बलिया जिले में स्थित सुरहा ताल में कोर ड्रिलिंग कर रहे वैज्ञानिक
इस मेगा परियोजना के लिए देश के विभिन्न राज्यों से गहरे झील (lake) तलछट (sediment) कोर की आवश्यकता है। बीएसआईपी ने चयनित झील स्थलों से कोर ड्रिलिंग के लिए भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान (आईआईजी), मुंबई के साथ सहयोग किया है। संभावित ड्रिल स्थलों की पहचान के लिए ड्रिलिंग शुरू होने से पहले सीएसआईआर-राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई), हैदराबाद के विशेषज्ञों की टीम द्वारा भूभौतिकीय सर्वेक्षण भी किया जा रहा है। हाल के दशकों में भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून (आईएसएम) घटनाओं की आवृत्ति में वृद्धि हुई है, और चरम घटनाओं में महत्वपूर्ण स्थानिक विविधता है। इसके अलावा, पिछले कुछ वर्षों के दौरान आईएसएम की अवधि और तीव्रता में बदलाव आया है और यह अप्रत्याशित है, जिससे जबरदस्त कृषि और आर्थिक नुकसान हुआ है।
भविष्य के जलवायु मॉडलिंग के लिए सटीक पुराजलवायु डेटा की आवश्यकता होती है, जो गंगा के मैदान (जीपी) और कोर मानसून जोन (सीएमजेड) से उत्पन्न किया जाएगा, जिसमें पहले चरण में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ राज्य शामिल होंगे। ऐसे जलवायु अध्ययन के लिए, झीलें स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अच्छा संग्रह हैं। आसपास के वातावरण से एकत्रित तलछट में विभिन्न जैविक और अजैविक प्रॉक्सी का अध्ययन स्थानीय पर्यावरणीय स्थितियों, झील के पानी के रसायन विज्ञान, तापमान और झील की उत्पादकता का उच्च-विभेदन इतिहास प्रदान करता है।
बीएसआईपी के निदेशक प्रोफेसर महेश जी. ठक्कर के नेतृत्व में बीएसआईपी के 23 वैज्ञानिकों की टीम उच्च-विभेदन वाले पुरा-जलवायु डेटा के लिए विभिन्न भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रॉक्सी के लिए तलछट कोर का अध्ययन करेगी। बीएसआईपी के निदेशक प्रोफेसर महेश जी. ठक्कर के नेतृत्व में डॉ. अनुपम शर्मा, डॉ. कमलेश कुमार, डॉ. नवाज अली, डॉ. मयंक शेखर, डॉ. अनुराग कुमार, अरविंद तिवारी, व नजाकत अली और आईआईजी के निदेशक प्रोफेसर ऐ पी डिमरी के नेतृत्व में डॉ. बी.वी लक्ष्मी, एवं डॉ. के. दीना दयालन वर्तमान में यूपी के बलिया जिले में स्थित सुरहा ताल में कोर ड्रिलिंग कर रहें हैं। ड्रिलिंग टीम ने अब तक 10-मीटर गहरा कोर प्राप्त कर लिया है और अधिक गहराई तक ड्रिल करने की योजना बनाई जा रही है। यह पहली बार है कि बीएसआईपी, आईआईजी और एनजीआरआई के सहयोग से ऐसे गहरे कोर की ड्रिलिंग में शामिल है जो पिछले ~50000 वर्षों से मध्य गंगा मैदान पर मानसूनी बदलावों को समझने में मदद करेगा।
क्यूएलडीपी के दूसरे चरण के दौरान, बीएसआईपी ड्रिलिंग कोर के लिए इस अध्ययन को हिमालय, राजस्थान और भारतीय उपमहाद्वीप के तटीय हिस्से तक विस्तारित करेगा। बीएसआईपी के निदेशक प्रोफेसर महेश जी. ठक्कर ने यह भी कहा, “हम जलवायु-संस्कृति संपर्क का अध्ययन करने और सामाजिक प्रतिक्रिया को देखने और भारतीय उपमहाद्वीप के पुराजलवायु मॉडलिंग के लिए विशाल डेटा का उत्पादन करने में भी सक्षम होंगे, जो वैश्विक महत्वता प्रदान करेगा। यह परियोजना युवा शोधकर्ताओं (पीएचडी और पोस्ट-डॉक्स) को भी प्रशिक्षित करेगा जो इस तरह के अत्याधुनिक वैज्ञानिक अध्ययनों को अगले स्तर तक ले जाएंगे।