योग, चीन और भारत के बीच सहयोग का नया विषय
चीन का ताईची और भारत का योग दोनों एशियाई सभ्यता के उत्कृष्ट प्रतिनिधि हैं। वर्ष 2014 में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भारत की यात्रा के दौरान कहा था कि ताईची और योग काफी हद तक मिलते-जुलते हैं। चीन और भारत के लोगों में हजारों सालों से लागू जीवन का सिद्धांत भी मिलता-जुलता है। वहीं, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के दौरे के दौरान पेइचिंग में ताईची-योग मिलन शीर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लिया।
ताईची और योग दो सभ्यता व्यवस्थाएं दिखाते हैं, लेकिन दोनों का समान लक्ष्य है कि अभ्यास के जरिए आध्यात्मिक आनंद हासिल करना। यह पूर्वी संस्कृति का सार है। अब दोनों प्राचीन व्यायाम दुनिया भर में लोकप्रिय होने लगे हैं।
ताईची चीन का राष्ट्रीय गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत है और यूनेस्को की गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत की सूची में भी शामिल है। हर दिन सुबह पार्क में बहुत सारे लोग ताईची का अभ्यास करते हैं, जिनमें विदेशी लोग भी होते हैं। योग भारत में पैदा हुआ, लेकिन चीन के बड़े-छोटे शहरों में इधर उधर योग स्टूडियो देखने को मिलते हैं। अभ्यास करते समय बहुत सारे लोग भारतीय संस्कृति पर रुचि होने लगे।
चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान की उपलब्धि होने के नाते चीन के युन्नान मिनचू विश्वविद्यालय ने वर्ष 2015 में चीन में पहले योग कॉलेज की स्थापना की। इस का नाम चीन-भारत योग कॉलेज ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय ताईची कॉलेज भी है। यह भारत के बाहर दुनिया का पहला योग कॉलेज है और भारत में शाखा स्थापित करने वाला पहला ताईची कॉलेज है। कॉलेज का उद्देश्य चीन में योग और दुनिया में ताईची का प्रचार-प्रसार करना है।
चीन और भारत दुनिया में सिर्फ दो देश हैं, जिनकी जनसंख्या 1 अरब से अधिक है। ताईची और योग में सहयोग अवश्य ही दोनों देशों के रणनीतिक सहयोग के लिए गहरा जनमत आधार तैयार होगा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
--आईएएनएस
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