डीएसटी प्रायोजित "विज्ञान ज्योति" कार्यक्रम के तहत एसटीईएम की लड़कियों ने आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंस  (एआई), जलवायु एवं स्वास्थ्य पर एक जागरूकता कार्यक्रम में सीएसआईआर-सीडीआरआईकी टीम के साथ किया संवाद*

Artificial inteligence
 

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*सीएसआईआर-सीडीआरआई की टीम विज्ञान ज्योति की अलख जगाने पहुंची जवाहर नवोदय विद्यालय, पिपरसंड, लखनऊ*  

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) लखनऊ ने भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत, विज्ञान प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी एवं गणित (एसटीईएम) में लड़कियों के लिए "विज्ञान ज्योति" कार्यक्रम के तहत जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी), पिपरसंड लखनऊ में एक प्रेरणादायक आउटरीच प्रोग्राम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवा लड़कियों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), जलवायु आपातकाल पर जागरूकता एवं मासिक धर्म स्वच्छता के ज्ञान के साथ उन्हें सशक्त बनाने, उनके विकास एवं शिक्षा को बढ़ावा देने  के साथ ही समाज में ज्ञान और विज्ञान की रोशनी फैलाने के लिए एक एम्बेसेडर (दूत) के रूप में कार्य करने हेतु प्रेरित करना था।  कार्यक्रम की शुरुआत, स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती साधना शुक्ला ने सीडीआरआई टीम के स्वागत के साथ की, एवं उन्होने सीडीआरआई को उनकी अमूल्य पहल के लिए आभार व्यक्त किया।

सीएसआईआर-सीडीआरआई ने विद्यालय को जलवायु घड़ी प्रदान की तथा जलवायु आपातकाल के संदर्भ में जागरूक करने हेतु चर्चा की  
जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए एनर्जी स्वराज फाउंडेशन तथा सीएसआईआर की इस पहल के तहत सीडीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजीव यादव ने सीडीआरआई की तरफ से जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी), पिपरसंड लखनऊ को जलवायु घड़ी (क्लाइमेट क्लॉक) सौंपी। उन्होंने जलवायु घड़ी की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डाला एवं वर्तमान जलवायु आपातकाल में इसके महत्व को समझाया। उन्होंने छात्राओं से ऊर्जा साक्षरता प्रशिक्षण पूरा करने का आग्रह किया ताकि इस प्रशिक्षण के माध्यम से  जलवायु मे हो चुके बदलाव को हम कम करने के प्रति स्वयम भी कार्य कर सके एवं अन्य को भी प्रेरित कर सकें। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि हम समय पर कार्रवाई करें। (#ActInTime) 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अपने लक्ष्य हासिल करने में कैसे मदद करेगी? शुभम आर. लोंधे, वाम्स्टार, यूके में वरिष्ठ सॉफ्टवेयर इंजीनियर एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विशेषज्ञ ने एआई पर जानकारीपूर्ण व्याख्यान के साथ प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित किया। इस सत्र में, एआई के फायदे और नुकसानों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि एआई कैसे छात्रों को सशक्त बना सकता है एवं विभिन्न क्षेत्रों में करियर का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। उन्होने विभिन्न हैंड्स-ऑन टूल्स के माध्यम से बताया कि छात्र एआई का इस्तेमाल कर के अपने कार्य को कम समय में एवं बेहतर ढंग से किस प्रकार कर सकते है। 

छात्राओं को मेन्शट्रूयल हायजीन (मासिक-धर्म स्वच्छता) एवं उसके महत्व के बारे में जानकारी दी गई। 
इस जागरूकता कार्यक्रम के अंतिम सत्र मे, जो कार्यक्रम का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा था, में मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में लड़कियों को जानकारी दी गयी। इस पहल का उद्देश्य युवा लड़कियों के बीच जागरूकता फैलाना एवं स्वस्थ अभ्यासों को बढ़ावा देना था, जिससे समझदारी और सहयोग के वातावरण को प्रोत्साहित किया जा सके। सीएसआईआर-सीडीआरआई की एंडोक्राइनोलॉजी एवं प्रजनन जीव विज्ञान प्रयोगशाला से डॉ. राजेंद्र सिंह की छात्रा सुश्री अनामिका कुमारी तथा सुश्री श्रुति सेठी के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक समूह ने लड़कियों को मासिक धर्म स्वच्छता के महत्व पर शिक्षित किया एवं गलत धारणाओं को दूर किया। एक व्यापक और जानकारीपूर्ण सत्र के साथ, शोधकर्ताओं का लक्ष्य लड़कियों को सटीक और विश्वसनीय ज्ञान के साथ सशक्त बनाने का प्रयास किया, जिससे साहस और समझ की एक संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सके।  
सत्र के दौरान, छात्राएं शोधकर्ताओं के साथ सक्रिय रूप से जुडी तथा विभिन्न सवाल पूछे और मासिक धर्म स्वच्छता के विभिन्न पहलुओं पर स्पष्टीकरण मांगे। शोधकर्ताओं ने सुनिश्चित किया कि लड़कियाँ अपने निजी प्रश्न भी पूछे एवं सभी प्रकार के संदेह को दूर कर सकें। 
जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी), पिपरसंड के कार्यक्रम समन्वयक श्री हरिओम ने प्रभावशाली सत्र के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने शिक्षण संस्थानों और अनुसंधान संगठनों के बीच सहयोगी प्रयासों की महत्वपूर्णता को बल दिया, ताकि छात्रों के शिक्षा अनुभवों को समृद्ध किया जा सके। 
यह आयोजन शिक्षा, प्रौद्योगिकी और समाज की समझ का एक बड़ा मिश्रण था, जो सीडीआरआई की प्रतिबद्धता के साथ मेल खाता है कि वे छात्रों की पूर्णतात्मक विकास में मदद करें एवं पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाएं।

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