संत प्रेम दास रामायणी ने बताया था जीवन मे सुंदरकांड की महत्ता ,सपरिवार हनुमतपुरम में किये दर्शन

हनुमतपुराम

संत प्रेम दास रामायणी ने किया संकट मोचन हनुमान मंदिर में दर्शन             ( आर  एल पाण्डेय )   

                  लखनऊ. श्रीअयोध्या धाम में प्रयाग धाम की स्थापना करने वाले संत प्रेम दास रामायणी जी ने आज सुबह प्रयागराज जाते समय सुल्तानपुर के हनुमतपुरम् (पिपरीसाईंनाथपुर, कूड़ेभार) में स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर में दर्शन कर प्रभु से आशीर्वाद लिया. रामायणी जी के साथ उनकी पत्नी ने भी दर्शन पूजन किया.

मंदिर के पुजारी पं. अनिल शास्त्री ने संत दम्पति का स्वागत सम्मान कर आशीर्वाद लिया.मूलतः प्रयागराज निवासी संत रामायणी जी बीते करीब दो दशक से श्रीअयोध्या धाम में रह रहे हैं.18 साल पहले वर्ष 2003 में ज़ब हनुमतपुरम् में संकट मोचन हनुमान मंदिर में हनुमान जी समेत कई अन्य देवी देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी तब छोटी छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास जी के साथ रामायणी जी पहली बार हनुमतपुरम् आये थे. बाद में दो बार मंदिर में आयोजित राम कथा  में रामायणी जी ने सात - सात दिन एक ही चौपाई पर विस्तार से कथा कही जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया.

वर्ष 2005 की राम कथा का विषय था '' और देवता चित्त न धरई, हनुमत सेइ सर्व सुख करई '. दूसरी कथा का विषय था ' जीवन में सुंदर कांड की महत्ता '.  रामायणी जी ज़ब भी श्रीअयोध्या धाम से सुल्तानपुर की ओर जाते हैं, वह हनुमतपुरम् में स्थापित सिद्धपीठ संकट मोचन हनुमान मंदिर में प्रभु के दर्शन करना कभी नहीं भूलते.

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