150 किलोमीटर में कछुओं की होती है तस्करी ,कैसे हुआ इस खेल का खुलासा ,कैसे एक आई पी एस ने रोका था खेल 

अरविंद चतुर्वेदी
 आज वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो, भारत सरकार और वन विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा अवैध कछुआ व्यापार के संबंध में आयोजित एक दिवसीय प्रोग्राम में अरविंद चतुर्वेदी को  आमंत्रित किया गया |

 

 उत्तर प्रदेश में पूर्व से आरंभ कर  राप्ती, घाघरा, गोमती, गंगा और यमुना लगभग 100 से 150 किलोमीटर के अंतर पर अपनी सैकडों सहायक नदियों के साथ बहती हैं जो कछुओं के लिए आवासीय स्वर्ग के समान हैं | दुर्भाग्य से पिछले कई दशकों से मध्य - पूर्व उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, अयोध्या, बाराबंकी, सीतापुर, जौनपुर, आज़मगढ़ तक के क्षेत्रों में सॉफ्ट शेल टर्टल के अवैध व्यापार का मजबूत तंत्र विकसित हो गया।

उल्लेखनीय है कि कछुए का अवैध व्यापार माँस, कैलेपी (प्रोटीन युक्त झिल्ली), पालने के लिए और कछुए की छाल से कंघा, कड़ा आदि बनाने के लिए किया जाता है।

कछुए की तस्करी पर रोक

STF में तैनाती के दौरान इस मजबूत कुचक्र को इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के माध्यम से तोड़ने का प्रयास किया जिसमें वन विभाग, WCCB, RPF, DRI, कोलकाता पुलिस आदि संगठनों ने कंधों से कंधा मिलाकर साथ दिया। इसी प्रकार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आगरा, मैनपुरी, एटा, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर हॉट स्पॉट रहे हैं।

कोलकाता के बड़ा बाजार से गेंदे के फूल लाने वाले कैरियर पूरे उत्तर प्रदेश में सैकड़ो की संख्या में रोज 2 बोझा फूल( लगभग 80 किलोग्राम) ले कर आते हैं और वापसी में इतना ही जीवित कछुआ वापस ले जाते हैं। इस नेक्सस को तोड़ने का सफल प्रयास उक्त सभी एजेंसीज के साथ मिलकर किया गया।   

अपने वक्तव्य में अरविंद चतुर्वेदी ने गांधीग्राम, लखनऊ, जगदीशपुर, अमेठी, पकड़ी, सुल्तानपुर, जरवल रोड, बहराइच आदि का उल्लेख किया जहां सैकड़ों की संख्या में पूरे पूरे परिवार कछुए की तस्करी के अवैध धंधे में संलिप्त है।आज के वक्तव्य में मैंने एक बार पुनः गोष्ठी में उपस्थित सभी संगठनों के प्रतिनिधियों का आवाहन किया कि हमें कछुओं के तस्करी के खिलाफ मिलकर प्रयास करना होगा । मेरे विचार से इसका स्थाई समाधान हम तभी निकाल पाएंगे जब हम इन तस्करों को जो चिन्हित जनजातियों से संबंधित हैं और निश्चित भौगोलिक स्थलों पर निवास करते हैं, को कछुए की तस्करी से हो रही अवैध आमदनी से ज्यादा धन कमाने की वैकल्पिक व्यवस्था कर सकेंगे।

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