोंडा से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित झारखंडी मंदिर के पास प्रतिबंधित फलदार हरे वृक्षों को ट्राली पर लादा जा रहा था जिसकी शिकायत कुछ लोगों के द्वारा पंडरी कृपाल रेंज के रेंजर को दी गई उनके द्वारा अपने आप को अलग बताते हुए देख लेने की बात कही गई।

जागरूक लोगों द्वारा इसकी शिकायत जब D F O गोंडा राजकुमार पांडे  से दूरभाष पर दी गई उन्होंने तत्काल यह कहते हुए कि किसी तरह आप लोग ट्राली को वहां से ना जाने दीजिए मैं फोर्स भेज रहा हूं की बात कही । फिर क्या था वहीं क्षेत्रीय वन दरोगा नंद गोपाल श्रीवास्तव मौके पर आता है और वहां मौजूद लोगों से संबंधित से सौदेबाजी कराने लगता है लोगों के द्वारा वन दरोगा  से कार्रवाई करने की जब बात की जाती है तब उनके द्वारा यह बताया जाता है कि इस लकड़ी का जुर्माना कट चुका है और वन माफिया से कहता है कि ला करके दिखा दो लोगों के द्वारा यह कहने पर कि हम लोग भी जिम्मेदारी विभाग को सूचना देने का था कार्रवाई करने का काम विभाग का है इस पर उसके द्वारा यह कहा जाता है कि जाइए हम लोग इसे देख लेंगे।

इस बात की जानकारी पुनः दूरभाष पर जब डी एफ ओ गोंडा को लोगों के द्वारा दी जाती है और बताया जाता है कि आपका वन दरोगा नंद गोपाल मौके पर पहुंचकर लोगों से सौदेबाजी करवा रहा है और कहता है कि इसके जुर्माने की रसीद पहले ही काटी जा चुकी है जिस पर संबंधित अधिकारी द्वारा यह आश्वासन दिया जाता है कि उक्त प्रकरण में मैंने संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश दे दिया है देखते हैं क्या रिपोर्ट और लोग लगाते हैं । देखना यह है कि इस तरह कब तक ऐसे वन दरोगा की मिलीभगत से प्रतिबंधित हरे पेड़ों पर वन माफियाओं द्वारा आरा चलाया जाता रहेगा और विभाग अपने इस कमाऊ पूत को बचाता रहेगा यह अपने आप में एक यक्ष प्रश्न है ।

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