विनोबा का जीवन मधुर संगीतमय है : उषा बहन

vinoba bhave

(आर एल पाण्डेय)
हरदोई। विनोबाजी सत्ययुग के प्रतिनिधि हैं। उनका पूरा जीवन मधुर संगीतमय है। उन्होंने अपनी युवावस्था के सर्वोत्तम वर्ष मजदूरी में बिताए। कताई करने के औजार तकली को विनोबाजी ने मातृ स्थान दिया। उससे अपने लिए वर्षभर का वस्त्र बनाकर स्वयं को स्वावलंबी किया। उनके जीवन में सेवक, साधक और शोधक तीनों के दर्शन होते हैं।


यह विचार ब्रह्मविद्या मंदिर की सुश्री उषा बहन ने विनोबाजी की 126वीं जयंती के उपलक्ष्य में विनोबा विचार प्रवाह द्वारा आयोजित ऑनलाइन संगीति में व्यक्त किए। सुश्री उषा बहन ने कहा कि हजारों साल पहले ऋषि-मुनियों ने चरेवैति मंत्र दिया था, जिसके आधार से विनोबाजी स्थूल और सूक्ष्म रूप से सतत घूमते रहे। भूदान आंदोलन में ज्ञान, कर्म और भक्ति का पाथेय लेकर पूरे देश में पदयात्रा की। उन्होंने कहा कि विनोबाजी क्रांतिकारी कर्मयोगी थे। बीस वर्ष तक उन्होंने हजारों ग्रन्थ पढ़े।

उनके जीवन पर शंकराचार्य, संत ज्ञानेश्वर और गांधीजी का प्रभाव था। गांधीजी ने उन्हें कृतयुगी विनोबा कहा। सुश्री उषा बहन ने प्रयोगधर्मी विनोबा के जीवन के अनेक पहलुओं पर प्रकाश डाला। विनोबा जी की अक्षर देह साहित्य में निहित है। उसमें से कोई भी अपने जीवन के लिए मार्गदर्शन हासिल कर सकता है। उन्होंने कहा कि समाज सेवा व्यक्ति को व्यापक बनाती है और आध्यात्मिक साधन गहराई में ले जाती है। दोनों के समन्वय से व्यक्ति का जीवन सुंदर बनता है।

प्रारंभ में श्री संजय राय  ने उषा दीदी का परिचय देते हुए कहा कि बाबा विनोबा के आश्रम में जो बहनें प्रारंभ से साधना के लिए आईं थी ।उनमें दीदी एक थी। उषा दीदी गीता की मर्मज्ञ और बाबा के विचार की वाहक हैं। विनोबा विचार प्रवाह परिवार की ओर से 
आभार संयोजक रमेश भैया ने व्यक्त किया। प्रो0 पुष्पेंद्र दुबे जी का सराहनीय योगदान संगीती को रहा।

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