अरबन स्लम पुनर्विकास योजना ,उत्तर प्रदेश में शहरों के स्लम सुधरेंगे अधिकारियों ने सीखा महाराष्ट्र और गुजरात से 

आशुतोष टंडन
 सूड़ा निदेशालय में “अरबन स्लम पुनर्विकास योजना” की ड्राफ्ट पॉलिसी को लेकर नगर विकास मंत्री की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक
सूडा द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के अंर्तगत “अरबन स्लम पुनर्विकास योजना” के अंर्तगत स्लम में रहने वालों को पक्के मकान उपलब्ध कराने की बनाई जा रही योजना
लखनऊ: प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के अंर्तगत “अरबन स्लम पुनर्विकास योजना” को पूर्व में नगर विकास मंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम इस योजना की एक ड्राफ्ट पॉलिसी तैयार की गई, जिसका प्रस्तुतिकरण गत दिवस नगर विकास मंत्री श्री आशुतोष टंडन के समक्ष हुआ। उत्तर प्रदेश स्लम एरिया (इंप्रुवमेंट एंड क्लियरेंस) एक्ट 1962 की धारा-3(बी) एवं सूडा के अधिकारियों द्वारा किए गए गुजरात तथा महाराष्ट्र भ्रमण के उपरान्त वहां की पॉलिसी को आधार मानते हुए तैयार की गई है।
नगर विकास मंत्री ने ड्राफ्ट पॉलिसी की समीक्षा की और पॉलिसी में आवश्यक संशोधन करने के निर्देश दिए। साथ ही बैठक में मौजूद अधिकारियों को अपर मुख्य सचिव द्वारा निर्देश दिए कि जल्द से जल्द इस योजना का पूरा प्लान और ड्राफ्ट पॉलिसी किए गए संशोधन के साथ तैयार कर ली जाए। ताकि ड्राफ्ट पॉलिसी का पुनः प्रस्तुतिकरण किया जा सके। तत्पश्चात उस ड्राफ्ट पॉलिसी का मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के समक्ष प्रस्तुतिकरण किया जायेगा।
ड्राफ्ट पॉलिसी की समीक्षा पर चर्चा करते हुए श्री टंडन ने कहा कि इस योजना से न केवल शहरों का सौंदर्यीकरण होगा बल्कि स्लम में रहने वालों को पक्के मकान भी मिल सकेंगे, जिसके लिए सूडा द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत योजना का प्लान तैयार किया जा रहा है। ये भी बताया कि इस योजना को तैयार करते समय यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं कि संरचनाओं को डिजाइन एवं ले-आउट करते समय लाभार्थियों की विशेष आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाए। इसके अलावा इस पॉलिसी के अंर्तगत किसी भी परियोजना का निर्माण कार्य अनुमोदन की तारीख से दो वर्ष के भीतर पूरा किया जाएगा।
नगर विकास मंत्री ने कहा कि “अरबन स्लम पुनर्विकास योजना” में राज्य के शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक भूमियों (केंद्रीय सरकार की भूमि/राज्य सरकार की भूमि/शहरी स्थानीय निकायों की भूमि) पर स्थित स्लम क्षेत्र की जमीनों का चरणबद्ध तरीके से इन-सीटू (स्व-स्थाने) पुनर्विकसित किया जाएगा। निजी भागीदारी के माध्यम से इन-सीटू (स्व-स्थाने) स्लम पुनर्विकास के सभी पहलुओं का ध्यान रखने के लिए एक व्यापक एवं पारदर्शी नीतिगत फ्रेमवर्क बनाया जाएगा। इन-सीटू (स्व-स्थाने) स्लम पुनर्विकास परियोजनाओं के लिए संसाधन के रूप में भूमि का उपयोग करके निजी भागीदारी को आकर्षित करना है। सरकारी भूमि, जिस पर आईएसएसआर परियोजना लागू की जानी है, कार्यदायी संस्था स्थानीय नगरीय निकायध्विकास प्राधिकरणध्आवास एवं विकास परिषद को निःशुल्क उपलब्ध करायी जायेगी। सरकारी भूमि पर स्थित स्लमों का आकार छोटे होने की दशा में, ऐसे विभिन्न स्लमों को संगठित कर एक बड़ी परियोजना में परिवर्तित कर लाभान्वित करना है।
श्री टंडन ने कहा कि इस परियोजना के तहत, स्लम में लाभार्थियों को 25-30 वर्ग मीटर के पक्के आवास दिए जाएंगे। लाभार्थियों को पेयजल, सीवरेज लाइन और बिजली कनेक्शन की बुनियादी सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। क्रेच, शॉपिंग सेंटर, सामुदायिक भवन, अस्पताल आदि जैसी मूलभूत सुविधायें को झुग्गी पुनर्विकास परियोजनाओं में प्रावधान किए जाएंगे। इसके अलावा जिन लाभार्थियों को अपना स्वंय का व्यवसाय करने लिए एक दुकान होगी उनको दुकान भी दी जाएगी।
बैठक में अपर मुख्य सचिव, नगर विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन श्री डॉ. रजनीश दुबे जी, निदेशक सूडा श्री उमेश प्रताप सिंह, अपर निदेशक सूडा श्री आलोक सिंह सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।

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