उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पूछा, कांवड़ मेले में फैले कूड़े और चोटियों पर स्वच्छता के लिए क्या किया

नैनीताल, 4 अगस्त (आईएएनएस)। नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध व कूड़ा निपटान के मामले में उत्तराखंड के जिलाधिकारियों की ओर से अभी तक प्रगति रिपोर्ट पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि कांवड़ मेले के दौरान वहां फैले कूड़े को लेकर अभी तक क्या कदम उठाए गए हैं। सरकार से यह भी पूछा कि राज्य में पर्वतारोहियों के लिए खोली गईं 30 चोटियों पर साफ सफाई और कूड़ा निपटारे की क्या व्यवस्था की गई है। कोर्ट ने राज्य प्रदूषण बोर्ड को सभी चोटियों की पर्यावरणीय जांच कर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पूछा, कांवड़ मेले में फैले कूड़े और चोटियों पर स्वच्छता के लिए क्या किया
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पूछा, कांवड़ मेले में फैले कूड़े और चोटियों पर स्वच्छता के लिए क्या किया नैनीताल, 4 अगस्त (आईएएनएस)। नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध व कूड़ा निपटान के मामले में उत्तराखंड के जिलाधिकारियों की ओर से अभी तक प्रगति रिपोर्ट पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि कांवड़ मेले के दौरान वहां फैले कूड़े को लेकर अभी तक क्या कदम उठाए गए हैं। सरकार से यह भी पूछा कि राज्य में पर्वतारोहियों के लिए खोली गईं 30 चोटियों पर साफ सफाई और कूड़ा निपटारे की क्या व्यवस्था की गई है। कोर्ट ने राज्य प्रदूषण बोर्ड को सभी चोटियों की पर्यावरणीय जांच कर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने हल्द्वानी मेडिकल कालेज, फॉरेस्ट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट सहित मंडी बाईपास रोड पर फैले कूड़े को लेकर नगर निगम कमिश्नर को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के साथ ही 28 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा कि क्यों न मामले में अवमानना की कार्यवाही की जाए।

अल्मोड़ा के हवालबाग निवासी जीतेंद्र यादव ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने 2013 में प्लास्टिक प्रयोग व उसके निपटान के लिए नियमावली बनाई थी लेकिन इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। 2018 में केंद्र सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स बनाए थे जिसमें उत्पादकर्ता, परिवहनकर्ता व विक्रेताओं को जिम्मेदारी दी थी कि वे जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे उतना ही खाली प्लास्टिक वापस ले जाएंगे। यदि नहीं ले जाते हैं तो संबंधित नगर निगम, नगर पालिका और अन्य को फंड देंगे, जिससे कि वे इसका निपटान कर सकें। पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक के ढेर लगे हुए हैं और इसका निपटारा भी नहीं किया जा रहा है। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रगति रिपोर्ट पेश करने के लिए जिलाधिकारियों को अतरिक्त समय दिया।

--आईएएनएस

स्मिता/एसकेपी

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