Viral news: ज्ञान की उम्र नहीं होती, वाकई सच कर दिखाया 80 साल की इस...

Viral news: ज्ञान की उम्र नहीं होती, वाकई सच कर दिखाया 80 साल की इस...

Viral news: कहा जाता है कि पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती, इंसान जीवन भर सीखता और बढ़ता है।

जीवन में आपको सफलता तभी मिलती है जब आप निरंतर सीखते रहते हैं। इसीलिए कहा जाता है किसी भी इंसान को अपने ज्ञान पर घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि ज्ञान आपको कहीं से, कैसे भी प्राप्त हो सकता है।

Viral news in Hindi: ज्ञान आपको एक छोटे बच्चे से भी मिल सकता है, ज्ञान आपको सड़क किनारे भूखे से भी मिल सकता है, ज्ञान आपको वृद्ध आश्रम के किसी कोने से मिल सकता है, ज्ञान आपको रास्ते पर चलते फिरते मिल सकता है, ज्ञान के रास्ते कभी भी बंद नहीं होते।

बंद होती है तो सोचने और समझने की प्रक्रिया। इससे यह पता चलता है कि आपको निरंतर सोचते रहना चाहिए। कभी भी सोचना बंद नहीं करना चाहिए। अगर आप सोचना बंद कर देंगे तो आप प्रगति करना बंद कर देंगे।

वैसे ज्ञान जब उम्र की सीमाओं को लांघकर किसी उपलब्धि को प्राप्त करता है, तो उसका मान और बढ़ जाता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है केरल की एक वृद्ध ने।

What is viral?

इसे सच साबित कर दिखाया है उज्जैन की शशिकला रावल ने, जिन्होंने 80 वर्ष की आयु में संस्कृत में पीएचडी की उपाधि हासिल की है। शशिकला ने यह उपाधि सेवा शिक्षा विभाग से व्याख्याता पद से सेवानिवृत्त होने के बाद हासिल की।

उज्जैन निवासी शशिकला रावल राज्य सरकार के शिक्षा विभाग से व्याख्याता के रूप में सेवा निवृत्त हुई। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2009 से 2011 के बीच ज्योतिष विज्ञान से एमए किया। वे यहीं पर नहीं रूकीं।

Viral khabar: लगातार उन्होंने अध्ययन कर संस्कृत विषय में वराहमिहिर के ज्योतिष ग्रंथ 'वृहत संहिता' पर पीएचडी करने का विचार किया। उन्होंने सफलतापूर्वक इस कार्य को करते हुए 2019 में पीएचडी की डिग्री हासिल की।

शशिकला ने महर्षि पाणिनी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. मिथिला प्रसाद त्रिपाठी के मार्गदर्शन में 'वृहत संहिता के दर्पण में सामाजिक जीवन के बिंब' विषय पर डॉक्टर ऑफ फिलासॉफी की डिग्री हासिल की। 80 वर्षीय महिला को डिग्री प्रदान करते वक्त राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल को सुखद आश्चर्य हुआ और उन्होंने महिला के हौसले की प्रशंसा की।

PhD in sanskrit: शशिकला से जब सवाल किया गया कि आमतौर पर लोग इस उम्र में आराम करते हैं मगर आपने पढ़ाई का रास्ता क्यों चुना, तो उन्होंने कहा उनकी सदैव ज्योतिष विज्ञान में रूचि रही है और इस कारण विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा प्रारम्भ किये गये ज्योतिर्विज्ञान विषय में एमए में प्रवेश लिया। इसके बाद और पढ़ने की इच्छा हुई तो वराहमिहिर की वृहत संहिता पढ़ी और इसी पर पीएचडी करने का विचार किया।

उन्होंने कहा कि ज्योतिष पढ़ने से उनके चिन्तन को अलग दिशा मिली है। ज्योतिष का जीवन में कुछ इस तरह का महत्व है कि जैसे नक्शे की सहायता से हम कहीं मंजिल पर पहुंचते हैं। ज्योतिष के माध्यम से जीवन के आने वाले संकेतों को पढ़कर हम चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि जीवन में किस-किस तरह के संकट आ सकते हैं और कहां तूफानों से गुजरना होगा, इसका पहले से आकलन कर लिया जाये तो जीवन बिताने में आसानी होती है।

उनका मानना है कि अंधविश्वास करने की बजाय ज्योतिषीय गणना के माध्यम से मिलने वाले संकेतों को समझना चाहिये। डॉ. शशिकला रावल कहती हैं कि वे फलादेश और लोकप्रिय कार्यों के स्थान पर जीवन में मूलभूत बदलावों की तरफ अधिक ध्यान देती हैं और अपने ज्ञान का उपयोग आलेख या संभाषण के माध्यम से जनहित में करना चाहेंगी।

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