जो समाज में अपने से बड़ों का सम्मान करते है वे स्तुत्य हैं : रमेश भइया

Namita
 ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

शाहजहांपुर। विनोबा विचार प्रवाह के सूत्रधार रमेश भैया ने बताया कि विनोबा इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट साइंस विम्स की विद्यार्थी  नमिता और इसी पथ के पथिक अमित ने मिलकर एक और एक दो नहीं बल्कि बाबा विनोबा के शुभ अंक ग्यारह बनकर दिखाया और एक सौ ग्यारह बनने की ओर अभी से निरंतर अग्रसर है।

शाहजहांपुर शहर से ग्यारह किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग सीतापुर की ओर बरतारा गांव में एक समाजसेवी लोगों का आश्रम जो गांव में  गरीब लोगों को स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार देने में मदद देने के लिए जाना जाता था। वर्ष 2004  में इस सेवाभावी आश्रम ने डीम्ड विश्विद्यालय इलाहाबाद  के साथ संबद्ध होकर कुछ ऐसे भविष्य उन्मुखीगामी कोर्स शुरू किए ।

जिसकी कल्पना किसी को नहीं थी। शहर से बहुत बड़ी संख्या में बी टेक एम टेक बी बी ए एम बी ए में भाग लेने आए। आश्रम ने शहर से सुरक्षित पहुंचने के लिए बहनों के लिए बस चलाई।जिसमें एक बहन अपने छः माह के बच्चे को लेकर स्वास्थय की पढ़ाई करने आती थीं। उनके उस छोटे से प्यारे बच्चे आश्रम की बहनें खिलाती रहती थी। बहन इतनी पढ़ाई के क्षेत्र में गंभीर थी कि क्लास कोई नहीं छोड़ती थी।क्योंकि पढ़ाने के लिए दिल्ली भोपाल हरियाणा देहरादून बंगलौर से  योग्य अनुभवी शिक्षक बुलाए गए थे।

बाहर के लोगों के लिए हॉस्टल और भोजन की सुविधा भी दी गई थी। पहले साल का परिणाम शतप्रतिशत आने के कारण और छात्र बड़े। फीस भी।बहुत कम ही थी। इस संस्थान में बी पी टी , लेबोरेट्री  आप्टोमेटरी आदि के कोर्स भी विश्विद्यालय के नॉर्म्स उसी अवधि में  चले थे।    विनोबा सेवा आश्रम को बहुत अवसरों पर जानकारी मिली कि आपके संस्थान के छात्र को बजाज एच सी एल डी एस सी एल श्रीराम में सेवा मिल गई।तब कुछ संतोष हुआ कि उनकी मेहनत काम आई। लेकिन भरपूर प्रसन्नता तो तब हुई जब छः माह के युवराज को लेकर जो बहन आती थी उन्होंने पहले शहर में एक छोटे से केंद्र में बहनों के लिए फिजियोथेरेपी सेवाएं शुरू की हैं जिनकी बहुत प्रशंसा हो रही है ।

लेकिन मुझे लगा कि अभी सीता का काम शुरू हुआ । राम का भी सहयोग मिलना चाहिए। इस बीच में नमिता ने एम पी टी और अमित ने एम पी टी के साथ साथ एन वाई दी जैसे प्राकृतिक चिकित्सा का कोर्स किया। अब दोनो ने मिलकर बहुत बड़े हरियाली और प्रकृति की छटा से भरपूर स्थान पर प्रकाश हेल्थकेयर के नाम से अदभुत संस्थान खोला । तब मेरी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा और हम विमला बहन के फ्रोजन सोल्जर की पीड़ा के निदान हेतु उन्हें दिखाने गया लेकिन वहां की बहनों और भाइयों की भावनामय सेवा देखकर और उससे प्रेरित होकर हमने भी कमर दर्द के निदान हेतु  कुछ टिप्स लेना शुरू किया। धीरे धीरे दस दिन का पैकेज पूरा हो जाएगा।

इनके यहां कुछ अदभुत मशीन चाहें मिल्क से शिरोधारा या कोजोन जो पेट को पारदर्शिता के साथ साफ करती है।व्यक्ति को यह मशीन आभास कराती है कि आपके इस सुंदर पेट में कितना कचरा उसका दर्शन कराती है। देखा जाए तो विनोबा जी की पुस्तक मल दर्शनम का कुछ अंश तो है। डा नमिता सिंह और डा अमित सिंह दोनो चिकित्सा के क्षेत्र के साथ साथ सोशल सर्विस में और जैविक खेती में भी रुचि ले रहे हैं। डा नमिता की काम करने की शैली , या बोलने की शैली कुछ कुछ  राजनीति की सीढ़ी पर भी कदम रखने को इंगित करती दिखाई दी है।

क्योंकि जनपद के अनेक चिकित्सकों ने बहुत ही सुंदर       पुण्यकारी सेवा करके अंत में यह रास्ता भी जनता की भलाई के लिए चुना। जबकि बाबा विनोबा कहते थे कि डाक्टर भगवान के बाद दूसरे नंबर पर सम्मान के योग्य है। आज उन दोनो के प्रयास को देखकर कहना ही होगा कि नमिता और अमित मिलकर दो नहीं बल्कि ग्यारह ही हुए हैं। खुशी की बात यह है कि एक सौ ग्यारह होने की दुरूह मंजिल की ओर दोनो अपनी नजर बनाए हुए हैं।

विनोबा सेवा आश्रम बरतारा शाहजहांपुर परिवार इस चिकित्सक मित्र दंपति की उन्नति की कामना करता हैं। और भगवान से प्रार्थना करता है कि यह निरंतर प्रकाश फैलाते रहें। दोनो अतिथियों का या बड़ों का। जो सम्मान करते है वह स्तूत्य है। यह सदैव बना रहे। उनकी भविष्य की योजनाओं ने भी बहुत ही उत्साहित किया।

Share this story