बमिर्ंघम में भी साबित हुआ, लॉन बॉल में भारत की ताकत हैं झारखंड के खिलाड़ी

रांची, 1 अगस्त (आईएएनएस)। बमिर्ंघम में खेले जा रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला लॉन बॉल के सेमीफाइनल में भारतीय टीम ने सोमवार को जब न्यूजीलैंड की टीम को 16-13 से हराकर कम से कम सिल्वर पदक पक्का किया, तब झारखंड के खेलप्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। इसकी ठोस वजह भी है। शानदार जीत करने वाली चार सदस्यों वाली भारतीय टीम में दो खिलाड़ी लवली चौबे और रूपा रानी तिर्की झारखंड की हैं। आप चौंक सकते हैं, लेकिन सच यही है कि झारखंड ने देश को सबसे ज्यादा इंटरनेशनल लॉन बॉल प्लेयर्स दिये हैं।
बमिर्ंघम में भी साबित हुआ, लॉन बॉल में भारत की ताकत हैं झारखंड के खिलाड़ी
बमिर्ंघम में भी साबित हुआ, लॉन बॉल में भारत की ताकत हैं झारखंड के खिलाड़ी रांची, 1 अगस्त (आईएएनएस)। बमिर्ंघम में खेले जा रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला लॉन बॉल के सेमीफाइनल में भारतीय टीम ने सोमवार को जब न्यूजीलैंड की टीम को 16-13 से हराकर कम से कम सिल्वर पदक पक्का किया, तब झारखंड के खेलप्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। इसकी ठोस वजह भी है। शानदार जीत करने वाली चार सदस्यों वाली भारतीय टीम में दो खिलाड़ी लवली चौबे और रूपा रानी तिर्की झारखंड की हैं। आप चौंक सकते हैं, लेकिन सच यही है कि झारखंड ने देश को सबसे ज्यादा इंटरनेशनल लॉन बॉल प्लेयर्स दिये हैं।

कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग ले रही लॉन बॉल की पुरुष और महिला टीमों में कुल दस खिलाड़ी शामिल हैं और इनमें से पांच झारखंड से हैं। इसके पहले रविवार को इंग्लैंड पर जीत के बाद क्वार्टर फाइनल में प्रवेश करनेवाली भारत की लॉन बॉल पुरुष युगल टीम के दोनों खिलाड़ी सुनील बहादुर और दिनेश कुमार झारखंड के हैं।

झारखंड लॉनबॉल संघ के महासचिव और भारतीय लॉन बॉल संघ के पूर्व प्रशिक्षक डॉ मधुकांत पाठक कहते हैं कि हमें इस बात का गर्व है कि भारत में लॉन बॉल की कोई भी इंटरनेशनल टीम झारखंड के खिलाड़ियों के बगैर नहीं बनती। हमारे राज्य के खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत और प्रतिभा को बार-बार साबित किया है।

लॉन बॉल की तरफ झारखंड के खिलाड़ियों का रुझान तब हुआ, जब झारखंड में 34वें राष्ट्रीय खेल के लिए वर्ष 2007 से तैयारियां शुरू हुई थीं। झारखंड में स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का निर्माण हो रहा था और इधर झारखंड स्टेट में लॉन बॉल के लिए पहली बार कमेटी बनी। आज की भारतीय लॉन बॉल टीम में शामिल झारखंड के खिलाड़ियों में से किसी को पता भी नहीं था कि लॉन बॉल किस चिड़िया का नाम है। फुटबॉल, वॉलीबॉल और दूसरे खेल से जुड़े दो दर्जन से ज्यादा खिलाड़ी इसकी तरफ आकर्षित हुए। नियमित ट्रेनिंग चलने लगी और फिर जब नेशनल-इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में इन्हें भाग लेने का मौका मिला, तो इन खिलाड़ियों ने अपनी शानदार परफॉर्मेंस का सिक्का जमा दिया। वर्ष 2011 में जब रांची में नेशनल गेम्स आयोजित हुए, तब लॉनबॉल की स्पर्धाओं में झारखंड की झोली में सबसे ज्यादा पदक आये। इसके पहले वर्ष 2010 में जब नई दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए भारत के 12 खिलाड़ियों की टीम बनी थी, तब उनमें से आठ खिलाड़ी झारखंड के ही थे। इसी तरह 2014 के ग्लासगो कॉमनवेल्थ टीम में 10 खिलाड़ियों वाली भारतीय टीम में पांच झारखंड के थे।

सोमवार को भारतीय महिला लॉन बॉल की जिस टीम ने सिल्वर मेडल पक्का किया, उसमें शामिल लवली चौबे पहले 100 मीटर की फरार्टा धाविका थीं। चोट की वजह से उन्हें इससे बाहर होने का फैसला लेना पड़ा तो वह लॉन बॉल की तरफ आकर्षित हुईं और अपनी मेहनत से यहां भी सिक्का जमा दिया। लवली कहती हैं कि हम चार साल पहले कॉमनवेल्थ में एक अंक से पदक से चूक गए थे लेकिन इस बार हम पूरी तैयारी से आये थे। लवली चौबे झारखंड पुलिस में नौकरी करती हैं। भारतीय लॉन बॉल महिला टीम में शामिल रूपा रानी तिर्की रामगढ़ की जिला खेल पदाधिकारी हैं। बमिर्ंघम में भारतीय महिला टीम की सफलता से झारखंड के खेल प्रेमियों में खुशी की लहर है। सभी को उम्मीद है कि टीम मंगलवार को फाइनल में अफ्रीका को शिकस्त देकर गोल्ड हासिल करेगी।

--आईएएनएस

एसएनसी/एएनएम

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