परसीमन बदलते ही राजनीति ने ली करबट।
Oct 14, 2017, 12:32 IST
पीलीभीत शारिक परवेज । नगर पालिका परिषद पीलीभीत का परसीमन पहली बार बदला है वो भी इस बार सीट महिला हो गयी। ऐसे में लम्बे प्रचार के बाद संभावित प्रत्याशी भी ठंडे पड गए। पीलीभीत नगर पालिका सीट लंबे समय से अनारक्षित थी, लगातार दो बार से यहां प्रभात जायसवाल चेयरमैन पद पर काबिज थे। साफ सुथरी छवि की वजह से वो निर्दलीय उम्मीदवार रहे और जनता ने उन्हें चुनकर भेजा। लेकिन इसबार उनकी दावेदारी खत्म होती दिख रही है। महिला सीट होने के बाद अब राजनीतिक मोड़ कुछ और ही हो गया है। अभी तक जो प्रत्याशी के रूप में अपना प्रचार कर रहे थे वो अब इस उधेड़बुन में लग गए है कि अपने परिवार की किस महिला को वो मैदान में उतारे।
बात शुरू करते है बीजेपी से यहाँ प्रमुख दावेदारी में इसबार मौजूदा चेयरमैन प्रभात जायसवाल का चुनाव लड़ना मुश्किल लग रहा महिला सीट होने के बाद वो चुनाव से पीछे हटते दिखाई दे रहे है। लेकिन बाकी दावेदारों ने अब फेसबुक व्हाट्सएप आदि अन्य सोशल मीडिया पर अपने घरों की महिलाओं संग प्रचार शुरू कर दिया है। यहां के बीजेपी से प्रमुख दावेदार प्रदीप नवरंग जोकि लोकसभा पालक भी है उन्होंने अपनी पत्नी संग फ़ोटो शेयर किए और अपनी दावेदारी की मजबूती दिखाई तो वही अन्य दावेदारों में राघवेंद्र नाथ मिश्र भी अपने परिवार की किसी महिला की दावेदारी दे रहे है, विकास श्रीवास्तव भी अब अपनी पत्नी की दावेदारी दे रहे है, टिकट के युवा दावेदार पंकज राजपूत बैकफुट पर आगये है। लेकिन इन सब मे सबसे दिलचस्प बात यह है कि अब दो महिलाएं भी सामने आई है जो कि राजनैतिक है इसमें 4 बार की सभासद पुष्पा शुक्ला जोकि वरिष्ठ भाजपा नेता है और इनके मुकाबले सांसद मेनका गांघी की करीबी रेखा परिहार है। देखने वाली बात अब यह होगी कि भाजपा किस प्रत्याशी पर दांव खेलती है।
वही समाजवादी पार्टी के सभी दावेदार बैकफुट पर आ गए है। यहां सपा से संजीव मिश्र, मुजाहिद इस्लाम, इशरत खान, इमरान अंसारी अपनी दावेदारी कर रहे थे लेकिन अब महिला सीट होने के बाद अब सब खामोश है। कयास लगाया जा रहा है कि पीलीभीत से पूर्व विधायक व सपा सरकार से पूर्व कैबिनेट मंत्री हाजी रियाज़ अहमद की बेटी का नाम अब चर्चा में आया है उनकी बेटी रुकैय्या आरिफ पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राह चुकी है
यहाँ अभी बसपा और कांग्रेस खामोश है लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में व्यापार मंडल के अध्यक्ष अफरोज जीलानी जो खुद की दावेदारी कर रहे थे उन्होंने अपनी पत्नी की घोषणा कर दी है तो वही बालाजी दरबार के महंत पंडित अवनेश कौशिक जो खुद का प्रचार कर रहे थे उन्होनें भी अपनी पत्नी को मैदान में उतारने का फैसला लिया है।
चुनाव भले ही कोई जीते लेकिन परसीमन के बदलाव ने राजनीति ज़रूर बदल दी है।