बापू ने जो रास्ता हमे बताया है: दिलीप तायड़े

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। दिलीप तायड़ेने कहा कि विनोबा जीवनभर बापू के राह पर चले । जिस शक्ति का समाज मे व्यापक स्तर पर प्रयोग गांधी ने किया था, विनोबा ने उसे तीसरी शक्ति के रूप मे पहिचाना था। उनका विश्वास था कि प्रेम व करूणा आधारित अहिंसक शक्ति से ही मानव समाज मे जो अप्रत्यक्ष हिंसा है उसको कम किया जा सकता है या उसका परिहार हो सकता है।
बापू कि मृत्यु के बाद 1948 मे बाबा विनोबा के द्वारा व्यक्त किया गये विचार जो समाज मे परिवर्तन लाने या अहिंसक समाज रचना के काम मे लगे रचनात्मक कार्यकर्ताओ के लिए आज भी प्रेरणादायक है।
"जो रास्ता हमे बापू ने हमे बताया है वह साफ है वह यह कि काम कठिन भी क्यो न हो उसे करते चले जाये। उसमे हमारा जीवन खत्म हो गया तो चिंता ही मिट गई, जैसे पानी समुद्र की तरफ जाने के लिए निकलता है, समुद्र मे मिलना है इसी उद्येश्य को ध्यान मे रखकर चलना है....
दुखीयो के दुख मिटाने की कोशिश तो हम करते रहेगे । दुखी भी अपना दुख कुछ दिनो के बाद भूल जायेगे। दुनिया मे चंद रोज दुख और चंद रोज सुख आते रहते है, एक गया तो दूसरा आता है...... इस तरह सुख दुख दुनिया मे चला ही करते है मुख्य चीज है द्वेष के खिलाफ लड़ना ।
आज द्वेष बुध्दि ने हिंदुस्तान में घर कर लिया है द्वेष बुध्दि को हम द्वेष से नही मिटा सकते प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है राज सत्ता से वह मिटने वाली नही है राज सत्ता के बाहर जो लोग है उनका वह वो काम उस काम मे राज सत्ता मदद कर सकती है लेकिन मुख्य काम तो जनता को ही करना है । "
प्रस्तुति--- दिलीप तायड़े