मंदिर पुजारी पर हमलामामला महंत Suspected Police ने किया Detain
अपनी सुरक्षा के लिए परेशान था महंत एसएचओ से भी हुई थी बहस
State Crime News UP -गोण्डा (एच पी श्रीवास्तव)मैंने इंजीनियरिंग की है और आप जो कुछ भी कर रहे हैं वह ठीक नही है हम 70 % ब्राह्मण है और अगर अपने पर आ गए तो ठीक नही होगा ।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई उस बातचीत जिसमे तिर्रे मनोरमा के राम जानकी मंदिर के महंत सीताराम दास द्वारा इटियाथोक के एसएचओ को अर्दब में लिया जा रहा था अब वही महंत पुलिस की पकड़ में है और उससे पुजारी पर हुए हमले के बारे में पूछताछ की जा रही है ।
जनपद के इटियाथोक कोतवाली क्षेत्र के तिर्रे मनोरमा में स्थित राम जानकी मंदिर के पुजारी सम्राट बाबा पर हुए हमले के मामले में शुक्रवार रात को एसओजी ने मुख्य मंहत सीताराम दास को उठा लिया है। शुक्रवार बड़गांव के पास एसओजी ने यह कार्रवाई अंजाम दी है। कुछ दिन पहले मंदिर के पुजारी को उस वक्त गोली मार दी गई थी जब वे मंदिर परिसर में सो रहे थे। इस घटना के तूल पकड़ने के बाद पुलिस ने नामजद आरोपियों में से दो को गिरफ्तार कर लिया था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार विवेचना के दौरान प्रकाश में आया कि घटना कूट रचित तरीके से अंजाम दी गई थी। इसे लेकर शुक्रवार रात साढ़े नौ बजे के करीब मुख्य मंहत रामदास को एसओजी ने बड़गांव के पास से उठाया है।Gonda Police द्वारा अभी पूरी बात का खुलासा नही किया गया है । जांच में जैसे तथ्य प्रकाश में आए उसके अनुसार कार्रवाई की गई है।
माना जा रहा है कि साक्ष्यों के आधार पर पुलिस द्वारा कार्रवाई अंजाम दी गई है। यह मामला मंदिर की भूमि से जुड़ा हुआ है। मंहत की ओर से चार लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसी प्रकरण में इटियोथोक कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक संदीप कुमार सिंह को केस में लापरवाही बरतने के आरोप में लाइन हाजिर कर दिया गया था।
तब महंत सीताराम दास ने तत्कालीन एसओ पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। 11 अक्टूबर की रात कुछ लोगों ने राम जानकी मंदिर के पुजारी अतुल बाबा उर्फ सम्राट दास को गोली मार दी थी। गंभीर से घायल होने के कारण उनको लखनऊ रेफर कर दिया गया था।
गोंडा के मंदिरों के पास संपत्ति पर महंत की गद्दी को लेकर कई मंदिर और मठों में जमीनी विवाद और वर्चस्व की लड़ाई चला करती है । मंदिर और उसकी संपत्ति से आने वाली धनराशि पर आसपास की जनता को कोई भी लाभ नही मिलता है और उल्टे मेला के समय मंदिरों द्वारा किराया की वसूली अलग की जाती है इस प्रकार से एक बड़ी कमाई महंतों के पास आती है ।
यही सबसे बड़ा कारण है कि मंदिर मठ राजनीति का अखाड़ा तो बनते ही है एक ठोस कमाई का जरिया भी बनते हैं जिसका कोई भी हिसाब नही होता है ।
कथित रूप से इंजीनियरिंग करके महंती का शौक पाले महंत रामदास का पिछला सामाजिक और आर्थिक क्या इतिहास है यह तो अब जब मामले का खुलासा पुलिस द्वारा किया जाएगा तब जनता के सामने आएगा लेकिन पुलिस का।यह दावा है कि उनके पास पर्याप्त साक्ष्य हैं ।