ब्रिक्स सहयोग का भविष्य सतत विकास की अवधारणा पर ही आधारित है : भारतीय विद्वान

बीजिंग, 20 जून (आईएएनएस)। यह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन बहुत ही महत्वपूर्ण समय पर हो रहा है। इस समय रूस और यूक्रेन के बीच जारी सैन्य संघर्ष, कोरोना महामारी से धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था, सप्लाई चेन पर बढ़ता अंतर्विरोध, पश्चिमी देशों द्वारा आर्थिक प्रतिबंध, खाद्यान्न समस्या होना आदि ऐसे अनेक वैश्विक घटनाक्रम हो रहे हैं जिस पर ब्रिक्स सदस्य देश अवश्य ही चर्चा करेंगे, दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और भारत सरकार के नीति आयोग के भाषा समिति सदस्य डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह ने चाइना मीडिया ग्रुप को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही।
ब्रिक्स सहयोग का भविष्य सतत विकास की अवधारणा पर ही आधारित है : भारतीय विद्वान
ब्रिक्स सहयोग का भविष्य सतत विकास की अवधारणा पर ही आधारित है : भारतीय विद्वान बीजिंग, 20 जून (आईएएनएस)। यह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन बहुत ही महत्वपूर्ण समय पर हो रहा है। इस समय रूस और यूक्रेन के बीच जारी सैन्य संघर्ष, कोरोना महामारी से धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था, सप्लाई चेन पर बढ़ता अंतर्विरोध, पश्चिमी देशों द्वारा आर्थिक प्रतिबंध, खाद्यान्न समस्या होना आदि ऐसे अनेक वैश्विक घटनाक्रम हो रहे हैं जिस पर ब्रिक्स सदस्य देश अवश्य ही चर्चा करेंगे, दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और भारत सरकार के नीति आयोग के भाषा समिति सदस्य डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह ने चाइना मीडिया ग्रुप को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही।

इस 23-24 जून को चीन की राजधानी बीजिंग में इस साल का ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है, जिसे चीन अगुवाई करेगा। इसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा लेंगे। इस शिखर सम्मेलन में क्या कुछ कहा जाएगा, उस पर पूरी दुनिया की नजर रहेगी।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अभिषेक प्रताप सिंह ने कहा कि ब्रिक्स देशों के बीच आपसी सहयोग को बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं। उनके बीच व्यापार प्रणाली, मुद्रा सहयोग, व्यापार मजबूत करने आदि पर चर्चा की जा रही है। इसके अलावा, मौजूदा वैश्विक घटनाक्रमों से बिक्स देशों की अर्थव्यवस्था को कैसा बचाया जाए, उस पर भी बातचीत होगी। इस दिशा में यह 14वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।

डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह ने यह भी कहा कि ब्रिक्स सहयोग का भविष्य सतत विकास की अवधारणा पर ही आधारित है। ब्रिक्स की स्थापना के समय से ही ब्रिक्स तंत्र ने अपने सहयोग के ढांचे और एजेंडा में सतत सामान्य विकास को प्रमुखता दी है। बिक्स नव विकास बैंक के माध्यम से भी जिन परियोजनाओं को आर्थिक सहायता पहुंचाई गई है, चाहे बुनियादी संरचनाओं से संबंधित हो, या फिर किसी और अन्य जनकल्याण से, इन सभी के जरिए सतत सामान्य विकास को महत्ता दी गई है।

इस शिखर सम्मेलन से पहले चीन ने उम्मीद जताई है कि इस बार ब्रिक्स सम्मेलन में ब्रिक्स समूह में नए विकासशील देशों को शामिल करने के लिए एक विस्तार प्रक्रिया शुरू हो सकती है। चीन ब्रिक्स के विस्तार पर अन्य देशों के साथ गहन चर्चा करेगा और आम सहमति बनने के बाद अन्य देशों को जोड़ने के लिए मानकों और प्रक्रियाओं का निर्धारण किया जाएगा।

इस पर प्रोफेसर अभिषेक प्रताप सिंह ने कहा कि ब्रिक्स के इतिहास को देखें तो दो अलग प्लेटफॉर्म देखने को मिलते हैं। पहला, ब्रिक्स की अवधारणा जिसे आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। और दूसरा, ब्रिक्स ऑउटरीच जिसके माध्यम से ब्रिक्स के सदस्यों को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। ब्रिक्स नव विकास बैंक में यूएई, बांग्लादेश आदि कई नये देश प्रमुख भागीदार के रूप में जुड़े हैं। इसके अलावा, लैटिन अमेरिका, पश्चिम एशिया के कई देश भी शामिल हुए हैं।

उन्होंने कहा है कि ब्रिक्स के विस्तार की जहां तक बात है, यदि उसमें सभी देशों की सहमति रहेगी तो यह ज्यादा बेहतर होगा। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ब्रिक्स के विस्तार से नये संसाधनों में भी वृद्धि होनी चाहिए।

भारत सरकार के नीति आयोग के भाषा समिति सदस्य डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह ने चीन और भारत के बीच संबंधों पर विचार रखते हुए कहा कि हालांकि पिछले दो वर्षों में दोनों देशों के बीच संबंध ज्यादा बेहतर नहीं रहे हैं। लेकिन दोनों पक्ष सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर सीमा-विवाद को सुलझाने और सीमा क्षेत्र में शांति व स्थिरता बनाये रखने के लिए वार्ता जारी रखे हुए है। ब्रिक्स तंत्र एक बहुपक्षीय मंच है फिर भी दोनों देशों को बात करने का मौका मिलता है। बेशक, दोनों देश पारस्परिक संवाद और बातचीत बढ़ाना चाहेंगे।

डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह ने ब्रिक्स तंत्र और बीआरआई पर विचार रखते हुए कहा कि हालांकि दोनों तंत्रों को उद्देश्य एक समान है लेकिन तरीका और प्रणाली भिन्न है। बीआरआई के माध्यम से चीन आर्थिक गलियारा बनाने का प्रयास कर रहा है, जिसमें कई देशों के साथ सहयोग किया जाएगा। वहीं, ब्रिक्स का एजेंडा ब्रिक्स देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ाना है। दोनों तंत्र एक जैसे होते हुए भी अलग हैं।

प्रोफेसर अभिषेक प्रताप सिंह ने इंटरव्यू में यह भी कहा कि ब्रिक्स देश विकासशील देशों के बीच सहयोग और दक्षिण-दक्षिण सहयोग की अवधारणा को और मजबूती देने का प्रयास कर रहे हैं। ब्रिक्स नव विकास बैंक ने बहुत से विकासशील देशों में विकास से संबंधित परियोजनाओं को ऋण दिया है, जिससे वहां की जनता और अर्थव्यवस्था को अत्यंत लाभ मिला है।

उन्होंने यह भी कहा कि अधिकाधिक आर्थिक सहयोग एवं आर्थिक संसाधनों पर बात होगी तो ब्रिक्स दक्षिण-दक्षिण सहयोग और विकासशील देशों में सहयोग को और बेहतर दिशा दे सकता है।

(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)

--आईएएनएस

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