भारत में राजनीति और कोरोना वैक्सीन ....

भारत में राजनीति और कोरोना वैक्सीन ....

Covishield coronavaccine कोविशील्ड को पुणे की सिरम इंस्टीट्यूट ने और कोवैक्सीन को इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के सहयोग से भारत बायोटेक ने तैयार किया है। दोनों ही निजी संस्थाएं हैं।

सिरम इंस्टीट्यूट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने बताया कि सरकार के लिए पहली 10 करोड वैक्सीन की कीमत ₹200 प्रति डोज होगी वही निजी अस्पतालों के लिए ₹1000 प्रति डोज होगी

दोनों स्वदेशी वैक्सीन आ जाने से पूरे भारत में प्रसन्नता और खुशी का माहौल है वहीं भारत देश के नागरिक अपने देश के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों पर गर्व महसूस कर रहे हैं तो दूसरी ओर इन दोनों वैक्सीन को लेकर के विपक्ष अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहा है।

भारत में विकसित दोनों स्वदेशी वैक्सीन पर सरकार और विपक्ष में जंग सी छिड़ी हुई है। जहां सरकार इसे आत्म निर्भर भारत की ओर बढ़ता हुआ एक बड़ा कदम बता रही है वही विपक्ष लगातार सवाल खड़े कर रहा है कि आखिर सरकार वैक्सीनेशन के लिए इतनी आतुर क्यों है। विपक्ष अनुसार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैक्सीनेशन का श्रेय लेने के लिए जल्दबाजी में टीकाकरण अभियान शुरू कर रहे हैं ।सरकार कहीं न कहीं कंपनियों के दबाव में है और कंपनियों को बेजा फायदा पहुंचाने के लिए इस तरह का टीकाकरण करवा रही है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सपा मुखिया अखिलेश यादव ने तो इन दोनों वैक्सीन को भारतीय जनता पार्टी का वैक्सीन तक बता डाला । और विपक्ष के द्वारा यह भी कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ताली और थाली बजाकर कोरोना वायरस को भगा रहे थे। बिना सरतो और ट्रायल को पूरा किए वैक्सीनेशन की जल्दबाजी क्या है ।वैक्सीनेशन का श्रेय लेने के लिए जल्दबाजी में टीकाकरण अभियान शुरू कर रहे हैं

भारत में कोरोना वैक्सीन को लेकर वैक्सीनेशन का प्रारंभ 16 जनवरी 2021 को हो चुका है 16 जनवरी को 3352 केंद्रों पर 191101 लोगों को टीका लगाया गया किसी को भी टीका लगने के बाद अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी।

टीकाकरण के क्रम में जहां ऐम्स दिल्ली के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कोरोना वैक्सीन ली वही सिरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने भी खुद टिका लगवाया ।वहीं मुंबई में महाराष्ट्र के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और शिवसेना नेता डॉक्टर दीपक सावंत और उनकी पत्नी को भी कोरोना का पहला टीका लगाया गया ।जहां एक ओर डॉक्टर्स तमाम सारे विशेषज्ञ स्वयं कंपनी के सीईओ टीका लगाते समय किसी भी प्रकार का कोई सवाल नहीं खड़ा कर रहे हैं और ना ही उनके अंदर किसी प्रकार का भय आशंका डर ही दिखाई दे रहा है वही राजनीति से प्रेरित लोग राजनीतिक पार्टियां भारत के स्वदेशी टीका और टीकाकरण अभियान पर सवाल खड़े कर रहे हैं। जहां कांग्रेश अभी तक यह कह रही थी की यह टीका अभी पूर्ण रूप से तैयार नहीं है और इसे जल्दबाजी में केवल और केवल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं श्रेय लेने के लिए जल्दबाजी में लागू कर रहे हैं, वही जब ब्राजील को 20 लाख कोरोना वैक्सीन निर्यात करने की अनुमति भारत सरकार ने दी तो यही कांग्रेश प्रश्न उठाने लगी कि पहले इसका उपयोग देश के लोगों के लिए होना चाहिए ना कि इसका निर्यात होना चाहिए। ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसोनारो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को पत्र लिखकर 20 लाख कोरोना वैक्सीन डोज की मांग की थी जिसकी अनुमति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा दी थी।

: कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीनेशन का कार्य और भी कई देशों ने जारी कर रखा है जैसे अमेरिका ने फाइजर वैक्सीन और ब्रिटेन ने मॉडर्ना वैक्सीन को मंजूरी दी है वहीं चीन ने कैनसिनो बायोलॉजिक्स वैक्सीन और रूस ने स्तूतनिक वी वैक्सीन को मंजूरी दी है। किंतु जिस प्रकार की राजनीति भारत देश में हो रही है इस प्रकार की वैसी वैक्सीन को लेकर के कहीं पर राजनीति नहीं दिखाई दे रही है।

भारत की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन जी ने भी हर्ष व्यक्त किया और कहा की प्राथमिकता के तौर पर पहले मेडिकल स्टाफ और करोना वैरीयर्स को इस वैक्सीन का लाभ मिलेगा ।वही भारत सरकार के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी ने कहां की यह कोरोना वैक्सीन न सिर्फ देश के लोगों को ही उपलब्ध होगी बल्कि विदेशों में भी इस वैक्सीन का निर्यात किया जाएगा ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के वैज्ञानिकों को कोरोना वैक्सीन की सफलता के लिए बधाई दी।

अब सवाल यह उठता है कि क्या इतनी ओछी और छोटे स्तर की राजनीति होनी चाहिए कि कोरोना वैक्सीन को भारतीय जनता पार्टी की वैक्सीन बता दिया जाए ,या अपने ही देश के वैज्ञानिकों, डॉक्टर, पर सवाल खड़े किए जाएं ।

कांग्रेश के नेता राहुल गांधी को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अपरिपक्व नेता घोषित कर चुके हैं, लेकिन राहुल गांधी के बयान उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता पर लगातार मोहर लगा रहे हैं ।जब अमेरिका इंग्लैंड जैसे विकसित देश जो कोरोना की महामारी से जूझ रहे थे वही भारत देश के प्रधानमंत्री ने देश में लॉकडाउन लगाकर इस महामारी को रोकने का प्रयास किया तब भी विपक्ष ने प्रधानमंत्री पर सवाल खड़े किए की लॉक डाउन की क्या आवश्यकता है और जब लॉक डाउन हटाया गया तब पुनः सवाल खड़े किए कि लाक डाउन क्यों हटा दिया। इसी प्रकार की ओछी राजनीति विपक्ष के द्वारा पूरे देश में की जा रही है ।जब भारत देश के लोगों को वैक्सीनेशन का प्लान बना वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई तब सवाल खड़े किए गए की वैक्सीन अभी ट्रायल कंडीशन में है और वैक्सीनेशन नहीं होना चाहिए, किंतु जब ब्राजील और अन्य कई देश लगातार भारत की वैक्सीन की मांग कर रहे हैं और वैक्सीन निर्यात की अनुमति भारत सरकार ने दे दी है तब सवाल उठाए जा रहे हैं कि पहले भारत के लोगों को वैक्सीन लगनी चाहिए ना कि इस वैक्सीन को अन्य देशों को बेचना चाहिए।

क्या इस तरह की दोहरी मानसिकता दोहरे सवाल और दोहरा मापदंड खास करके राष्ट्र के महान वैज्ञानिकों की खोज पर -खड़े करने चाहिए। क्या यही कारण है कि देश की जनता पर से सबसे पुरानी पार्टी ने विश्वास खो दिया है।

( के. सी. जैन एडवोकेट )लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार है

Share this story