सीआईए प्रमुख ने अफगानिस्तान मुद्दे पर पाक, भारत के साथ महत्वपूर्ण बैठकें की

इस्लामाबाद, 11 सितम्बर (आईएएनएस)। अफगानिस्तान में विकासशील स्थिति को देखते हुए तालिबान की अंतरिम सरकार पर अमेरिका सहित पश्चिमी देशों द्वारा व्यापक रूप से सवाल उठाए जा रहे हैं। इस बीच अमेरिकी की खुफिया एजेंसी सीआईए के निदेशक विलियन बर्न्स ने हाल ही में पाकिस्तान और भारत के लिए उड़ान भरी, ताकि युद्धग्रस्त राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण बैठकें और परामर्श किया जा सके।
सीआईए प्रमुख ने अफगानिस्तान मुद्दे पर पाक, भारत के साथ महत्वपूर्ण बैठकें की
सीआईए प्रमुख ने अफगानिस्तान मुद्दे पर पाक, भारत के साथ महत्वपूर्ण बैठकें की इस्लामाबाद, 11 सितम्बर (आईएएनएस)। अफगानिस्तान में विकासशील स्थिति को देखते हुए तालिबान की अंतरिम सरकार पर अमेरिका सहित पश्चिमी देशों द्वारा व्यापक रूप से सवाल उठाए जा रहे हैं। इस बीच अमेरिकी की खुफिया एजेंसी सीआईए के निदेशक विलियन बर्न्‍स ने हाल ही में पाकिस्तान और भारत के लिए उड़ान भरी, ताकि युद्धग्रस्त राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण बैठकें और परामर्श किया जा सके।

पाकिस्तान में अपने प्रवास के दौरान, बर्न्‍स ने सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और खुफिया प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद से मुलाकात की।

पाकिस्तान में इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, यह दोहराया गया कि पाकिस्तान क्षेत्र में शांति के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह अफगान लोगों के लिए एक स्थिर और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करता है।

हालांकि, स्थिति उतनी उज्‍जवल नहीं है जितनी बताई जा रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि सीआईए प्रमुख की पाकिस्तान और भारत यात्रा का मुख्य उद्देश्य यह रहा है कि इस्लामाबाद आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका का सहयोगी बना रहे और अमेरिका ने अफगानिस्तान में भारत के बढ़ते प्रभाव और उपस्थिति का प्रस्ताव दिया, जब उसने डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के तहत अपनी दक्षिण एशिया नीति की घोषणा की।

पाकिस्तान अफगानिस्तान से विदेशी नागरिकों को निकालने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और वह तब एक महत्वपूर्ण गंतव्य बन गया, जब सेना की वापसी प्रक्रिया के दौरान अमेरिका और अन्य नाटो सैनिकों को काबुल से निकाला जा रहा था।

अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो बलों की वापसी के बाद से तुर्की, कतर, ईरान, रूस, चीन और पाकिस्तान जैसे देश तालिबान शासन के साथ निरंतर परामर्श और सक्रिय संपर्कों के साथ अफगानिस्तान में जुट रहे हैं। यह एक गठबंधन-आधारित अभिसरण है, वाशिंगटन के लिए जो गंभीर चिंता पैदा कर रहा है।

जो बिडेन प्रशासन ने कहा है कि वह अफगानिस्तान में विकासशील स्थिति पर कड़ी नजर रखेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर वह अपनी पसंद के समय और जब भी जरूरत हो, ड्रोन हमलों के माध्यम से आतंकी ठिकानों को तबाह कर देगा।

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऐसा भी दावा किया गया है कि अमेरिकी ड्रोन हमले में बच्चों सहित एक परिवार के कम से कम 10 सदस्यों ने अपनी जान गंवा दी। यह एक कथित इस्लामिक स्टेट (आईएस) सदस्य को ले जाने वाले वाहन को लक्षित कर रहा था। काबुल हवाई अड्डे पर घातक विस्फोट के बाद ड्रोन हमला किया गया था, जिसमें सैकड़ों अफगानों और दर्जनों अमेरिकी सैनिकों की जान चली गई थी। हमले का दावा आईएसआईएस-के (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवेंट - खुरासान) ने किया है।

तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने ड्रोन हमले को अंजाम देने के लिए अमेरिका की आलोचना की है। उसने कहा है कि इसमें निर्दोष नागरिकों की जान चली गई है। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अमेरिका को अब अफगानिस्तान में हमले करने का कोई अधिकार नहीं है।

उसने कहा, अगर अफगानिस्तान में कोई संभावित खतरा था, तो हमें इसकी सूचना दी जानी चाहिए थी, न कि एक मनमाना हमला किया जाना चाहिए था, जिसके परिणामस्वरूप नागरिक हताहत हुए हैं।

सीआईए प्रमुख का एजेंडा उसी तर्ज पर लगता है, जब उन्होंने पाकिस्तान और भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की और अफगानिस्तान के तालिबान अधिग्रहण से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं पर चर्चा की।

हालांकि, यह माना जाता है कि अमेरिका पाकिस्तान के माध्यम से खुफिया जानकारी साझा करने और भारत के माध्यम से जमीन पर नजर रखने के जरिए अफगानिस्तान में अपने प्रभाव को जीवित रखने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि वह अफगानिस्तान को इस क्षेत्र के अपने महत्वपूर्ण विरोधियों से लिप्त देखता है।

--आईएएनएस

एकेके/एएनएम

Share this story