भारत ने समुद्र अनुसंधान के लिए जर्मनी के साथ सहयोग का प्रस्ताव रखा

नई दिल्ली, 2 मई (आईएएनएस)। भारत ने सोमवार को अपने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाले संस्थानों और जर्मन वैज्ञानिक/अनुसंधान एजेंसियों के बीच सुनामी के खतरों और विभिन्न महासागर विज्ञान और अन्वेषण से संबंधित परियोजनाओं में सहयोग का प्रस्ताव रखा।
भारत ने समुद्र अनुसंधान के लिए जर्मनी के साथ सहयोग का प्रस्ताव रखा
भारत ने समुद्र अनुसंधान के लिए जर्मनी के साथ सहयोग का प्रस्ताव रखा नई दिल्ली, 2 मई (आईएएनएस)। भारत ने सोमवार को अपने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाले संस्थानों और जर्मन वैज्ञानिक/अनुसंधान एजेंसियों के बीच सुनामी के खतरों और विभिन्न महासागर विज्ञान और अन्वेषण से संबंधित परियोजनाओं में सहयोग का प्रस्ताव रखा।

भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने अपने जर्मनी दौरे के दूसरे दिन कहा, महासागर अन्वेषण में द्विपक्षीय सहयोग (जर्मनी के साथ) के लिए, ब्लू इकोनॉमी विजन न्यू इंडिया का एक महत्वपूर्ण आयाम है। हमें तटीय समुद्री स्थानिक योजना और पर्यटन, समुद्री मत्स्य पालन, जलीय कृषि, और मछली प्रसंस्करण, तटीय और गहरे समुद्र में खनन और अपतटीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में संयुक्त सहयोग की आवश्यकता है।

भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी आयोग के हिस्से के रूप में, सिंह ने पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण, परमाणु सुरक्षा और उपभोक्ता संरक्षण के लिए जर्मन संघीय मंत्री स्टेफी लेमके के साथ जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन, जैविक विविधता, महासागरों और पर्यावरण संरक्षण के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के एजेंडे के साथ एक प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत की।

बैठक में सुनामी के खतरे के आकलन, सूनामी का जल्द पता लगाने, भूकंप के कारण समुद्र के नीचे भूस्खलन से उत्पन्न विशिष्ट सुनामी के लिए पृथ्वी की उपसतह के भू-गतिकी मॉडलिंग और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) डेटा का उपयोग करके क्रस्टल डिफॉर्मेशन मॉनिटरिंग सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।

दोनों ने आपदा पूर्व तैयारियों को मजबूत करने के लिए क्षमता निर्माण गतिविधियों और सुनामी की तैयारी, दीर्घकालिक आर्कटिक (ध्रुवीय) अवलोकनों के क्षेत्र में सहयोग और गैस हाइड्रेट्स और अंडरवाटर ड्रिल के क्षेत्र में अध्ययन और सहयोग जैसे जोखिम न्यूनीकरण कार्यक्रमों पर भी चर्चा की।

सिंह ने इस बात भी जोर दिया कि जर्मन विशेषज्ञ और संस्थान उस पहल का हिस्सा हैं, जिसमें भारत संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन - अंतर सरकारी समुद्र विज्ञान आयोग (यूनेस्को-आईओसी) के माध्यम से मकरान क्षेत्र में संभाव्य सुनामी खतरा आकलन (पीटीएचए) की दिशा में काम कर रहा है जो कि संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और एशिया और प्रशांत के लिए सामाजिक आयोग द्वारा वित्त पोषित है।

अधिकारियों ने कहा, जर्मन पर्यावरण मंत्री लेम्के ने प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया दी और इन क्षेत्रों में जर्मन प्रगति के बारे में जानकारी दी और नए सहयोग पर काम करने पर सहमति व्यक्त की।

--आईएएनएस

एकेके/एएनएम

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