उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद पर लगा 10 लाख का जुर्माना

उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद पर लगा 10 लाख का जुर्माना

National News Desk-आवास विकास परिषद द्वारा दिए गए फ्लैट में गलत तथ्यों को दिए जाने पर state consumer forum Lucknow द्वारा आदेश पारित करते हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 17 के तहत दिए गए आवेदन में वादी को रु 1025925.00 मुआवजा दिए जाने और ₹10000 खर्चे के तौर पर दिए जाने का आदेश दिया है ।

परिवादी राजीव कुमार गुप्ता की तरफ से अधिवक्ता अनूप कुमार ने रखा पक्ष और कहा कि जो विज्ञापन में कहा उसे आवंटन के समय कम कार्पेट एरिया दिया आवास विकास ने ।

State Consumer Forum में मामले की सुनवाई करते समय पाया कि परिवादी ने विपक्षी गण के यहां प्रश्नगत फ्लैट के आवंटन हेतु फ्लैट का Super Area 97.1 6 वर्ग मीटर और कारपेट एरिया 82 .6 वर्ग मीटर दर्शित किया गया है .

विपक्षीगण ने परिवादी को विज्ञापन जिस Flat का आवंटन किया है और उसी फ्लैट का विक्रय पत्र परिवादी के पक्ष में निष्पादित किया है कोर्ट ने पाया कि उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि विपक्षी ने परिवादी के पक्ष में निष्पादित विक्रय पत्र में फ्लैट का क्षेत्रफल 8 .7 वर्ग मीटर अंकित किया है और यह स्पष्ट नहीं किया कि फ्लैट का कारपेट एरिया और सुपर एरिया कितना है।

विपक्षी के फ्लैट का क्षेत्रफल अंकित किया है और परिवादी ने फ्लैट का कब्जा प्राप्त करने पर उसका पाया है परिवादी के अधिवक्ता आयुक्त की रिपोर्ट से भी होती है .

Report के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कारपेट एरिया में फ्लैट का कब्जा प्राप्त किया है उसे दिया है और उसके साथ किया है ऐसी स्थिति में यह नहीं कहा जा सकता कि वह जानते हुए बिना किसी आपत्ती के प्राप्त किया है माननीय राष्ट्रीय आयोग के उपरोक्त निर्णय प्रतिवादी सिद्धांत का लाभ विपक्षी गढ़ को वर्तमान परिवाद के तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में नहीं दिया जा सकता है .

परिवादी को प्रश्नगत फ्लैट एक विपक्षी गण ने जो सेवा दी है वह विपक्षीगण द्वारा घोषित और विज्ञापित सेवा के अनुकूल नहीं है।

अतः विपक्षीगण की सेवा में कमी हेतु परिवादी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत परिवाद प्रस्तुत किया जाना उचित और विधि सम्मत प्रतीत होता है माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने फ्लैट का निर्माण कर बिक्री किए जाने को लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी एमके गुप्ता के वाद में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 21 के तहत अंतर्गत सेवा माना है ।

उपरोक्त विवेचना और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत है कि परिवादी द्वारा वर्तमान उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत है और विपक्षी घोषित विज्ञापित क्षेत्र से कम क्षेत्र का सेवा में कमी की है उचित प्रतीत होता है कि फ्लैट के घोषित कारपेट एरिया से वास्तविक है उसकी दादी को वापस दिलाई जाए साथ ही इस धनराशि का 9% वार्षिक ब्याज भी देना उचित है ।

परिवादी को दिए गए घोषित विज्ञापित किया 6 वर्ग मीटर क्षेत्रफल होती है ।

करने की कोशिश किया जाना आवश्यक है उपरोक्त धनराज 1025925.00 पर देय सर्विस टैक्स की धारा जो विपक्षीगण ने परिवादी से प्राप्त किया है।

Setvice Tax परिवादी को विपक्षी गण से वापस दिलाया जाना उचित है संपूर्ण तत्वों व परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत हम इस मत के हैं कि उपरोक्त अनुतोष के अलावा परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में अनुतोष प्रदान किए जाने हेतु उचित आधार नहीं है ।

अतः उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता और विपक्षी गण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को ₹1025925 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी कितनी तक 9% वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज के साथ वापस करें साथी उसे ₹10000 वाद व्यय भी प्रदान करें उपरोक्त विधि से प्राप्त किया वापस करें।

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