पुलिस की मनमानी पर अंकुश है 157 Cr.P.C , Magistrate की FIR पर निगरानी

पुलिस की मनमानी पर अंकुश है 157 Cr.P.C , Magistrate की FIR पर निगरानी



Law Desk -जब कानून बनाया गया तो उसके कार्यान्वयन के लिए पुलिस को अधिकार दिया गया साथ ही उसकी निगरानी करने के लिए कोर्ट में हर समय हर कदम पर सूचना देनी आवश्यक कर दी गई और निर्णय लेने का काम कोर्ट को दिया गया लेकिन इसी बीच में पुलिस को मिले अधिकार का इस तरीके से उन्होंने दुरुपयोग किया जो अंग्रेजों के जमाने से ही चला रहा है लेकिन इसमें अगर जनता जागरूक होती है और कानून के बारे में जानती है तो उसको कई बार उत्पीड़न होने से बचाया भी जा सकता है जैसे कि आज हम बात करते हैं 157 सीआरपीसी की 157 सीआरपीसी में व्यवस्था यह है कि जैसे ही कोई भी f.i.r. थाने पर दर्ज होती है उसकी तत्काल सूचना संबंधित कोर्ट को देनी होती है इसलिए ऐसा व्यवस्था बनाया गया था कि कोर्ट को जब सूचना दी जाती है तो इससे यह कोर्ट की निगरानी में आ जाता है कि किस समय और किस आधार पर मुकदमा कायम किया गया है जिससे उसमें आगे कोई भी छेड़छाड़ या उसमें कोई रख दो बदलना किया जा सके लेकिन इसी मामले में कई बार पुलिस लापरवाही बरती है जानबूझकर या अनजाने में एफ आई आर की सूचना मजिस्ट्रेट को नहीं दी जाती है और जब कि कानून में यह प्रावधान है कि जैसे ही एफ आई आर दर्ज है उसकी तत्काल सूचना देनी है और पुलिस की जिम्मेदारी यह बनती है की सूचना देने के बाद में भविष्य में अगर पाती है कि मामला नहीं बनता है इस बात की सूचना व कोर्ट को देख कर मामले को क्लोज भी कर सकता है लेकिन देखा अधिकतर यही जाता है कि पुलिस के पास में जैसे ही कोई इंफॉर्मेशन आती है वह उस पर जांच विवेचना करना शुरू कर देते हैं और कोर्ट को बताना आवश्यक नहीं समझते जबकि कोर्ट ने इस बात को मैंडेटरी कर दिया है अगर पुलिस के द्वारा यह लापरवाही बढ़ती जाती है तो जिस को आरोपी बनाया गया है वह इस बात को कोर्ट में रख सकता है कि चुकी विवेचना करने वाली पुलिस की मंशा साफ नहीं थी इस वजह से उस में सूचना देने में देरी की और इस बात का लाभ अभियुक्त को मिलता है और वह अगर सही है तो अपनी बातों को कोर्ट के सामने रख सकता है और यह भी बता सकता है कि जो एफ आई आर दर्ज की गई इसमें पुलिस की भूमिका संदिग्ध है कोर्ट इस मामले की निगरानी करते हुए विवेचना करने वाले अधिकारी को निर्देश दे सकती है और उससे यह भी पूछ सकती है कि सूचना देने में देरी क्यों की गई है यह बहुत ही महत्वपूर्ण है 157 सीआरपीसी के तहत कई सारे जजमेंट भी ऐसे हुए हैं हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से जिसमें पुलिस की भूमिका को तय किया गया है और उनको कहा गया है कि किस तरीके से वह सूचना दें और कई बार कई ऐसे निर्णय भी आए हैं जिसमें अगर पुलिस ने देरी की है सूचना देने में तो इसका लाभ आरोपी को भी मिला हुआ है इसके लिए कई सारे जजमेंट हुए हैं जिसको यहां दिया जा रहा है जिसको पढ़ कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और कानून की जानकारी होने पर अपने को अगर आप भेजना है तो साबित भी कर सकते हैं.

Arjun Malik vs State of Bihar 1994 Supply (2) SCC 372

Bahula Mahakaleshwar Rao &Others vs State 2008 SCC 722

Sheo Shankar Singh vs State Of UP

Sandeep vs State Of UP( 2012 ) 6 SCC 107 (2012) 3 SCC (Cri) 18 as under in Paras 62-63 SCC P.132

Pala Singh vs State Of Punjab 1972 2 SCC: 640 1973 SCC (Cri) 55

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