शहर के मुख्य स्थानों पर ही अवैध सट्टेबाजी और सूदखोरी का फैला मकड़जाल प्रशासन को नहीं हो रही जानकारी

The administration is not aware of the web of illegal betting and usury spread in the main places of the city.
शहर के मुख्य स्थानों पर ही अवैध सट्टेबाजी और सूदखोरी का फैला मकड़जाल प्रशासन को नहीं हो रही जानकारी
सीतापुर- शहर सीतापुर में सूदखोरी जिसको कुछ लोग बी .सी .भी कहते का जाल बेहद गहराई तक फैल चुका है। यही सूदखोर सट्टा खिलाने के भी कई जिलों के बाद्शाह बने और कुछ माह पूर्व पकड़े गऐ तेरह जुआरियों के गिरोह में जो सरग़ना  थे सब पुलिस की पकड़ में नहीं आ सके ।


ज्यादातर मामलों में सूदखोरों के एक ही नाम सामने आ रहे हैं। जो यह पूरा नेटवर्क कई बड़े रसूखदारों के इर्द-गिर्द घूम रहा है। शहर में पूर्व समय मे जहर खाने व हत्या सहित अन्य सूदखोरी से जुड़े मामलों को स्कैन करने पर सामने आया कि प्रत्येक 10 में से चार सूदखोरों का नाम हर घटना से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ रहा है। सूदखोरों की वसूली से तंग आकर पूर्व समय मे लोग जान दे चुके हैं,

लेकिन सूदखोरों पर पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है। कई सूदखोरी के मामले जानकारी होने पर मेरे द्वारा मामले पर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की जा रही है। सामने आ रहा कि सूदखोरों ने लोगों को फंसाने के लिए सिस्टम बना रखा है। कमीशन के तहत एजेंट काम करते हैं। सूदखोर एक से दूसरे व्यक्ति की गारंटी और प्रोपर्टी के दस्तावेजों के आधार फाइनेंस करते हैं। पैसा उधार देते वक्त गारंटी के नाम पर प्लॉट के कागजात, साइन किए गए खाली स्टांप व चेक लिए जाते हैं।

 शहर के साथ ही गाँवों में हावी सूदखोरों की व्यवस्था महामारी काल में बीमारी ही नहीं किसानों की जमीन भी सूदखोरों के जाल में फँसती चली जा रही। शहर से लेकर देहात तक सूदखोरों का नेटवर्क फैला हुआ है। हाल यह है कि गांव में किसान फसल बेचकर कर्च चुका रहे हैं पर सूदखोरों की ब्याज खत्म नहीं हो पा रही है। बेहद जरूरतमंद व्यक्ति ही सूदखोर से कर्ज लेता है, इसलिए उस पर कर्ज चुकाने का खासा दबाव रहता है।

कर्जदार तो पूरी रकम चुकाना चाहता है, मगर ब्याज की रकम ही इतनी ज्यादा होती है कि उसकी कमाई इसे चुकाने में ही चली जाती है। सिर पर कर्ज होने की वजह से वह पुलिस प्रशासन से शिकायत करने का जोखिम उठाने में कतराता है। ऊपर से सूदखोरों का रसूख भी उनको ऐसा करने से रोक देता है एक बार जिसने सूदखोरों से कर्ज ले लिया, फिर उससे उबरना आसान नहीं रहता। आखिर में उन्हे ब्याज चुकाते चुकाते अपना सब कुछ गवां देना पड़ता है। कुछ कर्जदारों के सामने खुदकुशी करने के सिवाय कोई उपाय ही नहीं बचता है। क्योंकि सूदखोरों के पास बदमाशों की भी भरमार है जो कर्जदार को गाली गलौज कर इतना परेशान कर देते की य तो वो खुद खुदकुशी कर ले य सूदखोरों के बदमाशों से मार खाये और घर पर कब्जा दे।

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