वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ी भूमिका निभा रहे हैं ब्रिक्स देश : भारतीय विशेषज्ञ

बीजिंग, 10 सितम्बर (आईएएनएस)। ब्रिक्स देशों की 13वीं शिखर बैठक सफलता से संपन्न हो गयी है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली इस बैठक में चीनी राष्ट्रपति समेत पांच देशों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। जिसमें क्षेत्रीय व वैश्विक चुनौतियों से मिलकर मुकाबला करने पर जोर दिया गया।
वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ी भूमिका निभा रहे हैं ब्रिक्स देश : भारतीय विशेषज्ञ
वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ी भूमिका निभा रहे हैं ब्रिक्स देश : भारतीय विशेषज्ञ बीजिंग, 10 सितम्बर (आईएएनएस)। ब्रिक्स देशों की 13वीं शिखर बैठक सफलता से संपन्न हो गयी है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली इस बैठक में चीनी राष्ट्रपति समेत पांच देशों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। जिसमें क्षेत्रीय व वैश्विक चुनौतियों से मिलकर मुकाबला करने पर जोर दिया गया।

इस बारे में चाइना मीडिया ग्रुप ने इंडिया ग्लोबल, चाइना सेंटर के निदेशक व अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रसून शर्मा से खास बातचीत की।

इस दौरान प्रसून ने बताया कि 13वीं ब्रिक्स बैठक काफी अहम रही, खासतौर पर कोरोना महामारी और अफगानिस्तान व क्षेत्रीय अशांति के माहौल में इसका बहुत महत्व है। इस मंच ने पिछले पंद्रह वर्षों में बहुत कुछ हासिल किया है। आंकड़ों पर ध्यान दें तो ब्रिक्स देश दुनिया की करीब 42 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। जबकि ग्लोबल जीडीपी का 24 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार का 16 प्रतिशत हिस्सा भी इन देशों से आता है।

इस सबको देखते हुए ब्रिक्स समूचे विश्व के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण प्लेटफार्म बन चुका है, विशेष तौर पर हमारे क्षेत्र के लिए। यह एक उभरता हुआ मंच है, अगले 10-15 साल ब्रिक्स और दुनिया के लिए काफी अहम होने वाले हैं। ऐसे में ब्रिक्स देशों की व्यापक भूमिका रहेगी।

प्रसून के अनुसार इस बार की बैठक की थीम, सहयोग, निरंतरता और समेकन थी, जो कि वर्तमान परि²श्य में बिलकुल सटीक बैठती है। इस सम्मेलन में आर्थिक मामलों के साथ-साथ आतंकवाद से निपटने के उपायों पर भी ध्यान दिया गया। वहीं ब्रिक्स देशों ने अपना विकास बैंक स्थापित किया है, वह बहुत बढ़िया ढंग से कार्य कर रहा है। पिछले 15 वर्षों में ब्रिक्स राष्ट्रों ने न केवल आपसी सामंजस्य बिठाने पर ध्यान दिया है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भी कई चीजों में सुधार करने की कोशिश की है। कुछ क्षेत्रों में बहुत सफलता भी हासिल हुई है।

इन देशों की सबसे बड़ी सफलता, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष(आईएमएफ) में व्यापक सुधार करवाने में रही है। आईएमएफ में कई सालों से कोटा रिफार्म पर चर्चा हो रही थी। कहने का मतलब है कि इस वैश्विक मंच पर पश्चिमी एकाधिकार कम हो और ब्रिक्स व अन्य देशों की सुनवाई भी हो। जिसे आईएमएफ ने स्वीकार कर लिया है। दूसरी ओर ब्रिक्स ने अपना न्यू डिवेलपमेंट बैंक बनाया है, यह संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य को हासिल करने में बहुत मददगार साबित हो सकता है।

प्रसून के मुताबिक ब्रिक्स सम्मेलन अपने उद्देश्य में सफल रहा है, जैसी कि उम्मीद की जा रही थी।

(अनिल आजाद पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

--आईएएनएस

एएनएम

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