इस तरह से मिल सकती है अखिलेश यादव को 300 से ज्यादा सीटें
लखनऊ - 13 को चुनाव आयोग में सपा के चुनाव चिन्ह का भविष्य तय होगा और 14 को सपा का। पहले अखिलेश यादव ही गठबंधन के पक्ष में नहीं थे । अब जिस तरह से परिस्थितियां बदली हैं उसको देखते हुए अखिलेश ही अब चाहते हैं कि कांग्रेस से गठबंधन किया जाये । गठबंधन में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन तय है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के बीच सहमति बन गई है। सीटों के बंटवारे पर बातचीत भी अब अंतिम चरण में है। सूत्रों का दावा है कि गठबंधन का औपचारिक ऐलान 14 जनवरी को हो सकता है।
अखिलेश और राहुल बात भी कर चुके है
कांग्रेस के सूत्रों का दावा है कि सपा में आंतरिक विवादों का पटाक्षेप करने के लिए चल रही बातचीत में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से यह शर्त भी रखी जा रही है कि पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन करके विधानसभा चुनाव में उतरेगी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से अखिलेश की बातचीत हो चुकी है। बातचीत और सीटों के बंटवारे की इस पूरी प्रक्रिया को इतना गोपनीय रखा गया कि प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेताओं तक को इसकी भनक नहीं लग पाई। कांग्रेस की तरफ से प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद इस पूरी कवायद की धुरी रहे हैं।
300 से ज्यादा सीटें जीतने का है फार्मूला
संभावना यह भी है कि इस गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल, जनता दल (यू) व राष्ट्रीय जनता दल को भी शामिल किया जाए। अंदरखाने चल रही सपा-कांग्रेस गठबंधन की यह कवायद तब सार्वजनिक हुई थी जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक सार्वजनिक समारोह में खुले तौर पर कह दिया कि सपा यदि कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़े तो 300 से ज्यादा विधानसभा सीटें जीत सकती है। इससे पहले कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की अखिलेश व सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से बातचीत हो चुकी थी। बातचीत की यह प्रक्रिया शुरू होने के बाद कांग्रेस के रुख में नरमी भी दिखने लगी थी। कांग्रेस अब पूरी तरह केवल केंद्र सरकार पर ही हमलावर दिखती है। सपा के आंतरिक विवाद पर भी पार्टी ने उचित दूरी बनाए रखी। गठबंधन की राजनीति से बिहार में भी सत्ता परिवर्तन हुआ था और इसी प्रयोग को उत्तर प्रदेश में दुहराये जाने की तैयारी है ।